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Jammu News: प्रक्रियागत खामियों के चलते आरोपी निरपराध, अदालत ने किया बरी
संवाद न्यूज एजेंसी, जम्मू
Updated Mon, 08 Dec 2025 01:55 AM IST
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नाका पर पकड़ी गई 391.5 किलो भुक्की केस में बड़ा फैसला
सांबा। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरविंद शर्मा की अदालत ने चर्चित 391.5 किलो भुक्की (चूरा पोस्त) तस्करी मामले में बड़ा निर्णय सुनाते हुए आरोपी निर्मल सिंह निवासी महमूदोवाल खुर्द हुसैनपुर पंजाब को सभी आरोपों से बरी कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में एनडीपीएस एक्ट की अनिवार्य धाराओं के उल्लंघन, गवाहों के विरोधाभासी बयान, रिकॉर्ड की कमी और स्वतंत्र गवाहों की अनुपस्थिति को गंभीर कमी माना जिनकी वजह से मामला साबित नहीं हो सका।
मामला वर्ष 2020 में बाड़ी ब्राह्मणा थाना अधिकार क्षेत्र से जुड़ा है। पुलिस ने दावा किया था कि एक टिप्पर ट्रक से पहले 400 ग्राम और बाद में एक गुप्त कोठी से 20 बोरों में भारी मात्रा में भुक्की मिली थी। मगर अदालत ने पाया कि पुलिस के पास पहले से सूचना होने के बावजूद एनडीपीएस एक्ट की जरूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया। रात में हुई पहली बरामदगी में न कोई मजिस्ट्रेट मौजूद था और न ही कोई फोटो या वीडियो रिकॉर्डिंग की गई। कोर्ट ने कहा कि पुलिस की कहानी में विरोधाभास है क्योंकि पुलिस के मुताबिक प्रारंभिक बरामदगी रात में हुई थी जबकि तस्वीरें दिन में ली गई थीं। वहीं बरामद माल के सैंपल, सील और मलकाना रजिस्टर से जुड़े दस्तावेज भी पेश नहीं किए गए। पुलिस यह भी साबित नहीं कर सकी कि ट्रक पर लगी नंबर प्लेट फर्जी थी। इन सभी कमियों के कारण अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं होता कि भुक्की वास्तव में आरोपी के कब्जे से मिली थी। पुलिस ने आरोपी को एनडीपीएस एक्ट की सभी धाराओं और 420 आईपीसी के आरोप से बरी कर दिया। अदालत ने जेल प्रशासन को निर्देश दिया है कि यदि आरोपी किसी अन्य केस में वांछित नहीं है तो उसे तुरंत रिहा किया जाए।
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सांबा। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरविंद शर्मा की अदालत ने चर्चित 391.5 किलो भुक्की (चूरा पोस्त) तस्करी मामले में बड़ा निर्णय सुनाते हुए आरोपी निर्मल सिंह निवासी महमूदोवाल खुर्द हुसैनपुर पंजाब को सभी आरोपों से बरी कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में एनडीपीएस एक्ट की अनिवार्य धाराओं के उल्लंघन, गवाहों के विरोधाभासी बयान, रिकॉर्ड की कमी और स्वतंत्र गवाहों की अनुपस्थिति को गंभीर कमी माना जिनकी वजह से मामला साबित नहीं हो सका।
मामला वर्ष 2020 में बाड़ी ब्राह्मणा थाना अधिकार क्षेत्र से जुड़ा है। पुलिस ने दावा किया था कि एक टिप्पर ट्रक से पहले 400 ग्राम और बाद में एक गुप्त कोठी से 20 बोरों में भारी मात्रा में भुक्की मिली थी। मगर अदालत ने पाया कि पुलिस के पास पहले से सूचना होने के बावजूद एनडीपीएस एक्ट की जरूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया। रात में हुई पहली बरामदगी में न कोई मजिस्ट्रेट मौजूद था और न ही कोई फोटो या वीडियो रिकॉर्डिंग की गई। कोर्ट ने कहा कि पुलिस की कहानी में विरोधाभास है क्योंकि पुलिस के मुताबिक प्रारंभिक बरामदगी रात में हुई थी जबकि तस्वीरें दिन में ली गई थीं। वहीं बरामद माल के सैंपल, सील और मलकाना रजिस्टर से जुड़े दस्तावेज भी पेश नहीं किए गए। पुलिस यह भी साबित नहीं कर सकी कि ट्रक पर लगी नंबर प्लेट फर्जी थी। इन सभी कमियों के कारण अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं होता कि भुक्की वास्तव में आरोपी के कब्जे से मिली थी। पुलिस ने आरोपी को एनडीपीएस एक्ट की सभी धाराओं और 420 आईपीसी के आरोप से बरी कर दिया। अदालत ने जेल प्रशासन को निर्देश दिया है कि यदि आरोपी किसी अन्य केस में वांछित नहीं है तो उसे तुरंत रिहा किया जाए।
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