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MP News: एमपी में 4,900 स्टार्ट-अप्स कार्यरत, CM बोले- ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट देगी स्टार्ट-अप्स को नई उड़ान
न्यूज डेस्क, भोपाल, मध्य प्रदेश
Published by: आनंद पवार
Updated Mon, 10 Feb 2025 11:54 AM IST
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सार
राजधानी भोपाल में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट (जीआईएस) 24 और 25 फरवरी को आयोजित हो रही है। इसमें देश और विदेश के निवेशक और उद्यमी शामिल होंगे। इसमें मध्य प्रदेश के युवा उद्यमियों को अंतरराष्ट्रीय तकनीकी और नवाचारों का ज्ञान मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस समिट से राज्य के स्टार्ट-अप्स को नई दिशा मिलेगी और उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों से परिचित होने का अवसर मिलेगा।

सीएम मोहन यादव
- फोटो : अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
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विस्तार
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि स्टार्ट-अप्स केवल राज्य के आर्थिक विकास में योगदान नहीं देंगे, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित करेंगे। प्रदेश में स्टार्ट-अप्स के विकास के लिए वित्तीय सहायता, सशक्त नीतिगत ढांचा और आधुनिक बुनियादी ढांचे की सुविधा प्रदान की जा रही है। स्टार्ट-अप्स को वित्तीय सहायता के रूप में राज्य सरकार कुल निवेश का 18 प्रतिशत तक (अधिकतम 18 लाख) प्रदान कर रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में 'एमपी स्टार्ट-अप पॉलिसी एंड इंप्लीमेंटेशन स्कीम' के तहत स्टार्ट-अप्स को कई लाभ दिए जा रहे हैं। इनमें सरकार द्वारा दी जा रही वित्तीय सहायता, बुनियादी ढांचा सहयोग और क्षमता निर्माण जैसी सुविधाएं शामिल हैं। स्टार्ट-अप्स को सरकारी निविदाओं में अनुभव और टर्न ओवर की शर्तों में छूट और अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट से भी मुक्त किया गया है।
राज्य सरकार ने स्टार्ट-अप्स को लाइसेंस और परमिट शुल्क से भी छूट दी है और दो वर्षों तक सरकारी खरीद में प्राथमिकता दी है। प्रदेश के पास भरपूर बिजली, पानी, और प्राकृतिक संसाधन हैं, जो इसे निवेशकों के लिए एक आदर्श स्थल बनाते हैं। डॉ. यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश में 4,900 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप्स कार्यरत हैं और राज्य सरकार का लक्ष्य 'स्टार्ट-अप इंडिया' के तहत स्टार्ट-अप्स की संख्या को 100 प्रतिशत तक बढ़ाना है। इसके लिए प्रदेश में 72 इनक्यूबेटर कार्यरत हैं और कृषि एवं खाद्य क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स को 200 प्रतिशत तक बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है।
स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता और विशेष प्रोत्साहन
- महिला, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों को विशेष सहायता स्टार्टअप के पहले निवेश पर 18 प्रतिशत (18 लाख रुपये तक) की वित्तीय सहायता।
- अन्य स्टार्ट-अप्स को पहले निवेश पर 15 प्रतिशत (15 लाख तक) की सहायता।
- स्टार्ट-अप्स द्वारा आयोजित कार्यक्रमों के लिए 5 लाख रूपये प्रति इवेंट (अधिकतम 20 लाख रुपये प्रति वर्ष) तक सहायता।
- इनक्यूबेटर्स के विस्तार के लिए एक बार में 5 लाख रुपये का अनुदान।
- स्टार्ट-अप्स के किराए के 50 प्रतिशत हिस्से (अधिकतम 5 हजार रुपये प्रति माह) की तीन वर्षों तक प्रतिपूर्ति।
- पेटेंट कराने की लागत के लिए अधिकतम 5 लाख रुपये तक की सहायता।
- घरेलू और अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स में भाग लेने पर 75 प्रतिशत तक खर्च की प्रतिपूर्ति (50 हजार रुपये तक घरेलू इवेंट्स और 1.5 लाख रुपये तक अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स)।
- स्टार्ट-अप्स के लिए लाइसेंस फीस में छूट और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट।

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राज्य सरकार ने स्टार्ट-अप्स को लाइसेंस और परमिट शुल्क से भी छूट दी है और दो वर्षों तक सरकारी खरीद में प्राथमिकता दी है। प्रदेश के पास भरपूर बिजली, पानी, और प्राकृतिक संसाधन हैं, जो इसे निवेशकों के लिए एक आदर्श स्थल बनाते हैं। डॉ. यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश में 4,900 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप्स कार्यरत हैं और राज्य सरकार का लक्ष्य 'स्टार्ट-अप इंडिया' के तहत स्टार्ट-अप्स की संख्या को 100 प्रतिशत तक बढ़ाना है। इसके लिए प्रदेश में 72 इनक्यूबेटर कार्यरत हैं और कृषि एवं खाद्य क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स को 200 प्रतिशत तक बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है।
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स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता और विशेष प्रोत्साहन
- महिला, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों को विशेष सहायता स्टार्टअप के पहले निवेश पर 18 प्रतिशत (18 लाख रुपये तक) की वित्तीय सहायता।
- अन्य स्टार्ट-अप्स को पहले निवेश पर 15 प्रतिशत (15 लाख तक) की सहायता।
- स्टार्ट-अप्स द्वारा आयोजित कार्यक्रमों के लिए 5 लाख रूपये प्रति इवेंट (अधिकतम 20 लाख रुपये प्रति वर्ष) तक सहायता।
- इनक्यूबेटर्स के विस्तार के लिए एक बार में 5 लाख रुपये का अनुदान।
- स्टार्ट-अप्स के किराए के 50 प्रतिशत हिस्से (अधिकतम 5 हजार रुपये प्रति माह) की तीन वर्षों तक प्रतिपूर्ति।
- पेटेंट कराने की लागत के लिए अधिकतम 5 लाख रुपये तक की सहायता।
- घरेलू और अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स में भाग लेने पर 75 प्रतिशत तक खर्च की प्रतिपूर्ति (50 हजार रुपये तक घरेलू इवेंट्स और 1.5 लाख रुपये तक अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स)।
- स्टार्ट-अप्स के लिए लाइसेंस फीस में छूट और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट।