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Health Tips: भारत में 83 फीसदी मरीजों में हो सकते हैं दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया, स्टडी में हुआ खुलासा

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिखर बरनवाल Updated Wed, 19 Nov 2025 04:23 PM IST
सार

Antibiotic Resistance Se Bachav: अक्सर कुछ लोग खुद से ही एंटीबायोटिक्स की दवाएं खा लेते हैं। इतना ही नहीं इसके अलावा अगर डॉक्टर एंटीबायोटिक्स लिखता है तो उसका भी कोर्स नहीं पूरा करते हैं। इसी विषय पर एक चौंका देने वाला स्टडी सामने आया है, आइए इस लेख में इसी के बारे में जानते हैं।

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83 percent of patients in India may have drug-resistant bacteria study reveals
एनीमिया - फोटो : Freepik.com
Antibiotic Beasar Hone ke Karan: एक हालिया अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन में बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि भारत में 83 प्रतिशत मरीजों के शरीर में मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट ऑर्गनिज्म यानी दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया होने की संभावना है। एंडोस्कोपी से पहले मरीजों के नमूनों के विश्लेषण पर आधारित यह शोध बताता है कि ये 'सुपरबग्स' आसानी से उपलब्ध एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी बन चुके हैं। यह दर नीदरलैंड (10.8%) और अमेरिका (20.1%) जैसे देशों की तुलना में कई गुना अधिक है। 


भारत के एआईजी हॉस्पिटल्स, हैदराबाद सहित अन्य संस्थानों के शोधकर्ताओं ने जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया कि यह हाई स्प्रेड रेट इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारत में एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग अनियंत्रित है। यह स्थिति भविष्य में संक्रमणों के इलाज को अत्यंत मुश्किल और महंगा बना सकती है, क्योंकि आम दवाइयां बेअसर हो जाएंगी। यह न केवल वर्तमान स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के लिए, बल्कि भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी एक बड़ी चेतावनी है जिसके प्रति तुरंत जागरूकता और नीतिगत बदलाव की आवश्यकता है।

 
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दवा - फोटो : Adobe Stock Images

रिसर्च में भारत की स्थिति सबसे खतरनाक
यह अध्ययन जनवरी 2022 से अक्टूबर 2024 के बीच चार देशों (नीदरलैंड, भारत, इटली और अमेरिका) के 1,244 मरीजों के नमूनों पर किया गया था। कुल वैश्विक औसत 37% रहा, लेकिन भारत के लगभग 350 मरीजों में से 290 यानी 83.1% में एमडीआर किटाणु पाए गए।

एमडीआर या बहु-औषधि प्रतिरोध, एक गंभीर चिकित्सीय स्थिति है जिसमें बैक्टीरिया, वायरस या कवक कई एंटीबायोटिक या एंटीवायरल दवाओं के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लेते हैं। इन आंकड़ों के अनुसार भारत में किसी मरीज के शरीर में दवा प्रतिरोधी कीटाणु होने की संभावना नीदरलैंड के मरीज की तुलना में लगभग 100 गुना अधिक हो सकती है।


 
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दवाएं - फोटो : Freepik.com

किन कारणों से बढ़ रहा है यह जोखिम?
शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि दवा प्रतिरोधी कीटाणुओं को शरीर में ले जाने के जोखिम को कुछ अन्य कारक भी बढ़ाते हैं। इनमें पुरानी फेफड़ों की बीमारी या कंजेस्टिव हार्ट फेलियर जैसी मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियां शामिल हैं।

इसके अलावा जिन मरीजों का पहले पेनिसिलिन जैसी एंटीबायोटिक दवाओं का इतिहास रहा है, उनमें भी एमडीआर कीटाणु होने की आशंका अधिक पाई गई। यह दर्शाता है कि पहले लिए गए अनावश्यक या अधूरे एंटीबायोटिक कोर्स भी इस प्रतिरोध को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


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डॉक्टर के सलाह पर ही दवा खाएं - फोटो : Freepik.com

क्या बोले शोधकर्ता?
शोधकर्ताओं का स्पष्ट कहना है कि एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस एक वैश्विक समस्या है, लेकिन इससे निपटने के लिए हमें क्षेत्र-विशेष की रणनीतियों को अपनाना होगा। भारत में एमडीआर के अधिक प्रसार दर को देखते हुए, यह आवश्यक है कि मेडिकल प्रोसीजर (जैसे एंडोस्कोपी) से पहले मरीजों की स्क्रीनिंग की जाए।


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एंटीबायोटिक दवाओं का कोर्स पूरा करें - फोटो : Freepik.com
क्या करें?
इससे बचाव के लिए सबसे बड़ा सबक यह है कि बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक दवाएं न लें और कोर्स को कभी भी बीच में न छोड़ें। साथ ही डॉक्टर से यह सुनिश्चित करवाएं कि आपको दी जा रही एंटीबायोटिक उस विशेष संक्रमण के लिए जरूरी है या नहीं। जागरूकता और दवाओं का सही उपयोग ही इस 'सुपरबग' के खतरे को कम कर सकता है।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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