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जो नहीं है, उसका रोना तो है पर जो है, उसकी खुशियां कहांं हैं
ऊर्जा डेस्क, अमर उजाला
Published by: मोना नारंग
Updated Sun, 30 Dec 2018 01:06 PM IST
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depression
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आपने कभी अनुभव किया है कि हमारे पैदा होने से लेकर जीवन पर्यंत तक बहुत सी चीजें हमारे साथ, हमारे लिए ऐसी होती हैं, जिनका कोई मोल नहीं है। लेकिन, हम उनके लिए कृतज्ञ नहीं होते हैं, बल्कि जो चीजें हमारे पास नहीं हैं, उसके लिए दुखी होते हैं। जब आप कृतज्ञता का अनुभव करने लगेंगे, तो इसके द्वारा आप जीवन की हर चीज को सही कर सकते हैं, बदल सकते हैं और सुधार कर सकते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, डेविस के मनोविज्ञान के प्रोफेसर और पॉजिटिव साइकोलॉजी जर्नल के संस्थापक मुख्य संपादक रॉबर्ट एमन्स का मानना है कि कृतज्ञता भलाई की पुष्टि है। हम पुष्टि करते हैं कि दुनिया में अच्छे सामान, उपहार और लाभ प्राप्त हुए हैं। एक मौलिक अध्ययन में, एमन्स और उनके साथी शोधकर्ता माइकल मैककुलो ने कुछ लोगों को तीन समूहों में विभाजित किया।
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यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, डेविस के मनोविज्ञान के प्रोफेसर और पॉजिटिव साइकोलॉजी जर्नल के संस्थापक मुख्य संपादक रॉबर्ट एमन्स का मानना है कि कृतज्ञता भलाई की पुष्टि है। हम पुष्टि करते हैं कि दुनिया में अच्छे सामान, उपहार और लाभ प्राप्त हुए हैं। एक मौलिक अध्ययन में, एमन्स और उनके साथी शोधकर्ता माइकल मैककुलो ने कुछ लोगों को तीन समूहों में विभाजित किया।
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पहले समूह के प्रतिभागियों को अपने पिछले हफ्ते के बारे में सोचकर उन पांच चीजों को लिखना था, जिनके लिए वे आभारी थे। दूसरे समूह के प्रतिभागियों को पांच परेशानियों या परेशान करने वाली चीजों अथवा अनुभवों को लिखने के लिए कहा गया था। तीसरे समूह के प्रतिभागियों को पिछले हफ्ते में प्रभावित करने वाली उन पांच घटनाओं को, चाहे वे सकारात्मक हों, नकारात्मक हों या तटस्थ हों, के बारे में सोचने और लिखने को कहा गया।
इस अभ्यास के 10 सप्ताह बाद निकाले गए परिणाम में पाया गया कि पहले समूह (कृतज्ञता जताने वाले) के प्रतिभागियों ने अपने जीवन के बारे में बेहतर महसूस किया। वे अपने आने वाले सप्ताह के बारे में अधिक उत्साहित थे और उनमें शारीरिक बीमारी के लक्षणों का कम अनुभव किया गया। इस निष्कर्ष के बाद कृतज्ञता को अवसाद को कम करने, सहानुभूति बढ़ाने, आत्म-सम्मान में सुधार करने और मानसिक लचीलापन बनाने के लिए उपयोगी बताया गया है।
इस अभ्यास के 10 सप्ताह बाद निकाले गए परिणाम में पाया गया कि पहले समूह (कृतज्ञता जताने वाले) के प्रतिभागियों ने अपने जीवन के बारे में बेहतर महसूस किया। वे अपने आने वाले सप्ताह के बारे में अधिक उत्साहित थे और उनमें शारीरिक बीमारी के लक्षणों का कम अनुभव किया गया। इस निष्कर्ष के बाद कृतज्ञता को अवसाद को कम करने, सहानुभूति बढ़ाने, आत्म-सम्मान में सुधार करने और मानसिक लचीलापन बनाने के लिए उपयोगी बताया गया है।
कृतज्ञ होने का मतलब है कि हमारे पास जो है, उसके लिए दिल से शुक्रगुजार होना एवं अनुभव करना। कृतज्ञता एक जादुई शब्द है, यह हमारे जीवन में जादू की तरह काम करता है और बहुत से लोगों ने जीवन में इसका उपयोग कर अपने जीवन को समृद्धशाली, खुशहाल, आनंदित एवं अनुकरणीय बनाया है। ज्यादातर लोग अपनी कमियों के बारे में बात करते हैं, दुखों के बारे में बात करते हैं, असफलता के बारे में बात करते हैं, जिसके कारण वे दुखों से घिरे रहते हैं। क्योंकि यह एक सर्वव्यापी नियम है कि हम जो बात करेंगे, जिसकी बात करेंगे एवं जो अनुभव करेंगे, वही होगा, वही बढ़ेगा। यानी हम जिसकी बात करेंगे और जैसा अनुभव करेंगे, हमारे साथ वैसा ही होगा।
हम यह भूल जाते हैं कि दुख की घड़ियों के बीच, असफलता एवं कमी के वातावरण में भी हमारे साथ कुछ ऐसा होता है, कुछ ऐसा रहता है, जिसका हम शुक्रगुजार हो सकते हैं, आभार व्यक्त कर सकते हैं एवं कृतज्ञ अनुभव कर सकते हैं। लेकिन, हम ऐसा नहीं करते हैं, जिसके कारण हमारे पास जो होता है, वह भी हमसे दूर हो जाता है। ईसा मसीह अपने हर कार्य के पहले धन्यवाद कहते थे। वह ईश्वर के प्रति कृतज्ञता जताते थे कि ईश्वर ने उन्हें उस कार्य को करने के लिए प्रेरणा और शक्ति प्रदान की। जो हमारे पास है, उसका कृतज्ञ होना, हमारे लिए और बहुत सी चीजें जो हमारे पास नहीं है, उनको पाने का मार्ग खोलता है।
हम यह भूल जाते हैं कि दुख की घड़ियों के बीच, असफलता एवं कमी के वातावरण में भी हमारे साथ कुछ ऐसा होता है, कुछ ऐसा रहता है, जिसका हम शुक्रगुजार हो सकते हैं, आभार व्यक्त कर सकते हैं एवं कृतज्ञ अनुभव कर सकते हैं। लेकिन, हम ऐसा नहीं करते हैं, जिसके कारण हमारे पास जो होता है, वह भी हमसे दूर हो जाता है। ईसा मसीह अपने हर कार्य के पहले धन्यवाद कहते थे। वह ईश्वर के प्रति कृतज्ञता जताते थे कि ईश्वर ने उन्हें उस कार्य को करने के लिए प्रेरणा और शक्ति प्रदान की। जो हमारे पास है, उसका कृतज्ञ होना, हमारे लिए और बहुत सी चीजें जो हमारे पास नहीं है, उनको पाने का मार्ग खोलता है।
कृतज्ञता की भावना विकसित करना एक ऐसा कौशल है, जो वास्तव में आपके जीवन के हर पहलू को बेहतर बना सकता है। आपको कुछ भी अच्छा होने की प्रतीक्षा नहीं करना है, अगर आप सबसे खराब संभव जीवन नहीं जी रहे हैं, तो ऐसा कुछ ढूंढना आसान हो सकता है, जिसके लिए आप आभारी हैं। चाहे आप उन सभी बुरी चीजों के बारे में सोचकर ऐसा करते हैं, जो आपके साथ नहीं हुए हैं या साधारण चीजों की सुंदरता को पहचानकर, आप अपने जीवन के हर पल में कल्याण महसूस कर सकते हैं।
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हमारे पास जो कुछ भी है, उसके लिए हम ईश्वर, परिजनों एवं दोस्तों के प्रति लगातार कृतज्ञता जताते हैं, तो यह एक सकारात्मक सामाजिक क्रिया है। इस दौरान मस्तिष्क और शरीर में न्यूरो केमिकल बदलाव होता है। मस्तिष्क में ऑक्सीटोसिन और सेरोटोनिन जैसे हार्मोन्स का स्त्राव बढ़ जाता है, जिससे हम बेहतर, संतुष्ट और खुशी महसूस करते हैं। इसके फलस्वरूप हमारा शुगर और बीपी संतुलित रहता है। तनाव पैदा करने वाले रसायन का स्त्राव कम हो जाता है। इससे दिनोंदिन हमारी जिंदगी बेहतर होती जाती है। नींद अच्छी आती है और हमारी उम्र में वृद्धि होती है।
-डॉ. अजय निहलानी, मनोचिकित्सक
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हमारे पास जो कुछ भी है, उसके लिए हम ईश्वर, परिजनों एवं दोस्तों के प्रति लगातार कृतज्ञता जताते हैं, तो यह एक सकारात्मक सामाजिक क्रिया है। इस दौरान मस्तिष्क और शरीर में न्यूरो केमिकल बदलाव होता है। मस्तिष्क में ऑक्सीटोसिन और सेरोटोनिन जैसे हार्मोन्स का स्त्राव बढ़ जाता है, जिससे हम बेहतर, संतुष्ट और खुशी महसूस करते हैं। इसके फलस्वरूप हमारा शुगर और बीपी संतुलित रहता है। तनाव पैदा करने वाले रसायन का स्त्राव कम हो जाता है। इससे दिनोंदिन हमारी जिंदगी बेहतर होती जाती है। नींद अच्छी आती है और हमारी उम्र में वृद्धि होती है।
-डॉ. अजय निहलानी, मनोचिकित्सक