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Amar Ujala Samwad Live: पहलवान योगेश्वर दत्त बोले-हरियाणा के लोगों में जुनून है, ये आती है हमारी संस्कृति से

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गुरुग्राम Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Wed, 17 Dec 2025 11:51 AM IST
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खास बातें

Amar Ujala Samwad Haryana 2025 Live News Updates in Hindi: 'हरियाणा स्वर्णिम शताब्दी की ओर' थीम पर आधारित अमर उजाला संवाद कार्यक्रम की शुरुआत मंत्रोच्चर के साथ हुई। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने दीप प्रज्वलन कर किया। 

Haryana Samwad 2025 Live Updates CM Nayab Singh Saini Ram Dev Jaideep Ahlawat Arshad Warsi
Haryana Samwad - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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लाइव अपडेट

11:49 AM, 17-Dec-2025

सवाल - कैसा है ये जोश?

जैस्मिन ने कहा कि अभी जो लड़कियां हैं वो बहुत अच्छा कर रही हैं। सिर्फ बॉक्सिंग नहीं, बहुत से खेल है, चाहे वो बैडमिंटन हो रेसलिंग हो। हम जो समर्थन मिल रहा परिवार का, क्योंकि हमारे सीनियर ने एक मंच तैयार किया है। हमें एक पहचान दिखाई है कि हरियाणा खेलों में कितना अच्छा है। मतलब भारत का एक छाप छोड़ा है, वो हमारे लिए लाभदायक हो रहा है। परिवार वाले भी समझ रहे हैं, कि लड़कियां कर रही हैं और उन्हें भी समर्थन देना चाहिए। काफी अच्छा लगता है जब हम बाहर निकलते हैं और हरियाणा को अपनी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं।

11:45 AM, 17-Dec-2025

सवाल - आखिर कैसे हरियाणा खिलाड़ियों के अंदर जोश की वजह क्या है?

अमर उजाला संवाद के मंच पर ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त और विश्व चैंपियन मुक्केबाज महिला जैस्मिन लंबोरिया अपनी बात रख रही हैं। योगेश्वर ने कहा कि सभी को राम राम पहले तो मैं धन्यवाद देता हूं अमर उजाला को, कि आपने खेल सेशन को रखा। जब बात हरियाणा की आती है तो सबसे पहले हमारे ग्रामीण खेल हैं, कुश्ती है, कबड्डी है, बॉक्सिंग है, हॉकी है, इसकी आती है। हरियाणा के लोगों में जुनून है। ये आती है हमारी संस्कृति से। हमें पुरखों से मिली है संस्कृति। वो चाहे खेल में हो, किसानी हो, समाज सेवा में हो, सेना में हो। आगे बढ़ना का जज्बा विरासत में मिला है। बड़ों से सीखा है। हमने ओलंपिक में अगर छह पदक जीते तो तीन हरियाणा से हैं। एशियन गेम्स में भी आधे पदक हरियाणा लाता है। जो खिलाड़ी के कोच का बड़ा योगदान रहता है। सरकार का भी रोल रहता है। हरियाणा की मिट्टी में जो जोश है और संघर्ष है, उससे हमें पदक मिलते हैं।
11:44 AM, 17-Dec-2025

सवाल: अगला लक्ष्य क्या है? 

देवव्रत रेखे: अगला लक्ष्य अभी कुछ सोचा नहीं है। जैसे पिताजी बोलेंगे, हम करते जाएंगे। अभी और अध्ययन करना बाकी है। और भी कई ऐसे ग्रंथ हैं, जिनका पारायण हुआ नहीं है, जिनका कोई अध्ययन नहीं करता। पिताजी ने आज्ञा की है कि उनका भी अध्ययन करना है।
 
11:43 AM, 17-Dec-2025

'वेदवाणी वास्तव में भगवान की वाणी है'

महेश रेखे: हमें पूरा विश्वास था कि वेद हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ हैं तो वेदों का महत्व और प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ेगा। जितने लोग वहां श्रवण के लिए आए थे, उन सभी का कथन था कि इस पारायण से उत्पन्न होने वाली आभा और ऊर्जा बहुत अलग है। वहां आने के बाद जो मन में संतुष्टि और शांति मिली, वो बहुत ही अलग थी। इन वेदों का कोई लेखनकर्ता नहीं है। वेदवाणी वास्तव में भगवान की वाणी है। वेद मंत्रों का साक्षात्कार भगवान के श्वास और उच्छवास से होता है। 
 
11:43 AM, 17-Dec-2025

सवाल: पारायण के दौरान कैसी अनुभूति हुई?

देवव्रत रेखे: जब पारायण चल रहा था, तब ऐसा लग नहीं रहा था कि मैं खुद बोल रहा हूं। भगवान ही मुझसे बुलवा रहे थे। भगवान का आशीर्वाद रहा और उन्हीं की कृपा रही, इसलिए पारायण पूरा हो सका। 
 
11:40 AM, 17-Dec-2025

योगी जी ने भी बधाई दी। प्रमुख हस्तियों ने आपको शुभकानाएं दीं। क्या सभी को जवाब दे पाए?

महेश रेखे: हम सभी को जवाब तो ज्यादा नहीं दे पाए। जैसे ही 30 तारीख को पारायण का समापन हुआ, उसके बाद समय ही नहीं मिल सका। पहली बार ऐसा हुआ कि वैदिक शास्त्र और वैदिक अभ्यास से जुड़ी सनातन की मूल परंपरा के बारे में देश के प्रधानमंत्री जी ने कुछ कहा। जब मूल का सिंचन करते हैं, तभी उस वृक्ष पर पत्र और पुष्प आते हैं। हमारे धर्म का मूल वेद हैं। इसी वजह से आज हमारे सनातन धर्म में उत्साह का वातावरण निर्माण हुआ है। जो युवा पीढ़ी इस परंपरा में है, उनके मन में भी विचार उत्पन्न हुआ है कि हमें भी अपनी संस्कृति से जुड़ना चाहिए।
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11:38 AM, 17-Dec-2025

'मुझे यह सौभाग्य प्राप्त हुआ कि यह मेरा पुत्र भी है और शिष्य भी है'

देवव्रत के पिता महेश रेखे ने कहा कि व्यक्ति ने हर मुकाम, हर स्थान पर अपनी विजय की कामना करनी चाहिए। यह पुरुषार्थ भी है, लेकिन दो जगह पर अपनी पराजय होनी चाहिए। यह दो स्थान हैं- एक शिष्य और दूसरा पुत्र। भगवान की कृपा से मुझे यह सौभाग्य प्राप्त हुआ कि यह मेरा पुत्र भी है और शिष्य भी है। कोई भी व्यक्ति किसी को मार्गदर्शन करे तो वह अपने से अच्छा काम करे तो सबसे ज्यादा आनंद उसी को होता है, जो उसे पढ़ाता है। इसका आनंद अवर्णनीय है। अमर उजाला परिवार ने इस प्रकार हमें मंच पर बुलाकर हमारा सम्मान किया है, वह अद्भुत है।

11:31 AM, 17-Dec-2025

मंच पर 19 वर्षीय देवव्रत महेश रेखे और वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे

अमर उजाला संवाद हरियाणा के मंच पर 19 वर्षीय देवव्रत महेश रेखे और वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे अपनी बात रख रहे हैं। 19 वर्षीय देवव्रत महेश रेखे ने कहा कि अमर उजाला को धन्यवाद कि आपने मुझे यह आमंत्रण दिया। वास्तव में यह आमंत्रण मुझे नहीं, हमारी गुरु परंपरा को मिला है। इसी परंपरा के कारण मैं यहा हूं। जब आठ साल की आयु में पिताजी ने जनेऊ कराया, तो पिताजी ने ही आज्ञा की कि वेद कार्य में आगे चलते रहो। उन्हीं के पास अध्ययन करके यह सब साध्य हुआ है। दंडक्रम चुनने का सोचा नहीं था। पिताजी ने 2002 में काशी में घनपारण किया था, तब वे ही बोले कि मैंने घनपारण किया है, तुम उससे आगे कुछ किया। उन्हीं की कृपा से यह सब साध्य हुआ।
11:25 AM, 17-Dec-2025

'हम किसी की मुस्कुराहट छीनने की इच्छा न करें। यही हमारा अध्यात्म है'

सुधांशु जी महाराज ने कहा, "जिब्रान ने अपनी कहानी में लिखा था कि मेरे पास सात मुखौटे थे, उन्हें लेकर मैं जी रहा था। जब कोई मेरे सातों मुखौटे चुराकर ले गया, उस दिन मैं जैसा था, वैसा दिखाई दिया। जैसे अंदर हो, वैसे बाहर हो जाओ, इससे बड़ी सुंदरता कोई नहीं हो सकती। हमारी संस्कृति भी कहती है कि असतो मा सद्गमय। जब चारों ओर से अशांति की बौछार हो रही तो, उदासी का वातावरण हो, तब भी इतनी कृपा कर देना कि मुस्कुराहट बरकरार रहे। हम किसी की मुस्कुराहट छीनने की इच्छा न करें। यही हमारा अध्यात्म है।"
 
11:23 AM, 17-Dec-2025

'हम अंदर से जैसे हैं हमें वैसे ही बाहर से हमें आचरण करना चाहिए'

सुधांशु जी महाराज ने कहा कि वैदिक ज्ञान के अनुसार मनुष्य को मनुष्य बने रहने के लिए प्रयास करना चाहिए। हम अंदर से जैसे हैं हमें वैसे ही बाहर से हमें आचरण करना चाहिए। इससे बड़ी सुंदरता दुनिया में नहीं हो सकती। वैदिक संदेश में है कि मनुष्य तू है तो मनुष्य बना रहे। सांप नहीं बनना, बिच्छू नहीं बनना। तुम्हारा एनिमल ब्रेन तुम्हारे पास है उसे सुला देना और देवता वाले ज्ञान को जगा देना।
 
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