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डिप्रेशन से खुद को रखना चाहते हैं दूर तो फिल्मों का लें सहारा, रिसर्च में हुआ खुलासा
ऊर्जा डेस्क, अमर उजाला
Published by: मोना नारंग
Updated Sun, 30 Dec 2018 12:33 PM IST
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सिनेमा, थिएटर या संग्रहालय जैसी सांस्कृतिक गतिविधियों के नियमित रूप से संपर्क में रहने से बुजुर्ग अवसाद से दूर रह सकते हैं। एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। अध्ययन में सामने आया कि वे लोग जो प्रत्येक दो-तीन महीने में फिल्में, नाटक या प्रदर्शनी देखते हैं, उनमें अवसाद विकसित होने का जोखिम 32 फीसदी कम होता है, वहीं जो महीने में एक बार यह सब चीजें करते हैं, उनमें 48 फीसदी तक कम जोखिम रहता है।
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ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की वरिष्ठ रिसर्च एसोसिएट डेजी फैनकोर्ट कहती हैं कि लोग मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़ते हैं, लेकिन हमें इसके व्यापक फायदों के बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइकियाट्री में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, इन सांस्कृतिक गतिविधियों की शक्ति सामाजिक संपर्क, रचनात्मकता, मानसिक उत्तेजना और सौम्य शारीरिक गतिविधि के संयोजन में निहित है, जो उन्हें प्रोत्साहित करती है।
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फैनकोर्ट के मुताबिक, सांस्कृतिक जुड़ाव वह सामान्य चीज है, जिससे हम मानसिक स्वास्थ्य की सक्रिय रूप से मदद कर सकते हैं, ताकि वह उस बिंदु तक न पहुंचे, जहां हमें किसी पेशेवर चिकित्सा मदद लेने की जरूरत आ पड़े। अध्ययन के निष्कर्षों से पता चला है कि बुजुर्गों में बेचैनी बढ़ने के लक्षण एमिलॉइड बीटा स्तरों में वृद्धि के साथ जुड़े हो सकते हैं, जो अल्जाइमर रोग के बढ़ने का एक प्रमुख कारक है। शोध के दौरान जब अवसाद के अन्य लक्षणों जैसे दुख और एकाग्रता में कमी से तुलना की गई, तो घबराहट के लक्षण मस्तिष्क में बीटा स्तर बढ़ने से जुड़े पाए गए।