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Heart Diseases: देश के ये हिस्से हृदय रोगों का 'रेड जोन', रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Sat, 20 Dec 2025 01:03 PM IST
सार

वैज्ञानिकों की टीम ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया है कि दक्षिण भारतीय मूल के लोगों में एक खास जेनेटिक पैटर्न का पता चला है, जिससे उनमें हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।

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भारत में हृदय रोगों का खतरा - फोटो : Amarujala.com
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विस्तार
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Heart Diseases In India: हृदय रोग मौजूदा समय में स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक हैं। हर साल इसके कारण लाखों लोगों की मौत हो जाती है। आश्चर्यजनक रूप से युवाओं और बच्चों में भी हार्ट की बीमारी के मामले हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ते हुए देखे गए हैं।

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स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, बदलती जीवनशैली और खान-पान की गड़बड़ी इसका सबसे बड़ा कारण है। शहरीकरण के साथ बैठकर काम करने की आदत, शारीरिक गतिविधियों की कमी, देर रात तक जागना और मोबाइल-लैपटॉप पर अधिक समय बिताना दिल की सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। 
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देश के उत्तरी इलाकों में इन दिनों भीषण सर्दी और शीतलहर का प्रकोप भी देखा जा रहा है, सर्दी का मौसम भी दिल की सेहत के लिए बड़ी चुनौतियां लेकर आता है। यहां ध्यान देने वाली बात ये भी है कि सिर्फ सर्द मौसम ही नहीं, कुछ अन्य परिस्थितियां भी हैं जो देश के अलग-अलग हिस्सों में हार्ट के मरीजों के मामलों में स्पष्ट अंतर दिखाती हैं।

अब सवाल ये है कि किन राज्यों या देश के किन हिस्सों में हृदय रोगों का खतरा अधिक होता है? क्या वास्तव में स्थानों का भी हृदय की बीमारी से कोई संबंध है? आइए इस बारे में विस्तार से समझते हैं।

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हार्ट अटैक और हृदय रोगों का जोखिम - फोटो : adobe stock images

देश के दक्षिणी राज्यों में दिल की बीमारी का खतरा अधिक

इसी सवाल का जवाब ढूंढने के लिए बेंगलुरु स्थित इंस्टीट्यूट फॉर स्टेम सेल साइंस एंड रीजेनरेटिव मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया। इसमें वैज्ञानिकों की टीम ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया है कि दक्षिण भारतीय मूल के लोगों में एक खास जेनेटिक पैटर्न का पता चला है, जिससे उनमें हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। 

जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में प्रकाशित हुए इस पेपर में  जेनेटिक म्यूटेशन पर जोर दिया गया है। विशेषज्ञों ने कहा कि अब आबादी आधारित विशिष्ट स्क्रीनिंग और समावेशी कार्डियोवैस्कुलर रिसर्च की तत्काल जरूरत है ताकि जोखिमों का समय रहते पता लगाने में मदद मिल सके।

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हृदय रोगों का जेनेटिक खतरा - फोटो : Adobe Stock Images

हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी की समस्या के बारे में जानिए

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल के अनुसार, हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (एचसीएम) एक अलग तरह की जेनेटिक दिल की बीमारी है जो दुनियाभर में 200-500 लोगों में से एक को प्रभावित करती है। इसमें बिना किसी दूसरी कार्डियक बीमारी के भी दिल का लेफ्ट वेंट्रिकल मोटा हो जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर एचसीएम के मामले सार्कोमेयर प्रोटीन बनाने के लिए जिम्मेदार जीन में म्यूटेशन के कारण होते हैं।

देश के दक्षिणी हिस्से के लोगों में इसका खतरा अधिक देखा गया है। 


(ये भी पढ़िए- ऑनलाइन कैलकुलेटर से जानिए कितना हेल्दी है आपका हार्ट? मिलेगी अगले 30 साल की रिपोर्ट)

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भारत में हार्ट की समस्याओं के मामले - फोटो : Adobe stock photos

क्या कहते हैं शोधकर्ता?

इंस्टीट्यूट फॉर स्टेम सेल साइंस एंड रीजेनरेटिव मेडिसिन (इनस्टेम) के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि दक्षिण भारतीय मूल के बहुतायत लोगों में कुछ ऐसे जेनेटिक म्यूटेशन हो सकते हैं जो हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी होने का खतरा बढ़ाते हैं। यह एक गंभीर स्थिति है जिससे हार्ट फेलियर या सडेन कार्डियक डेथ का खतरा बढ़ जाता है।

बेंगलुरु में किए गए इस अध्ययन में दक्षिण भारतीय हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी वाले मरीजों के एक बड़े ग्रुप के जीन सीक्वेंस का अध्ययन किया गया। करीब 1,558 लोगों पर किए गए इस अध्ययन में अधिकतर लोगों में ऐसे  जेनेटिक म्यूटेशन की पहचान की गई है जो हृदय रोगों का खतरा बढ़ाने वाले हो सकते हैं। इसके विपरीत उत्तर भारतीय लोगों में इसका जोखिम अपेक्षाकृत कम देखा गया। 

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हृदय स्वास्थ्य की समस्याएं - फोटो : Freepik.com

हृदय स्वास्थ्य पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत

विशेषज्ञों की टीम ने उम्मीद जताई है कि यह अध्ययन भारत में पर्सनलाइज्ड मेडिसिन के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती। आबादी-विशिष्ट जेनेटिक मार्कर की पहचान के साथ, डॉक्टर अब लक्षित डायग्नोस्टिक टूल और विशेष इलाज विकसित करने की दिशा में काम कर सकते हैं, जिससे दक्षिण भारतीय मरीजों में हृदय रोगों की शुरुआती पहचान और लंबे समय तक चलने वाले क्लिनिकल नतीजों में सुधार हो सकता है।


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स्रोत
Clinically Actionable Hypertrophic Cardiomyopathy Genes in South Asian Indian Patients


अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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