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भोपाल गैस त्रासदी की 41वीं बरसी: सेंट्रल लाइब्रेरी सभागार में प्रार्थना सभा, दिवंगतों को दी गई श्रद्धांजलि
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Wed, 03 Dec 2025 01:05 PM IST
सार
भोपाल गैस त्रासदी की 41वीं बरसी पर सेंट्रल लाइब्रेरी में श्रद्धांजलि सभा हुई। मंत्री, जनप्रतिनिधि और नागरिकों ने दिवंगतों को याद किया। हादसे के चार दशक बाद भी हजारों लोग बीमारियों से जूझ रहे हैं और नई पीढ़ी जन्मजात विकृतियों का सामना कर रही है। दूषित पानी अब भी बड़ी चिंता बने हुए हैं, जबकि कई मामले न्यायालय में लंबित हैं।
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- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
भोपाल गैस त्रासदी की 41वीं बरसी पर बुधवार को सेंट्रल लाइब्रेरी सभागार में सामूहिक प्रार्थना सभा आयोजित की गई। कार्यक्रम में 2-3 दिसंबर 1984 की भयावह रात में जान गंवाने वाले हजारों लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर मंत्रीगण कुंवर विजय शाह, कृष्णा गौर, विधायक भगवानदास सबनानी, महापौर मालती राय, कलेक्टर विक्रम कौशलेंद्र सहित विभिन्न समाजों के धर्मगुरु और शहर के प्रबुद्ध नागरिक बड़ी संख्या में मौजूद रहे। जानकारी के लिए बतादें कि भोपाल गैस त्रासदी सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि मानव इतिहास की सबसे भीषण औद्योगिक आपदाओं में से एक है, जिसके घाव आज भी समाज, पर्यावरण और आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित कर रहे हैं।
शहर आज भी नहीं भूला वह रात
चार दशक बाद भी भोपाल त्रासदी के जख्म पूरी तरह नहीं भर सके हैं। उस रात की चीख-पुकार, सड़कों पर बिछीं लाशों और टूटते परिवारों की याद आज भी लोगों को भीतर तक झकझोर देती है। गैस से प्रभावित हजारों लोग अब भी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, जबकि तीसरी और चौथी पीढ़ी तक जन्मजात विकृतियों का असर देखा जा रहा है।
5 लाख से ज्यादा प्रभावित: नई पीढ़ी में भी असर बरकरार
शहर की 42 बस्तियों में भूमिगत जल ऐसे रसायनों से दूषित पाया गया है, जो कैंसर, किडनी, मस्तिष्क संबंधी रोगों और जन्मजात विकृतियों को जन्म देते हैं। प्रभावित परिवारों का कहना है कि उनके बच्चे मानसिक रूप से कमजोर पैदा हो रहे हैं, कई में बोलने-देखने जैसी क्षमताओं में जन्म से ही कमी है। ऐसे बच्चों का उपचार चिंगारी ट्रस्ट में किया जाता है, जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में पीड़ित सहायता के लिए पहुंचते हैं।
यह भी पढ़ें-सीएम डॉ. यादव बोले- स्कूल के खाली भवनों में कॉलेज की कक्षाएं शुरू करने पर किया जाए विचार
41 साल बाद भी अदालतों में लंबित हैं मामले
गैस पीड़ित संगठनों का कहना है कि हादसे को 41 साल बीत गए, लेकिन न्याय की प्रक्रिया अब भी पूरी नहीं हुई है। कई आरोपी अब जीवित नहीं रहे, जबकि प्रमुख आरोपी वारेन एंडरसन की 1984 में गिरफ्तारी के बाद रिहाई और देश छोड़कर जाने का मामला आज भी पीड़ितों की पीड़ा को बढ़ाता है। एंडरसन को फरार घोषित किया गया था और 2014 में अमेरिका में उसकी मृत्यु हुई।
यह भी पढ़ें-पुलिस से होशियारी में फंसा हत्यारोपी, दोस्त को मारकर रची एक्सीडेंट की साजिश, गिरफ्तार
गैस त्रासदी-एक नजर में
- 1965: भोपाल में यूनियन कार्बाइड की स्थापना
- 1984: टैंक नंबर 610 से लगभग 40 टन मिथाइल आइसोसाइनाइट (MIC) गैस का रिसाव
-तत्काल मौतें: विभिन्न स्रोतों के अनुसार 3,500 से 5,295 के बीच
प्रभावित आबादी: 5 लाख से अधिक
प्रभाव: गंभीर बीमारियां, पीढ़ियों तक जन्मजात विकृतियां, दूषित भूजल और पर्यावरणीय खतरा
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शहर आज भी नहीं भूला वह रात
चार दशक बाद भी भोपाल त्रासदी के जख्म पूरी तरह नहीं भर सके हैं। उस रात की चीख-पुकार, सड़कों पर बिछीं लाशों और टूटते परिवारों की याद आज भी लोगों को भीतर तक झकझोर देती है। गैस से प्रभावित हजारों लोग अब भी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, जबकि तीसरी और चौथी पीढ़ी तक जन्मजात विकृतियों का असर देखा जा रहा है।
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5 लाख से ज्यादा प्रभावित: नई पीढ़ी में भी असर बरकरार
शहर की 42 बस्तियों में भूमिगत जल ऐसे रसायनों से दूषित पाया गया है, जो कैंसर, किडनी, मस्तिष्क संबंधी रोगों और जन्मजात विकृतियों को जन्म देते हैं। प्रभावित परिवारों का कहना है कि उनके बच्चे मानसिक रूप से कमजोर पैदा हो रहे हैं, कई में बोलने-देखने जैसी क्षमताओं में जन्म से ही कमी है। ऐसे बच्चों का उपचार चिंगारी ट्रस्ट में किया जाता है, जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में पीड़ित सहायता के लिए पहुंचते हैं।
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41 साल बाद भी अदालतों में लंबित हैं मामले
गैस पीड़ित संगठनों का कहना है कि हादसे को 41 साल बीत गए, लेकिन न्याय की प्रक्रिया अब भी पूरी नहीं हुई है। कई आरोपी अब जीवित नहीं रहे, जबकि प्रमुख आरोपी वारेन एंडरसन की 1984 में गिरफ्तारी के बाद रिहाई और देश छोड़कर जाने का मामला आज भी पीड़ितों की पीड़ा को बढ़ाता है। एंडरसन को फरार घोषित किया गया था और 2014 में अमेरिका में उसकी मृत्यु हुई।
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गैस त्रासदी-एक नजर में
- 1965: भोपाल में यूनियन कार्बाइड की स्थापना
- 1984: टैंक नंबर 610 से लगभग 40 टन मिथाइल आइसोसाइनाइट (MIC) गैस का रिसाव
-तत्काल मौतें: विभिन्न स्रोतों के अनुसार 3,500 से 5,295 के बीच
प्रभावित आबादी: 5 लाख से अधिक
प्रभाव: गंभीर बीमारियां, पीढ़ियों तक जन्मजात विकृतियां, दूषित भूजल और पर्यावरणीय खतरा