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Heatwave: फरवरी के बाद अप्रैल में भी टूटा गर्मी का रिकॉर्ड, सेहत के लिए बढ़ रही मुश्किलें; आप कितने सुरक्षित?
हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिलाष श्रीवास्तव
Updated Mon, 12 May 2025 12:54 PM IST
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सार
पहले ही साल 2025 की फरवरी अब तक की तीसरी सबसे गर्म फरवरी थी, वहीं हालिया डेटा से पता चलता है कि इस साल अप्रैल ने भी भीषण गर्मी का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। दुनियाभर में इस साल का अप्रैल दूसरा सबसे गर्म अप्रैल रहा है। कई राज्यों में हीट स्ट्रोक के मामले बढ़ते जा रहे हैं।

हीटस्ट्रोक और इसके कारण होने वाली समस्याएं
- फोटो : Freepik.com

विस्तार
देशभर में इन दिनों भीषण गर्मी का प्रकोप देखा जा रहा है। कई राज्यों में पारा 40 के पार बना हुआ है। 12 मई (सोमवार) को राजधानी दिल्ली-एनसीआर में पारा 39 डिग्री दर्ज किया गया। मौसम विभाग के पूर्वानुमानों के मुताबिक इस साल गर्मी कई सारे रिकॉर्ड्स तोड़ सकती है।
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पहले ही साल 2025 की फरवरी अब तक की तीसरी सबसे गर्म फरवरी थी, वहीं हालिया डेटा से पता चलता है कि इस साल अप्रैल ने भी भीषण गर्मी का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। दुनियाभर में इस साल का अप्रैल दूसरा सबसे गर्म अप्रैल रहा है।
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यूरोपीय जलवायु एजेंसी कोपरनिकस ने एक हालिया रिपोर्ट में बताया कि अप्रैल 2025 में गर्मी लोगों के लिए काफी जटिलताओं से भरी हुई रही है। इसके साथ ही बीते 12 महीनों का औसत तापमान औद्योगिक क्रांति (1850-1900) के शुरुआती तापमान के मुकाबले 1.58 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बढ़ती गर्मी हमारी सेहत के लिए कई प्रकार से समस्याकारक हो सकती है। इसका असर संपूर्ण स्वास्थ्य पर देखा जाता रहा है। इसके अलावा जिन लोगों को पहले से ही किसी प्रकार की क्रॉनिक बीमारी रही है, उन्हें गर्मी के कारण और भी दिक्कतें हो सकती हैं।

बढ़ता पारा बढ़ा रहा है दिक्कतें
- फोटो : ANI
इस साल की फरवरी भी थी काफी गर्म
इससे पहले यूरोपियन कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) ने एक रिपोर्ट में बताया था कि इस साल फरवरी का महीना 125 साल में अब तक का तीसरा सबसे गर्म फरवरी था। इस दौरान सतह के पास तापमान 1850 से 1900 की तुलना में 1.59 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया।
विशेषज्ञ कहते हैं, जलवायु परिवर्तन की वजह से वैश्विक तापमान में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है, इससे गंभीर बीमारियों के बढ़ने का भी खतरा हो सकता है जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।
अब अप्रैल में गर्मी के कई सारे रिकॉर्ड्स तोड़ रही है।
इससे पहले यूरोपियन कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) ने एक रिपोर्ट में बताया था कि इस साल फरवरी का महीना 125 साल में अब तक का तीसरा सबसे गर्म फरवरी था। इस दौरान सतह के पास तापमान 1850 से 1900 की तुलना में 1.59 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया।
विशेषज्ञ कहते हैं, जलवायु परिवर्तन की वजह से वैश्विक तापमान में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है, इससे गंभीर बीमारियों के बढ़ने का भी खतरा हो सकता है जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।
अब अप्रैल में गर्मी के कई सारे रिकॉर्ड्स तोड़ रही है।

हीटस्ट्रोक का बढ़ रहा है खतरा
- फोटो : Freepik.com
महाराष्ट्र में 10 मार्च अप्रैल के दौरान 70 से अधिक हीट स्ट्रोक के मामले
बढ़ती गर्मी और इसके कारण हीट स्ट्रोक के मामलों में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अकेले महाराष्ट्र में मार्च-अप्रैल के दौरान हीट स्ट्रोक के 70 से अधिक मामले रिपोर्ट किए गए। हीट स्ट्रोक के कारण संभावित तीन मौतें भी देखी गई हैं।
राजधानी दिल्ली के अस्पतालों से मिल रही जानकारियों के मुताबिक यहां रोजाना 20-30 मरीज गर्मी और इसके कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं की शिकायत के साथ आ रहे हैं। ज्यादातर लोगों को तेज बुखार, पेट दर्द, नाड़ी तेज चलने, सांस की तकलीफ और हार्ट रेट बढ़ने की दिक्कतें हो रही हैं।
बढ़ती गर्मी और इसके कारण हीट स्ट्रोक के मामलों में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अकेले महाराष्ट्र में मार्च-अप्रैल के दौरान हीट स्ट्रोक के 70 से अधिक मामले रिपोर्ट किए गए। हीट स्ट्रोक के कारण संभावित तीन मौतें भी देखी गई हैं।
राजधानी दिल्ली के अस्पतालों से मिल रही जानकारियों के मुताबिक यहां रोजाना 20-30 मरीज गर्मी और इसके कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं की शिकायत के साथ आ रहे हैं। ज्यादातर लोगों को तेज बुखार, पेट दर्द, नाड़ी तेज चलने, सांस की तकलीफ और हार्ट रेट बढ़ने की दिक्कतें हो रही हैं।

गर्मी के कारण होने वाली समस्याएं
- फोटो : Freepik.com
क्रॉनिक बीमारियों के शिकार लोगों को लिए बढ़ सकती हैं दिक्कतें
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बढ़ती गर्मी पर्यावरण के लिए तो चुनौतीपूर्ण है ही साथ ही इसका सेहत पर भी कई प्रकार से नकारात्मक असर हो सकता है। विशेषतौर पर जिन लोगों को पहले से क्रॉनिक बीमारियों की समस्या- जैसे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हृदय संबंधित दिक्कतें रही हैं उनके लिए इस तरह का मौसम गंभीर समस्याओं को बढ़ाने वाला हो सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, गर्म मौसम और हीटवेव किसी को भी प्रभावित कर सकता है, इसके कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बढ़ती गर्मी पर्यावरण के लिए तो चुनौतीपूर्ण है ही साथ ही इसका सेहत पर भी कई प्रकार से नकारात्मक असर हो सकता है। विशेषतौर पर जिन लोगों को पहले से क्रॉनिक बीमारियों की समस्या- जैसे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हृदय संबंधित दिक्कतें रही हैं उनके लिए इस तरह का मौसम गंभीर समस्याओं को बढ़ाने वाला हो सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, गर्म मौसम और हीटवेव किसी को भी प्रभावित कर सकता है, इसके कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
- जैसे-जैसे आपका शरीर बढ़ते तापमान के कारण गर्म होता जाता है, आपकी रक्त वाहिकाएं फैलने लगती हैं, जिससे रक्तचाप कम हो जाता है।
- इसके कारण आपके दिल को पूरे शरीर में रक्त का संचार करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
- ये मौसम हृदय के मरीजों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- इन महीनों में बरती गई थोड़ी भी लापरवाही आपके स्वास्थ्य के लिए दिक्कतें बढ़ाने वाली हो सकती है।
गर्मी से होने वाली बीमारियों में चक्कर आना, बेहोशी, मतली और सिरदर्द आम हैं, पर कुछ जटिलताएं जानलेवा भी हो सकती हैं। ये मौसम किडनी की समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

गर्मी से बचाव के लिए करिए जरूरी उपाय
- फोटो : Adobe Stock
क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?
अमर उजाला से बातचीत में दिल्ली स्थित एक निजी अस्पताल में जनरल मेडिसिन के डॉक्टर आकाश कौशल सिंह बताते हैं, जब हमारा शरीर तापमान को ठीक तरीके से मैनेज कर पाने में असमर्थ हो जाता है तो इसके कारण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। इसके हल्के लक्षणों में चकत्ते, हाथों या पैरों में सूजन, चक्कर आना, अत्यधिक पसीना या बिल्कुल पसीना न आने के साथ मांसपेशियों में ऐंठन जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
इन समस्याओं से बचे रहने के लिए जरूरी है कि आप गर्मी से बचाव करते रहें, धूप में जाने से बचें और शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए निरंतर प्रयास करते रहें।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
अमर उजाला से बातचीत में दिल्ली स्थित एक निजी अस्पताल में जनरल मेडिसिन के डॉक्टर आकाश कौशल सिंह बताते हैं, जब हमारा शरीर तापमान को ठीक तरीके से मैनेज कर पाने में असमर्थ हो जाता है तो इसके कारण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। इसके हल्के लक्षणों में चकत्ते, हाथों या पैरों में सूजन, चक्कर आना, अत्यधिक पसीना या बिल्कुल पसीना न आने के साथ मांसपेशियों में ऐंठन जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
इन समस्याओं से बचे रहने के लिए जरूरी है कि आप गर्मी से बचाव करते रहें, धूप में जाने से बचें और शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए निरंतर प्रयास करते रहें।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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