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Interview: 'प्रवेश प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई, श्राइन बोर्ड जिम्मेदार'; सेवानिृवत्त कर्नल ने इन मुद्दों पर की बात
गौरव रावत, अमर उजाला, जम्मू
Published by: शाहरुख खान
Updated Thu, 27 Nov 2025 12:23 PM IST
सार
श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस कटड़ा में एमबीबीएस दाखिले की प्रवेश प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है, इसके लिए श्राइन बोर्ड जिम्मेदार है। इसकी जांच होनी चाहिए। यह कहना है श्री माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति के प्रधान (सेवानिृवत्त कर्नल) सुखबीर सिंह मनकोटिया का। उन्होंने खास बातचीत में बेबाकी से अपनी राय रखी।
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Sukhbir Singh Mankotia
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस कटड़ा में एमबीबीएस दाखिले की प्रक्रिया को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है। दाखिले से जुड़ी पारदर्शिता और निर्धारित नियमों के पालन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस पूरे विवाद को लेकर श्री माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति के प्रधान (सेवानिृवत्त कर्नल) सुखबीर सिंह मनकोटिया ने श्राइन बोर्ड और प्रशासन की भूमिका पर गंभीर आपत्तियां जताई हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर बेबाकी से अपनी राय रखी है।
सवाल - आपके हिसाब से पूरे मामले के लिए कौन जिम्मेदार है?
सबसे बड़ी गलती माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड से हुई है। दाखिले के लिए निर्धारित प्रक्रिया का ठीक से पालन नहीं किया गया। कई अहम बातें गुप्त रखी गईं। विज्ञापन भी सही तरीके से नहीं निकाला गया। इससे मेधावी छात्रों चाहे वे किसी भी धर्म के हों, उन्हें समान अवसर नहीं मिल पाए। ऐसा क्यों हुआ और इसके लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं, इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
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सवाल - आपके हिसाब से पूरे मामले के लिए कौन जिम्मेदार है?
सबसे बड़ी गलती माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड से हुई है। दाखिले के लिए निर्धारित प्रक्रिया का ठीक से पालन नहीं किया गया। कई अहम बातें गुप्त रखी गईं। विज्ञापन भी सही तरीके से नहीं निकाला गया। इससे मेधावी छात्रों चाहे वे किसी भी धर्म के हों, उन्हें समान अवसर नहीं मिल पाए। ऐसा क्यों हुआ और इसके लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं, इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
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सवाल - निदेशक का कहना है कि सभी नियमों व मानकों का पालन किया है और धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं हुआ?
यह मामला हिंदू या मुस्लिम छात्रों का नहीं है, बल्कि न्याय और समान अवसर का है। किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। कुछ लोग इसे धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन समिति ऐसा नहीं मानती। हां, प्रवेश प्रक्रिया में गड़बड़ी के कारण सनातन धर्म को मानने वालों की आस्था को ठेस पहुंची है और हम उसी भावना को प्रशासन के सामने रख रहे हैं। संस्थान ने जानबूझकर प्रवेश प्रक्रिया पूरी करने में देरी की, यह भी जांच का विषय है। जम्मू और कश्मीर दोनों संभागों में मेधावी छात्र हैं। यह पहला सत्र था, जो काफी देरी से शुरू हुआ जबकि अन्य जगहों पर काउंसिलिंग पहले ही पूरी हो चुकी थी। जब प्रक्रिया ही सही ढंग से नहीं अपनाई गई तो सत्र शुरू करने की इतनी जल्दी क्यों थी। अगर नियमों का ठीक से पालन किया जाता और सभी को समान अवसर मिलता और विवाद पैदा ही नहीं होता।
यह मामला हिंदू या मुस्लिम छात्रों का नहीं है, बल्कि न्याय और समान अवसर का है। किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। कुछ लोग इसे धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन समिति ऐसा नहीं मानती। हां, प्रवेश प्रक्रिया में गड़बड़ी के कारण सनातन धर्म को मानने वालों की आस्था को ठेस पहुंची है और हम उसी भावना को प्रशासन के सामने रख रहे हैं। संस्थान ने जानबूझकर प्रवेश प्रक्रिया पूरी करने में देरी की, यह भी जांच का विषय है। जम्मू और कश्मीर दोनों संभागों में मेधावी छात्र हैं। यह पहला सत्र था, जो काफी देरी से शुरू हुआ जबकि अन्य जगहों पर काउंसिलिंग पहले ही पूरी हो चुकी थी। जब प्रक्रिया ही सही ढंग से नहीं अपनाई गई तो सत्र शुरू करने की इतनी जल्दी क्यों थी। अगर नियमों का ठीक से पालन किया जाता और सभी को समान अवसर मिलता और विवाद पैदा ही नहीं होता।
सवाल - अब समाधान क्या होना चाहिए?
समिति का मानना है कि यह प्रवेश प्रक्रिया रद्द होनी चाहिए। साथ ही जिन छात्रों को दाखिला मिल चुका है, उनका नुकसान न हो। इसका पूरा ध्यान सरकार रखे। छात्रों की पढ़ाई किसी दूसरे मेडिकल कॉलेज में करवाई जाए, उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए। श्री माता वैष्णो देवी देशभर में सनातन धर्म को मानने वालों की आस्था का बड़ा केंद्र है। श्राइन बोर्ड को यह ध्यान रखना चाहिए कि उसके माध्यम से वही कार्य हो, जो सनातन संस्कृति के हित में हो।
समिति का मानना है कि यह प्रवेश प्रक्रिया रद्द होनी चाहिए। साथ ही जिन छात्रों को दाखिला मिल चुका है, उनका नुकसान न हो। इसका पूरा ध्यान सरकार रखे। छात्रों की पढ़ाई किसी दूसरे मेडिकल कॉलेज में करवाई जाए, उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए। श्री माता वैष्णो देवी देशभर में सनातन धर्म को मानने वालों की आस्था का बड़ा केंद्र है। श्राइन बोर्ड को यह ध्यान रखना चाहिए कि उसके माध्यम से वही कार्य हो, जो सनातन संस्कृति के हित में हो।
सवाल - अगर श्राइन बोर्ड संस्थान चला रहा है तो वहां खान-पान और पूजा पद्धति के नियम भी वही तय करेगा, फिर इसमें समस्या क्या है?
मैं साफ कहना चाहता हूं कि हमें संस्थान में मुस्लिम छात्रों के होने से कोई समस्या नहीं है। मांग सिर्फ यह है कि श्राइन बोर्ड से जुड़े संस्थानों में सनातन परंपराओं का सम्मान और पालन हो। माता वैष्णो देवी मंदिर होने के कारण कटड़ा और आसपास के क्षेत्रों में मांस की बिक्री प्रतिबंधित है। देशभर में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां धार्मिक संस्थाओं से जुड़े शिक्षण संस्थानों में एक विशेष धर्म के छात्र खान-पान और पूजा पद्धति का पालन करते हैं। हमारी चिंता यही है कि कटड़ा में ऐसा कोई परिवर्तन न हो। जम्मू के अन्य मेडिकल कॉलेजों में सभी धर्मों के छात्र हैं, वहां हमें इस तरह की कोई आपत्ति नहीं है।
मैं साफ कहना चाहता हूं कि हमें संस्थान में मुस्लिम छात्रों के होने से कोई समस्या नहीं है। मांग सिर्फ यह है कि श्राइन बोर्ड से जुड़े संस्थानों में सनातन परंपराओं का सम्मान और पालन हो। माता वैष्णो देवी मंदिर होने के कारण कटड़ा और आसपास के क्षेत्रों में मांस की बिक्री प्रतिबंधित है। देशभर में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां धार्मिक संस्थाओं से जुड़े शिक्षण संस्थानों में एक विशेष धर्म के छात्र खान-पान और पूजा पद्धति का पालन करते हैं। हमारी चिंता यही है कि कटड़ा में ऐसा कोई परिवर्तन न हो। जम्मू के अन्य मेडिकल कॉलेजों में सभी धर्मों के छात्र हैं, वहां हमें इस तरह की कोई आपत्ति नहीं है।
सवाल - क्या धार्मिक संस्थाओं को केवल अस्पताल जैसे सेवाभावी कार्य करने चाहिए?
अगर ऐसा होता है तो यह बहुत अच्छी बात है। माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड एक अस्पताल भी चला रहा है, जहां सभी धर्मों के लोग इलाज के लिए आते हैं। यह एक पवित्र सेवा है। लेकिन मेडिकल कॉलेज खोलने के बाद जिस तरह की बड़ी चूक सामने आई है, उसके बावजूद इसे जारी रखने की जिद समझ से परे है। श्राइन बोर्ड को अपनी गलती जल्द से जल्द सुधारनी चाहिए।
अगर ऐसा होता है तो यह बहुत अच्छी बात है। माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड एक अस्पताल भी चला रहा है, जहां सभी धर्मों के लोग इलाज के लिए आते हैं। यह एक पवित्र सेवा है। लेकिन मेडिकल कॉलेज खोलने के बाद जिस तरह की बड़ी चूक सामने आई है, उसके बावजूद इसे जारी रखने की जिद समझ से परे है। श्राइन बोर्ड को अपनी गलती जल्द से जल्द सुधारनी चाहिए।
सवाल- मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के उस बयान पर आपका क्या कहना है, जिसमें कहा था कि अगर मुस्लिम छात्रों को नहीं पढ़ाया जा सकता तो वे बांग्लादेश या तुर्की चले जाएंगे?
- उमर अब्दुल्ला प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और उनके बयान पर टिप्पणी करना मैं उचित नहीं समझता। यह जरूर पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने अपने बयान में सिर्फ इन्हीं दो-तीन देशों का नाम क्यों लिया?
- उमर अब्दुल्ला प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और उनके बयान पर टिप्पणी करना मैं उचित नहीं समझता। यह जरूर पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने अपने बयान में सिर्फ इन्हीं दो-तीन देशों का नाम क्यों लिया?
सवाल - संघर्ष समिति की आगे की रणनीति क्या होगी?
समिति सभी पहलुओं पर विचार कर ही कदम उठा रही है। प्रदेश के कई जिलों में हमारी इकाइयां बन चुकी हैं। कई स्थानों पर ब्लॉक स्तर तक समितियां गठित हो गई हैं, जो शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन के साथ घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं। समिति ने महामहिम राष्ट्रपति और उपराज्यपाल को भी ज्ञापन भेजकर हस्तक्षेप की मांग की है। उम्मीद है कि एक-दो दिन में जवाब मिलेगा। इसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी। सड़कों पर उतरना अंतिम विकल्प रहेगा।
समिति सभी पहलुओं पर विचार कर ही कदम उठा रही है। प्रदेश के कई जिलों में हमारी इकाइयां बन चुकी हैं। कई स्थानों पर ब्लॉक स्तर तक समितियां गठित हो गई हैं, जो शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन के साथ घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं। समिति ने महामहिम राष्ट्रपति और उपराज्यपाल को भी ज्ञापन भेजकर हस्तक्षेप की मांग की है। उम्मीद है कि एक-दो दिन में जवाब मिलेगा। इसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी। सड़कों पर उतरना अंतिम विकल्प रहेगा।