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World COPD Day 2025: प्रदूषण से आपके फेफड़ों में हो रही है ये गंभीर बीमारी, ये लक्षण दिखते ही हो जाएं अलर्ट

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिखर बरनवाल Updated Wed, 19 Nov 2025 12:37 PM IST
सार

COPD Risk Delhi: दिल्ली में एक्यूआई अभी भी 400+ बना हुआ है, आज वर्ल्ड सीओपीडी डे है। आइए इस लेख में जानते हैं कि दिल्ली की जहरीली हवा किस तरह फेफड़ों को स्थायी रूप से प्रभावित कर रही है। आइए इस लेख में इसी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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वर्ल्ड सीओपीडी डे 2025 - फोटो : Amar Ujala

World COPD Day 2025: दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बीते कई दिनों से खतरनाक श्रेणी पर बना हुआ है। बीते कई दिनों से दिल्ली का औसत वायु सूचकांक 400+ है। हर साल नवंबर के तीसरे बुधवार को वर्ल्ड सीओपीडी डे मनाया जाता है। इस साल यह दिन आज यानी 19 नवंबर को है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के बारे में जागरूक करना है। सीओपीडी श्वसन और फेफड़ों से जुड़ी एक बेहद गंभीर बीमारी है, जिसमें फेफड़ों स्थायी रूप से प्रभावित होते हैं।



विश्व सीओपीडी दिवस के इस खास मौके पर आइए जानते हैं कि दिल्ली और एनसीआर में रहने वाले लोगों में वायु प्रदूषण फेफड़ों को कैसे स्थायी रूप से प्रभावित कर रहा है। वैसे तो इस बीमारी का मुख्य कारण धूम्रपान है, लेकिन दिल्ली में वायु प्रदूषण, खासकर PM2.5 जैसे सूक्ष्म कणों का अधिक स्तर, अब इस बीमारी का दूसरा सबसे बड़ा और तेजी से बढ़ता कारण बन गया है।

ये अदृश्य कण इतने छोटे होते हैं कि वे फेफड़ों के सबसे भीतरी हिस्सों तक पहुंच जाते हैं, वायुकोषों को क्षतिग्रस्त करते हैं और सांस की नलियों में स्थायी सूजन पैदा करते हैं। प्रदूषित हवा में लंबे समय तक रहने से फेफड़ों का यह नुकसान धीरे-धीरे जमा होता रहता है, और 30 या 40 की उम्र के बाद इसके लक्षण सामने आने लगते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जो लोग कभी धूम्रपान नहीं करते थे, वे भी अब प्रदूषण-जनित सीओपीडी के शिकार हो रहे हैं। यह एक दबे पांव शरीर में घर करने वाली महामारी है जिसके प्रति तुरंत जागरूकता और बचाव के उपाय अपनाना आवश्यक है।

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फेफड़ों को स्थायी नुकसान - फोटो : Freepik.com

फेफड़ों को स्थायी नुकसान
दिल्ली का प्रदूषण में मौजूद PM2.5 कण सीओपीडी के जोखिम कई गुना बढ़ा देते हैं। ये कण इतने छोटे होते हैं कि इन्हें फेफड़ों के प्राकृतिक फिल्टर रोक नहीं पाते। फेफड़ों के अंदर पहुंचकर, ये कण लगातार सूजन पैदा करते हैं।

यह पुरानी सूजन सांस की नलियों को संकुचित कर देती है और फेफड़ों के ऊतकों को नष्ट कर देती है। यह नुकसान स्थायी होता है, जिसका अर्थ है कि एक बार फेफड़ों की कार्यक्षमता कम होने के बाद, इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता।


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फेफड़ों की गंभीर बीमारी - फोटो : Adobe Stock

शुरुआती लक्षण जिन्हें न करें नजरअंदाज
सीओपीडी के शुरुआती लक्षण अक्सर सामान्य सर्दी-खांसी जैसे लगते हैं, इसलिए लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। इनमें लगातार बनी रहने वाली खांसी (जो 3 महीने से अधिक हो), बलगम का लगातार उत्पादन, और सांस फूलना शामिल है।

अगर आपको हल्की शारीरिक गतिविधि (जैसे सीढ़ियां चढ़ना) के दौरान भी सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है, तो यह फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी का संकेत हो सकता है। समय पर स्पाइरोमेट्री टेस्ट से इसका पता लगाया जा सकता है।


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बचाव के लिए के क्या करें? - फोटो : Adobe Stock

बचाव के लिए अपनाएं ये आवश्यक उपाय
प्रदूषण से प्रेरित सीओपीडी के खतरे को कम करने के लिए सतर्कता जरूरी है। सबसे पहले, धूम्रपान तुरंत छोड़ दें, क्योंकि यह प्रदूषण के साथ मिलकर जोखिम को कई गुना बढ़ा देता है। दूसरा, अधिक AQI वाले दिनों में घर के अंदर रहें और बाहर निकलने पर N95/N99 मास्क का उपयोग करें। घर के अंदर की हवा को शुद्ध रखने के लिए HEPA फिल्टर वाले एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।

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वायु प्रदूषण - फोटो : Adobe Stock
समय पर निदान और उपचार का महत्व
सीओपीडी एक लाइलाज बीमारी है, लेकिन समय पर निदान और उचित उपचार (जैसे इनहेलर्स और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन) इस बीमारी को धीमा कर सकते हैं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं। 40 वर्ष से अधिक उम्र के ऐसे लोग जो लंबे समय से प्रदूषित हवा में रह रहे हैं या धूम्रपान करते हैं, उन्हें नियमित रूप से अपने फेफड़ों की जांच करानी चाहिए। जागरूकता ही इस रोग से बचाव का एकमात्र रास्ता है।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
 
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