हरियाणा में गुरुग्राम के रहने वाले भरत जुनेजा को मई में पता चला कि वो कोविड पॉजिटिव हैं। उनके लक्षण गंभीर थे इसलिए उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। कई दिनों के इलाज के बाद वो पूरी तरह ठीक हो गए। इसके बाद भी उन्हें थकान, कमजोरी, सांस फूलना और ठीक से नींद ना आने जैसे समस्याएं होने लगीं। 51 साल के भरत जुनेजा बताते हैं, 'मुझे करीब सात दिनों तक वेंटिलेटर पर रहना पड़ा था। इसके बाद 16 जून को मेरी रिपोर्ट निगेटिव आ गई और दो दिन बाद मैं डिस्चार्ज हो गया, लेकिन इसके बाद भी मुझे थकान और कमजोरी महसूस होने लगी और चक्कर आने लगे।'
Coronavirus: कोरोना से ठीक होने के बाद भी क्यों बीमार पड़ रहे हैं लोग? जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ
कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद भी कई लोग बीमार पड़ रहे हैं। उनमें सांस लेने में परेशानी, चक्कर आना, थकान, हल्का बुखार, जोड़ों में दर्द और उदासी जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं। इसे पोस्ट कोविड सिम्पटम भी कहा जाता है। भारत ही नहीं, विदेशों में भी लोगों ने सोशल मीडिया या सर्वे के जरिए अपने अनुभव बताए हैं। हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह की कोविड-19 रिपोर्ट निगेटिव आने के तीन दिनों बाद उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था। उन्हें चक्कर आने और बदन दर्द की शिकायत थी।
दिल्ली के राजीव गांधी सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में इसी महीने पोस्ट-कोविड क्लीनिक भी बनाया गया है, जहां कोविड से ठीक होने के बाद भी परेशानी महसूस कर रहे मरीजों का इलाज होता है। डॉक्टरों के मुताबिक, ऐसे कई मरीज सामने आ रहे हैं, जिनमें कोरोना वायरस की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी लक्षण बने हुए हैं और उन्हें इलाज की जरूरत पड़ रही है।
पोस्ट कोविड लक्षण क्या हैं?
मैक्स अस्पताल, वैशाली में पल्मनॉलॉजी के प्रिंसिपल कंसल्टेंट डॉ. शरद जोशी कहते हैं, 'कोविड-19 से ठीक होने के बाद हमारे पास कई मरीज आ रहे हैं। उन्हें थकान, सांस लेने में परेशानी, चक्कर आना और बेहोशी जैसे समस्याएं हो रही हैं। कई लोगों में स्वाद का ना आना और गले में खराश की दिक्कत भी बनी रहती है।'
जिस मरीज में कोविड का संक्रमण जितना अधिक होता है, उतने ज्यादा लक्षण उसमें ठीक होने के बाद देखने को मिलते हैं। हालांकि, कोविड के हल्के-फुल्के संक्रमण वाले लोगों को भी बाद में कमजोरी महसूस हो रही है। कई मरीजों में ये कमजोरी इतनी ज्यादा हो सकती है कि बेड से उठकर बाथरूम जाने में भी मुश्किल होने लगे। डॉक्टरों के मुताबिक, जरूरी नहीं कि ये लक्षण हर मरीज में सामने आएं।
डॉ. शरद जोशी के अनुसार, जितने भी गंभीर लक्षण वाले मरीज उनके पास आ रहे हैं, उनमें से 30 से 35 प्रतिशत मरीजों में ठीक होने के बाद ये समस्या आ रही है। 30 प्रतिशत हल्के-फुल्के संक्रमण वाले मरीजों में कमजोरी आ रही है। कुछ मरीज ऐसे हैं, जिनके एक्सरे में अच्छा सुधार दिखता है, लेकिन पल्मनरी फंक्शन टेस्ट करने पर पता चलता है कि उनके फेफड़ों की कार्यक्षमता में 50 प्रतिशत तक की कमी आई है।
ब्रिटेन के नॉर्थ ब्रिस्टल एनएचएस ट्रस्ट के एक अध्ययन के मुताबिक, डिस्चार्ज हुए 110 मरीजों में से 81 को सांस लेने में दिक्कत, बार-बार बेहोशी और जोड़ों में दर्द की परेशानी हुई है। ऐसे मरीज कम थे, जिनमें फेफड़ों की गंभीर समस्या हो या उनकी कार्यक्षमता में कमी आई हो। ये रिसर्च के प्राथमिक नतीजे हैं।