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MP News: सीएम डॉ. यादव बोले- प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. मुखर्जी के संकल्पों को साकार किया
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: आनंद पवार
Updated Sun, 06 Jul 2025 10:52 PM IST
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सार
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जीवन राष्ट्रभक्ति, संघर्ष और सिद्धांतों की मिसाल है। उन्होंने न सिर्फ अनुच्छेद 370 का विरोध किया, बल्कि देशहित में कई अहम फैसलों में साहसिक भूमिका निभाई।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव
- फोटो : अमर उजाला
विस्तार
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने न केवल धारा 370 का मुखर विरोध किया, बल्कि राष्ट्रहित से जुड़े कई अहम मुद्दों पर प्रभावी भूमिका निभाई। उन्होंने लोकतांत्रिक व्यवस्था को सशक्त करते हुए जनसंघ की स्थापना की और सत्ता से समझौता न करते हुए मंत्री पद से इस्तीफा देकर देशहित को सर्वोपरि रखा। मुख्यमंत्री रविवार को रविन्द्र भवन के हंसध्वनि सभागार में संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित "एक देश, एक विधान" विषयक वैचारिक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. मुखर्जी का जीवन त्याग, संघर्ष और राष्ट्रनिष्ठा की प्रेरणा है। उन्होंने धारा 370 का विरोध संसद में ठोस तर्कों के साथ किया। उनका स्पष्ट मत था कि कश्मीर भारत का केवल भूभाग नहीं, आत्मा का हिस्सा है और वहां विशेष दर्जा अस्वीकार्य है। उन्होंने 11 मई 1953 को बिना परमिट कश्मीर जाकर सत्याग्रह किया और गिरफ्तार हुए। 23 जून 1953 को जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में उनका निधन हो गया। यह बलिदान आज भी देश को प्रेरणा देता है।
मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डॉ. मुखर्जी के सपनों को मूर्त रूप देते हुए ऐतिहासिक निर्णय लेकर जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई। यह डॉ. मुखर्जी के ‘एक देश, एक विधान, एक निशान और एक प्रधान’ के संकल्प की पूर्ति है। उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत वैश्विक मंच पर सशक्त रूप में उभरा है और अब आतंकवाद का जवाब घर में घुसकर दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. मुखर्जी का जीवन यह सिखाता है कि राष्ट्र के प्रति दृष्टिकोण कैसा होना चाहिए। स्वतंत्रता के समय हुई गलतियों को भूलना नहीं चाहिए और महापुरुषों के योगदान को स्मरण में बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कार्यक्रम में भाग ले रहे विद्यार्थियों को विशेष रूप से बधाई देते हुए कहा कि नई पीढ़ी को डॉ. मुखर्जी जैसे नेताओं के विचारों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
कोलकाता को भारत में बनाए रखने में डॉ. मुखर्जी की अहम भूमिका
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राजीव कुमार पांडे ने कहा कि डॉ. मुखर्जी का योगदान केवल कश्मीर तक सीमित नहीं था। उन्होंने कोलकाता और पश्चिम बंगाल को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाए रखने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। अगर डॉ. मुखर्जी समय पर हस्तक्षेप नहीं करते, तो पूर्वोत्तर भारत के संपर्क को गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता था।
नेहरू मंत्रिमंडल छोड़ देश सेवा को चुना
कार्यक्रम में संस्कृति, पर्यटन और धर्मस्व राज्यमंत्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी ने कहा कि डॉ. मुखर्जी जैसे महापुरुष बिरले ही जन्म लेते हैं। उन्होंने नेहरू मंत्रिमंडल में रहते हुए भी जब राष्ट्रहित के विरुद्ध स्थिति देखी, तो बिना संकोच मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया और देश की एकता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
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मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डॉ. मुखर्जी के सपनों को मूर्त रूप देते हुए ऐतिहासिक निर्णय लेकर जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई। यह डॉ. मुखर्जी के ‘एक देश, एक विधान, एक निशान और एक प्रधान’ के संकल्प की पूर्ति है। उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत वैश्विक मंच पर सशक्त रूप में उभरा है और अब आतंकवाद का जवाब घर में घुसकर दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. मुखर्जी का जीवन यह सिखाता है कि राष्ट्र के प्रति दृष्टिकोण कैसा होना चाहिए। स्वतंत्रता के समय हुई गलतियों को भूलना नहीं चाहिए और महापुरुषों के योगदान को स्मरण में बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कार्यक्रम में भाग ले रहे विद्यार्थियों को विशेष रूप से बधाई देते हुए कहा कि नई पीढ़ी को डॉ. मुखर्जी जैसे नेताओं के विचारों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
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कोलकाता को भारत में बनाए रखने में डॉ. मुखर्जी की अहम भूमिका
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राजीव कुमार पांडे ने कहा कि डॉ. मुखर्जी का योगदान केवल कश्मीर तक सीमित नहीं था। उन्होंने कोलकाता और पश्चिम बंगाल को भारत का अभिन्न हिस्सा बनाए रखने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। अगर डॉ. मुखर्जी समय पर हस्तक्षेप नहीं करते, तो पूर्वोत्तर भारत के संपर्क को गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता था।
नेहरू मंत्रिमंडल छोड़ देश सेवा को चुना
कार्यक्रम में संस्कृति, पर्यटन और धर्मस्व राज्यमंत्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी ने कहा कि डॉ. मुखर्जी जैसे महापुरुष बिरले ही जन्म लेते हैं। उन्होंने नेहरू मंत्रिमंडल में रहते हुए भी जब राष्ट्रहित के विरुद्ध स्थिति देखी, तो बिना संकोच मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया और देश की एकता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।