Vishwakarma Puja: भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में बनाया था यह चमत्कारी मंदिर, जानिए क्यों है ये खास
Vishwakarma Puja: अगर आप विश्वकर्मा जयंती पर कोई खास यात्रा करना चाहते हैं, तो इस रहस्यमयी मंदिर के दर्शन ज़रूर करें।

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Vishwakarma Puja 2025 Kab hai: हर साल 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा और विश्वकर्मा जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का प्रथम शिल्पकार, वास्तुकार और इंजीनियर कहा जाता है। उनकी बनाई अद्भुत कृतियों की झलक आज भी भारत के कई प्राचीन मंदिरों और स्थापत्य कला में देखने को मिलती है।

इन्हीं में से एक है बिहार के औरंगाबाद जिले का सूर्य मंदिर, जिसे भगवान विश्वकर्मा ने स्वयं अपने हाथों से एक ही रात में निर्मित किया था। यह मंदिर स्थापत्य, शिल्पकला और धार्मिक आस्था का दुर्लभ संगम है, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु और पर्यटक दर्शन करने पहुंचते हैं।
औरंगाबाद का सूर्य मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि अपनी स्थापत्य कला और ऐतिहासिक मान्यता के कारण एक अद्भुत पर्यटन स्थल भी है। अगर आप विश्वकर्मा जयंती पर कोई खास यात्रा करना चाहते हैं, तो इस रहस्यमयी मंदिर के दर्शन ज़रूर करें।
औरंगाबाद का सूर्य मंदिर विश्वकर्मा जी की है अनोखी रचना
औरंगाबाद जिले में स्थित यह सूर्य मंदिर अपनी अद्वितीय वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि मंदिर का निर्माण त्रेता युग में भगवान विश्वकर्मा ने मात्र एक रात में किया था। यहां भगवान सूर्य सात घोड़ों के रथ पर विराजमान हैं और उनके तीन रूप उदयाचल (प्रातः सूर्य), मध्याचल (मध्य सूर्य) और अस्ताचल (अस्त सूर्य) के दर्शन होते हैं।
क्यों खास है औरंगाबाद का सूर्य मंदिर?
- यह देश का एकमात्र सूर्य मंदिर है जिसका द्वार पश्चिम दिशा की ओर खुलता है, जबकि अन्य सभी सूर्य मंदिर पूर्वाभिमुख हैं।
- मंदिर लगभग 100 फीट ऊंचा है और इसका निर्माण बिना सीमेंट-गारा के केवल काटे गए पत्थरों को जोड़कर हुआ है।
- मंदिर के पत्थर काले और भूरे रंग के हैं, जो इसे एक अलग ही भव्यता प्रदान करते हैं।
- स्थापत्य कला में यह मंदिर ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर से मेल खाता है।
- मंदिर के बाहर लगे शिलालेख में ब्राह्मी लिपि में लिखा है कि इसका निर्माण 12 लाख 16 वर्ष पहले त्रेता युग में हुआ था।
कैसे पहुंचे सूर्य मंदिर?
- इस मंदिर में दर्शन के लिए आना चाहते हैं तो हवाई मार्ग के जरिए यात्रा के लिए औरंगाबाद से नजदीकी एयरपोर्ट पटना जाएं। यहां से करीब 180 किमी दूर मंदिर स्थित है।
- रेल मार्ग से यात्रा के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन औरंगाबाद है, जहां से मंदिर कुछ ही किलोमीटर दूर है।
- औरंगाबाद शहर से मंदिर मात्र 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए टैक्सी और बस सेवा आसानी से उपलब्ध है।
आसपास के पर्यटन स्थल
- यहां देवकुंड नाम का प्राचीन शिव मंदिर स्थित है जो अपने खूबसूरत प्राकृतिक झरने के लिए प्रसिद्ध है।
- दर्शन के लिए भगवान विष्णु का प्राचीन मंदिर उमगा भी जा सकते हैं, जो सूर्य मंदिर की तरह अद्भुत वास्तुकला का उदाहरण है।
- पवई, माली और चंदनगढ़ पुरातत्व और ऐतिहासिक रुचि रखने वालों के लिए खास जगह हैं।
- पास में स्थित पीरू राजा हर्षवर्धन के दरबार के प्रसिद्ध कवि भट्ट का ऐतिहासिक स्थल है।