World COPD Day 2025: दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बीते कई दिनों से खतरनाक श्रेणी पर बना हुआ है। बीते कई दिनों से दिल्ली का औसत वायु सूचकांक 400+ है। हर साल नवंबर के तीसरे बुधवार को वर्ल्ड सीओपीडी डे मनाया जाता है। इस साल यह दिन आज यानी 19 नवंबर को है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के बारे में जागरूक करना है। सीओपीडी श्वसन और फेफड़ों से जुड़ी एक बेहद गंभीर बीमारी है, जिसमें फेफड़ों स्थायी रूप से प्रभावित होते हैं।
World COPD Day 2025: प्रदूषण से आपके फेफड़ों में हो रही है ये गंभीर बीमारी, ये लक्षण दिखते ही हो जाएं अलर्ट
COPD Risk Delhi: दिल्ली में एक्यूआई अभी भी 400+ बना हुआ है, आज वर्ल्ड सीओपीडी डे है। आइए इस लेख में जानते हैं कि दिल्ली की जहरीली हवा किस तरह फेफड़ों को स्थायी रूप से प्रभावित कर रही है। आइए इस लेख में इसी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
फेफड़ों को स्थायी नुकसान
दिल्ली का प्रदूषण में मौजूद PM2.5 कण सीओपीडी के जोखिम कई गुना बढ़ा देते हैं। ये कण इतने छोटे होते हैं कि इन्हें फेफड़ों के प्राकृतिक फिल्टर रोक नहीं पाते। फेफड़ों के अंदर पहुंचकर, ये कण लगातार सूजन पैदा करते हैं।
यह पुरानी सूजन सांस की नलियों को संकुचित कर देती है और फेफड़ों के ऊतकों को नष्ट कर देती है। यह नुकसान स्थायी होता है, जिसका अर्थ है कि एक बार फेफड़ों की कार्यक्षमता कम होने के बाद, इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता।
ये भी पढ़ें- World COPD Day 2025: अस्थमा से कितना अलग है सीओपीडी, क्या ये दोनों एक ही बीमारी हैं?
शुरुआती लक्षण जिन्हें न करें नजरअंदाज
सीओपीडी के शुरुआती लक्षण अक्सर सामान्य सर्दी-खांसी जैसे लगते हैं, इसलिए लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। इनमें लगातार बनी रहने वाली खांसी (जो 3 महीने से अधिक हो), बलगम का लगातार उत्पादन, और सांस फूलना शामिल है।
अगर आपको हल्की शारीरिक गतिविधि (जैसे सीढ़ियां चढ़ना) के दौरान भी सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है, तो यह फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी का संकेत हो सकता है। समय पर स्पाइरोमेट्री टेस्ट से इसका पता लगाया जा सकता है।
ये भी पढ़ें- Health Tips: गर्भवती महिलाओं पर प्रदूषण के प्रभाव को लेकर डॉक्टर की चेतावनी, भूलकर भी ना करें ये गलतियां
बचाव के लिए अपनाएं ये आवश्यक उपाय
प्रदूषण से प्रेरित सीओपीडी के खतरे को कम करने के लिए सतर्कता जरूरी है। सबसे पहले, धूम्रपान तुरंत छोड़ दें, क्योंकि यह प्रदूषण के साथ मिलकर जोखिम को कई गुना बढ़ा देता है। दूसरा, अधिक AQI वाले दिनों में घर के अंदर रहें और बाहर निकलने पर N95/N99 मास्क का उपयोग करें। घर के अंदर की हवा को शुद्ध रखने के लिए HEPA फिल्टर वाले एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
सीओपीडी एक लाइलाज बीमारी है, लेकिन समय पर निदान और उचित उपचार (जैसे इनहेलर्स और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन) इस बीमारी को धीमा कर सकते हैं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं। 40 वर्ष से अधिक उम्र के ऐसे लोग जो लंबे समय से प्रदूषित हवा में रह रहे हैं या धूम्रपान करते हैं, उन्हें नियमित रूप से अपने फेफड़ों की जांच करानी चाहिए। जागरूकता ही इस रोग से बचाव का एकमात्र रास्ता है।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।