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World Heritage Week 2025: आज से विश्व धरोहर सप्ताह की हुई शुरुआत, जानिए इतिहास, महत्व और थीम
लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवानी अवस्थी
Updated Wed, 19 Nov 2025 04:04 PM IST
सार
World Heritage Week 2025: एक बार विरासत दिवस भी मनाया जाता है,ऐसे में विश्व धरोहर सप्ताह मनाने की जरूरत क्यों महसूस हुई। नवंबर में ही विश्व धरोहर सप्ताह क्यों मनाया जाता है। इस सप्ताह को शुरू करने का कारण, इतिहास और महत्व जानिए।
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विश्व धरोहर सप्ताह
- फोटो : Adobe
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विस्तार
World Heritage Week 2025: विश्व धरोहर सप्ताह हर साल 19 नवंबर से 25 नवंबर तक मनाया जाता है। यह सप्ताह सिर्फ पर्यटन-प्रचार का मौका नहीं है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ाने का समय है। भारत जैसे ऐतिहासिक सभ्यताओं और प्राचीन स्थलों से भरे देश के लिए यह सप्ताह विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह हमें याद दिलाता है कि हमारी मिट्टी में बसे विश्व धरोहर स्थल सिर्फ पुरातात्विक अवशेष नहीं, बल्कि हमारी पहचान और जिम्मेदारी हैं।
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विश्व धरोहर सप्ताह सिर्फ एक जश्न नहीं आह्वान है कि प्राचीन धरोहरों की रक्षा की जिम्मेदारी उठाएं। हर साल विश्व धरोहर सप्ताह की एक खास थीम होती है जो याद दिलाती है कि समय, संघर्ष और प्राकृतिक आपदाएं हमारी विरासत पर मंडरा रही हैं। हालांकि साल में एक बार विरासत दिवस भी मनाया जाता है,ऐसे में विश्व धरोहर सप्ताह मनाने की जरूरत क्यों महसूस हुई। नवंबर में ही विश्व धरोहर सप्ताह क्यों मनाया जाता है। इस सप्ताह को शुरू करने का कारण, इतिहास और महत्व जानिए।
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विश्व धरोहर सप्ताह का इतिहास
विश्व धरोहर दिवस जिसे International Day for Monuments and Sites भी कहा जाता है, हर साल 18 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन पहली बार 1983 में ICOMOS की पहल पर स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य विश्वभर की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत की महत्ता पर ध्यान देना और उसे संरक्षित रखने की अपील करना है।
हालांकि विश्व धरोहर सप्ताह प्रत्येक वर्ष 19 से 25 नवंबर 2025 को यूनेस्को और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नेतृत्व में मनाया जाता है। यह सप्ताह पुरातत्त्व विभागों, स्कूलों और स्थानीय प्रशासनों को सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शनी, व्याख्यान आदि के माध्यम से विरासत संरक्षण की ओर आम जनता को जोड़ने का अवसर देता है।
विश्व धरोहर सप्ताह का महत्व
- यह सप्ताह लोगों में यह समझ पैदा करता है कि धरोहर सिर्फ पुरानी इमारतें नहीं हैं। वे हमारी ऐतिहासिक पहचान और सांस्कृतिक आत्मा हैं।
- आपदाओं, युद्धों, अतिक्रमण और जलवायु परिवर्तन जैसे खतरों के संदर्भ में विरासत स्थलों की स्थिति गंभीर है। इस सप्ताह के दौरान नीतिनिर्माताओं, संरक्षणकर्ताओं और स्थानीय समुदायों को मिलकर रणनीति बनाने का अवसर मिलता है।
- स्कूलों, कॉलेजों और स्थानीय संगठनों द्वारा व्याख्यान, प्रदर्शनी, प्रश्नोत्तरी और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ आयोजित की जाती हैं। उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश में राज्य संग्रहालयों में 19 नवंबर से व्याख्यान और चित्रकला प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं।
- यह सप्ताह संरक्षण नीतियों, डिजिटल दस्तावेजीकरण जैसे राष्ट्रीय मिशन ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड एंटिक्विटीज़ और सीएसआर-सहभागिता जैसी पहलों को नए उद्देश्य देने में सहायक होता है।
- धरोहर स्थलों को बढ़ावा देने से पर्यटन को भी मजबूती मिलती है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होता है। हालांकि, बढ़ता पर्यटक प्रवाह संरक्षण के दृष्टिकोण से चुनौतियां भी ला सकता है। इसलिए संतुलन बनाए रखना ज़रूरी है।