सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Madhya Pradesh ›   Bhopal News ›   MP News: Madhya Pradesh civil judge recruitment process questioned, Congress said – not a single selection was

MP News: मध्य प्रदेश सिविल जज भर्ती प्रक्रिया पर सवाल, कांग्रेस बोली-आदिवासी कोटे के 121 पद में एक भी चयन नहीं

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Wed, 19 Nov 2025 04:27 PM IST
सार

मध्यप्रदेश में सिविल जज भर्ती परीक्षा बड़े विवाद में बदल गई है। 191 पदों में से 121 आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित होने के बावजूद एक भी आदिवासी उम्मीदवार का चयन नहीं हुआ। इसके बाद कांग्रेस ने चयन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए इसे आदिवासी वर्ग को सिस्टम से बाहर करने की कोशिश बताया है।

विज्ञापन
MP News: Madhya Pradesh civil judge recruitment process questioned, Congress said – not a single selection was
आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व झाबुआ विधायक डॉ. विक्रांत भूरिया की प्रेसवार्ता - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

मध्यप्रदेश में सिविल जज परीक्षा-2022 के परिणाम अब बड़े राजनीतिक विवाद में बदल गए हैं। कुल 191 पदों में से 121 पद आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित थे, लेकिन इनमें से एक भी आदिवासी उम्मीदवार का चयन नहीं हुआ। इस मुद्दे को लेकर आदिवासी कांग्रेस ने सरकार और चयन प्रक्रिया दोनों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। भोपाल में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व झाबुआ विधायक डॉ. विक्रांत भूरिया और प्रदेश अध्यक्ष रामू टेकाम ने सरकार और चयन प्रणाली पर गंभीर आरोप लगाए। भूरिया ने कहा कि यह परिणाम साबित करता है कि आदिवासियों को सुनियोजित तरीके से सिस्टम से बाहर धकेला जा रहा है।
Trending Videos



121 पदों पर एक भी आदिवासी नही, ये कैसे संभव है?
विक्रांत भूरिया के मुताबिक राज्य में सबसे अधिक आदिवासी आबादी होने के बावजूद एक भी योग्य उम्मीदवार न मिलना बेहद गंभीर सवाल खड़ा करता है। उन्होंने कहा ये सरकार के लिए शर्म की बात है। जिस राज्य में लाखों आदिवासी पढ़ रहे हैं, वहां एक भी उम्मीदवार सिविल जज बनने लायक नहीं मिला? यह अपने आप में सिस्टम पर सबसे बड़ा सवाल है। भूरिया ने आरोप लगाया कि चयन प्रक्रिया इतनी जटिल और उलझी बनाई गई है कि आदिवासी और कमजोर वर्ग के अभ्यर्थी शुरुआत में ही बाहर हो जाते हैं। भूरिया ने कहा कि परीक्षा हाईकोर्ट की निगरानी में जरूर होती है, लेकिन जो समिति सिलेबस बनाती है, नियम तय करती है। उसमें आदिवासी और दलित वर्ग का प्रतिनिधित्व ही नहीं है। इसी वजह से प्रक्रिया अभ्यर्थियों के अनुकूल नहीं बन पा रही है।
विज्ञापन
विज्ञापन



यह भी पढ़ें-कैफे पर नकाबपोशों का हमला, दो मिनट में जमकर तोड़फोड़; आरोपियों की तलाश में तीन थानों की पुलिस


नियम बदलो, नहीं तो कानूनी लड़ाई होगी
भूरिया ने कहा कि पार्टी इस मामले में कानूनी हस्तक्षेप की तैयारी कर रही है। हम वकीलों से बात कर रहे हैं कि कैसे कोर्ट में इंटरवीन किया जाए। लेकिन मूल जिम्मेदारी सरकार की है। अगर मंशा साफ है तो नियम बदले जाएं और प्रक्रिया सरल बनाई जाए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार बैकलॉग पदों को भरने के बजाय उन्हें 4 साल बाद NFS (Not Found Suitable) बताकर ओपन कैटेगरी में ले जाने की तैयारी कर रही है। भूरिया ने कहा कि यही सबसे बड़ा षड्यंत्र है कि आरक्षित पदों को खाली दिखाकर आगे चलकर सामान्य वर्ग में समायोजित कर दिया जाएगा।


यह भी पढ़ें-मप्र के IAS अफसर अविनाश लवानिया को बड़ी जिम्मेदारी-केंद्रीय कृषि मंत्रालय में डायरेक्टर बनाया


आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक मत समझो
भूरिया ने कहा कि सरकार आदिवासी गौरव दिवस का ढिंढोरा पीटती है, लेकिन रोजगार और प्रतिनिधित्व के मामलों में आदिवासियों को किनारे कर दिया जाता है। कोचिंग, प्रशिक्षण, तैयारी कुछ भी नहीं दिया जा रहा। भूरिया ने कहा कि पहले हमने प्रदेश की जनता के सामने यह मुद्दा रखा है। अब इसे पार्टी नेतृत्व के सामने भी रखा जाएगा।






 
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed