झारखंड: उच्च न्यायालय ने जेपीएससी को संशोधित परिणाम शीघ्र जारी करने के निर्देश दिए, 1044 अभ्यर्थियों को फायदा
उच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया था कि सामान्य श्रेणी में 114 सीटें थीं और मानदंडों के अनुसार परिणाम में आवंटित सीटों का 15 गुना यानी 1,710 उम्मीदवारों के नाम होने चाहिए लेकिन केवल 768 उम्मीदवारों को ही सफल घोषित किया गया है। जेपीएससी ने कहा है कि प्रारंभिक परीक्षा के संशोधित परिणाम में 1044 और अभ्यर्थियों के नाम शामिल किए जाएंगे।

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झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) ने मंगलवार को झारखंड उच्च न्यायालय को सूचित किया कि वह आयोग द्वारा आयोजित राज्य सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा में शामिल हुए सफल उम्मीदवारों की संशोधित सूची जल्द प्रकाशित करेगा।
यह मामला कुमार संयम द्वारा दायर एक याचिका में सामने आया था, जिसने जेपीएससी द्वारा पहली प्रकाशित सफल उम्मीदवारों की मेरिट सूची को चुनौती दी थी। आयोग के वकील के बयानों के आधार पर कुमार ने अपनी याचिका वापस ले ली। उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में, संयम ने आरोप लगाया था कि राज्य सिविल सेवाओं की प्रारंभिक परीक्षा आयोजित करने के लिए जेपीएससी द्वारा विज्ञापन में आरक्षण देने का कोई विवरण प्रकाशित नहीं किया गया था।
उन्होंने कहा था कि सामान्य श्रेणी में 114 सीटें थीं और मानदंडों के अनुसार परिणाम में आवंटित सीटों का 15 गुना यानी 1,710 उम्मीदवारों के नाम होने चाहिए लेकिन केवल 768 उम्मीदवारों को ही सफल घोषित किया गया है।
झारखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को जेपीएससी को उसकी सातवीं से लेकर दसवीं राज्य प्रशासनिक सेवा की प्रारंभिक परीक्षा के संशोधित परिणाम शीघ्र जारी करने के निर्देश दिए और आयोग के परिणाम जारी करने में हुई त्रुटि को स्वीकार कर लेने के हलफनामे को रिकॉर्ड पर लेते हुए इस मामले का निपटारा कर दिया।
1044 और अभ्यर्थियों के नाम शामिल किए जाएंगे
इससे पूर्व झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रविरंजन एवं न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ के सामने इस मामले की सुनवाई के दौरान जेपीएससी ने कहा कि सातवीं से दसवीं जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा का संशोधित परिणाम शीघ्र जारी होगा। प्रारंभिक परीक्षा के संशोधित परिणाम में 1044 और अभ्यर्थियों के नाम शामिल किए जाएंगे। झारखंड लोक सेवा आयोग ने अदालत को यह जानकारी दी और संशोधित परिणाम जारी करने की अनुमति मांगी।
इस पर खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में जेपीएससी ने पहले ही गलती स्वीकार कर ली थी और 11 फरवरी को ही इस संबंध में अपना हलफनामा दाखिल कर दिया था। उन्होंने कहा कि जब एक बार गलती हो गई तो उसे सुधारा जाना चाहिए और संशोधित परिणाम शीघ्र जारी किया जाना आवश्यक है।
अदालत ने कहा कि त्रुटि के चलते नए सिरे से परिणाम जारी करने के लिए अदालत से अनुमति लेने की आवश्यकता हुई है। अदालत ने जेपीएससी के हलफनामे को आधार मानते हुए संशोधित परिणाम जारी करने के निर्देश देने के बाद इस मामले में दायर सभी याचिकाओं को वापस लिया मानकर निष्पादित कर दिया।
जेपीएससी ने पूर्व में जारी प्रारंभिक परीक्षा परिणाम में विभिन्न वर्गों को आरक्षण दे दिया था, जिसके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की गई थीं। इस पर अदालत ने जेपीएससी और सरकार से आरक्षण पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था और यह बताने को कहा था कि प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण का लाभ दिया गया है या नहीं।
इससे पूर्व 11 फरवरी को जेपीएससी ने राज्य प्रशासनिक सेवा की सातवीं प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम जारी करने में आयोग की ओर से त्रुटि होने की बात स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय से संशोधित परिणाम जारी करने के लिए शपथपत्र के साथ अंतरिम याचिका दायर कर अनुमति मांगी थी।
भाजपा ने की सीबीआई जांच की मांग
विपक्षी पार्टी भाजपा ने राज्य की सिविल सेवा परीक्षाओं में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग कर रही है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले महीने कहा था कि भाजपा हंगामा कर रही है क्योंकि चयनित 4,000 उम्मीदवारों में से 3,000 आरक्षित वर्ग के हैं। सोरेन ने आरोप लगाया था कि 'मनुवादी' मानसिकता वाले लोग एससी-एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों की सफलता को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।