Side Effect Of Using Air Purifiers: सर्दियों के दस्तक देते ही शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा हो जाता है, जिससे बचने के लिए लोग अपने घरों और दफ्तरों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ये मशीनें घर के अंदर के को 400-500 से घटाकर 10-50 के सुरक्षित स्तर तक ले आती हैं। मगर हेल्थ एक्सपर्ट्स इसको लेकर एक नई और गंभीर चुनौती की ओर इशारा किया है। जब आप घंटों तक घर की शुद्ध हवा में रहते हैं, तो आपके फेफड़े और श्वसन तंत्र उस वातावरण के अभ्यस्त हो जाते हैं।
Air Pollution: एयर प्यूरीफायर यूज करने वाले जरूर जान लें ये बातें, वरना बढ़ सकती है आपकी परेशानी
Pros and Cons Of Air Purifiers: जो लोग एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करते हैं, उनके लिए कुछ अन्य चुनौतियां बढ़ जाती हैं। साथ ही एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करते समय कुछ सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी हैं। आइए इस लेख में इसी के बारे में जानते हैं कि एयर प्यूरीफायर के क्या साइड इफेक्ट हो सकते हैं।
'क्लीन एयर टॉलरेंस' और शरीर की प्रतिक्रिया
लगातार शुद्ध हवा में रहने से शरीर की प्रदूषकों के प्रति सहने की क्षमता कम होने लगती है। जब आप अचानक प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं, तो वायुमार्ग संकुचित हो जाते हैं। यह स्थिति उन लोगों के लिए और भी घातक है जिन्हें अस्थमा या ब्रोंकाइटिस है, क्योंकि उनके शरीर का नेचुरल डिफेंस मैकेनिज्म इस भारी बदलाव को संभाल नहीं पाता और तुरंत अटैक या संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
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प्यूरीफायर की मेंटेनेंस
प्यूरीफायर का उपयोग केवल उसे ऑन करने तक सीमित नहीं है। अगर आप समय-समय पर इसके HEPA और कार्बन फिल्टर को साफ नहीं करते, तो यह हवा को शुद्ध करने के बजाय जहरीली गैसें और जमा हुए बैक्टीरिया फेंकने लगता है। कई लोग खिड़की-दरवाजे खोलकर प्यूरीफायर चलाते हैं, जिससे मशीन पर दबाव बढ़ता है और वह बड़े कणों को तो रोक लेती है, लेकिन सूक्ष्म प्रदूषकों को साफ करने में विफल रहती है।
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मानसिक सतर्कता और एकाग्रता पर असर
अध्ययन बताते हैं कि प्रदूषित और शुद्ध हवा के बीच बार-बार आने-जाने से केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। अचानक प्रदूषित हवा में जाने से सिरदर्द, चक्कर आना और मानसिक धुंधलापन महसूस हो सकता है। यह 'शॉक' शरीर में तनाव पैदा करने वाले हार्मोन को सक्रिय कर देता है, जिससे चिड़चिड़ापन और काम में फोकस की कमी होने लगती है।
एयर प्यूरीफायर का उपयोग बंद न करें, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि बाहर निकलते समय N95 मास्क का अनिवार्य उपयोग करें ताकि बाहर की हवा का प्रभाव सीधे फेफड़ों पर न पड़े। साथ ही कोशिश करें कम से कम घर से बाहर जाने की जरूरत पड़े। घर के अंदर के वातावरण को 0 के बजाय 100-150 के 'मध्यम' स्तर पर रखने की कोशिश करें ताकि शरीर पूरी तरह से कृत्रिम हवा पर निर्भर न हो जाए। साथ ही डाइट में एंटीऑक्सीडेंट्स बढ़ाएं और पर्याप्त पानी पिएं ताकि शरीर अंदर से मजबूत रहे।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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