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Jharkhand: अगले साल विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्ता में आई तो लागू होगा एनआरसी, रघुबर दास का बड़ा एलान
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रांची
Published by: Jeet Kumar
Updated Sat, 24 Jun 2023 09:04 PM IST
सार
झारखंड के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रघुबर दास ने शनिवार को कहा कि अगर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्ता में आती है तो राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू किया जाएगा।
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रघुवर दास
- फोटो : facebook/Raghubar-Das
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विस्तार
झारखंड के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रघुबर दास ने शनिवार को एक बड़ा एलान करते हुए कहा कि अगर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा सत्ता में आती है तो राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य में 'बांग्लादेशियों की बड़े पैमाने पर घुसपैठ निवासियों के लिए एक बड़ी चिंता और खतरा बन गई है। पड़ोसी देश के इन अवैध प्रवासियों ने स्थानीय महिलाओं से शादी की है और क्षेत्र में हजारों एकड़ जमीन हासिल कर ली है।
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रघुवार दास ने कहा कि उन्होंने 2018 में केंद्र सरकार को इस स्थिति के बारे में पत्र लिखकर बताया। झारखंड के आदिवासी बहुल संताल परगना क्षेत्र, विशेष रूप से पार्कुर और साहेबगंज जिलों बाहरी घुसपैठियों की जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि गोड्डा, देवघर, दुमका, जामताड़ा, साहिबगंज और पाकुड़ जिलों सहित संताल परगना क्षेत्र में तेजी से बदलती जनसांख्यिकी का मुद्दा पहले ही संसद में उठाया जा चुका है।
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रघुवर दास ने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन सरकार तुष्टिकरण की नीति अपना रही है और वोट बैंक के लिए झामुमो सरकार द्वारा घुसपैठियों को संरक्षण दिया जा रहा है। क्षेत्र में आदिवासी आबादी खतरे में है। दास ने यह भी कहा कि भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनावों में राज्य के सभी 14 संसदीय क्षेत्रों में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए पहले ही कमर कस ली है। शुक्रवार को पटना में विपक्षी दलों की बैठक के बारे में एक सवाल पर दास ने कहा कि इसका "राष्ट्रीय राजनीति या झारखंड की राजनीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
आदिवासी संगठन करेंगे समान नागरिक संहिता पर चर्चा
30 से अधिक आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर चर्चा के लिए रविवार को रांची में एकत्र होंगे, जिससे उन्हें डर है कि इससे आदिवासी प्रथागत कानून कमजोर हो जायेंगे। इसके सदस्य देव कुमार धान ने कहा, चूंकि विधि आयोग ने यूसीसी पर नए सिरे से परामर्श शुरू किया है, आदिवासी समन्वय समिति ने इस मुद्दे पर सरकार के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि राज्य भर के लगभग सभी प्रमुख आदिवासी संगठनों ने यूसीसी के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने का फैसला किया है। आदिवासी समन्वय समिति के बैनर तले आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधि जुटेंगे। भारत के 22वें विधि आयोग ने 14 जून को यूसीसी पर सार्वजनिक और धार्मिक संगठनों सहित विभिन्न हितधारकों से नए सुझाव मांगे।