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Bhopal: नर्सिंग घोटाले के आरोपी CHO पर NHM ने 8 महीने बाद की कार्रवाई, इतनी लेट कार्रवाई पर उठ रहे सवाल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Sat, 18 Jan 2025 06:29 PM IST
सार
नर्सिंग घोटाले में आरोपी सीएचओ पर एनएचएम ने 8 महीने बाद कार्रवाई की है। विभाग के इतनी लेट कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं। एनएसयूआई ने अधिकारियों पर संरक्षण देने का आरोप लगाया है। साथ ही सभी जिला स्वास्थ्य अधिकारियों की जांच की मांग की है।
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एनएचएम भोपाल
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मध्य प्रदेश में नर्सिंग घोटाले के मामले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा 8 महीने बाद कार्रवाई करने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कल शुक्रवार को पन्ना जिले में पदस्थ सीएचओ राधारमण शर्मा की सेवा समाप्ति की गई है, जो इस घोटाले में दोषी पाए गए थे। दरअसल एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने घोटाले में रिश्वत लेकर कालेजों को सूटेबल करने की शिकायत 15 अप्रैल 2024 को दिल्ली सीबीआई को की थी। इसके बाद, 19 मई 2024 को सीबीआई ने कई अधिकारियों, कॉलेज संचालकों, और दलालों को गिरफ्तार किया था।
दूसरे विभागों के दोषियों पर तुरंत हुई थी कार्रवाई
सीबीआई और मध्य प्रदेश पुलिस के जिन अधिकारियों की इसमें संलिप्तता पाई गई थी, उनकी सेवाएं तत्काल समाप्त कर दी गईं। लेकिन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत आने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में अत्यधिक देरी ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने इस देरी को लेकर उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला और लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है।
इन पर अभी तक नहीं हुई कार्रवाई
रवि परमार ने कहा, "गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के प्रोफेसर डॉ. हरि सिंह मकवाना पर भी नर्सिंग फर्जीवाड़े में एफआईआर दर्ज की गई थी , लेकिन उनकी सेवाएं आज तक समाप्त नहीं की गई हैं। इससे स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दिया जा रहा है। रवि परमार ने कहा कि सरकार को मध्यप्रदेश के समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ( सीएमएचओ ) के 2020 से 2024 तक के कार्यकाल की जांच करवाना चाहिए फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दिलवाने सबसे पहली भूमिका उनकी और उनके निरीक्षण दल की हैं अभी तो नर्सिंग घोटाले की सिर्फ एक परत खुली हैं अभी कई परतें खुलना बाकी हैं । परमार ने सरकार और जिम्मेदार अधिकारियों से मांग की है कि नर्सिंग घोटाले में लिप्त सभी दोषी अधिकारियों पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जाए और घोटाले में संलिप्त अन्य दोषियों को भी जांच के दायरे में लाया जाए ।
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दूसरे विभागों के दोषियों पर तुरंत हुई थी कार्रवाई
सीबीआई और मध्य प्रदेश पुलिस के जिन अधिकारियों की इसमें संलिप्तता पाई गई थी, उनकी सेवाएं तत्काल समाप्त कर दी गईं। लेकिन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत आने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में अत्यधिक देरी ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने इस देरी को लेकर उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला और लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है।
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इन पर अभी तक नहीं हुई कार्रवाई
रवि परमार ने कहा, "गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के प्रोफेसर डॉ. हरि सिंह मकवाना पर भी नर्सिंग फर्जीवाड़े में एफआईआर दर्ज की गई थी , लेकिन उनकी सेवाएं आज तक समाप्त नहीं की गई हैं। इससे स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दिया जा रहा है। रवि परमार ने कहा कि सरकार को मध्यप्रदेश के समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ( सीएमएचओ ) के 2020 से 2024 तक के कार्यकाल की जांच करवाना चाहिए फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दिलवाने सबसे पहली भूमिका उनकी और उनके निरीक्षण दल की हैं अभी तो नर्सिंग घोटाले की सिर्फ एक परत खुली हैं अभी कई परतें खुलना बाकी हैं । परमार ने सरकार और जिम्मेदार अधिकारियों से मांग की है कि नर्सिंग घोटाले में लिप्त सभी दोषी अधिकारियों पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जाए और घोटाले में संलिप्त अन्य दोषियों को भी जांच के दायरे में लाया जाए ।