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Padma Awards Announced: मध्यप्रदेश की इन पांच हस्तियों को पद्मश्री, सैली होलकर-भेरू सिंह सहित ये नाम शामिल

न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: अरविंद कुमार Updated Sat, 25 Jan 2025 10:02 PM IST
सार

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई। इसमें मध्यप्रदेश की पांच हस्तियों को पद्मश्री सम्मान मिला है। इनमें सैली होलकर, जगदीश जोशीला, भेरू सिंह चौहान, बुधेंद्र कुमार जैन और हरचंदन सिंह भाटी के नाम शामिल हैं।

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Padma Awards Announced These five personalities of Madhya Pradesh got Padma Shri Sally Holkar Bheru Singh
पद्म पुरस्कार एलान - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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केंद्र सरकार ने 25 जनवरी को पद्म पुरस्कारों का एलान कर दिया है। देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान को तीन कैटेगरी में बांटा गया है, इसमें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और पद्म श्री शामिल हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 139 पद्म पुरस्कारों की घोषणा की है। इसमें सात पद्म विभूषण, 19 पद्म भूषण और 113 पद्मश्री शामिल हैं।

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गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार ने पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। गृह मंत्रालय ने बताया कि मध्यप्रदेश की उद्यमी सैली होलकर, जगदीश जोशीला, भेरू सिंह चौहान, बुधेंद्र कुमार जैन और हरचंदन सिंह भाटी समेत 30 हस्तियों को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
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बता दें कि 82 वर्षीय सैली होलकर को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। इन्हें होल्कर आशा के बुनकर के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने 300 साल पुराने माहेश्वरी हैंडलू इंडस्ट्री को पुनर्जीवित करने में अहम योगदान दिया है। एमपी के 75 वर्षीय निमादी और हिंदी लेखक जगदीश जोशीला को भी पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। वह पहले निमादी लेखक हैं।

मध्यप्रदेश के निर्गुण भक्ति के भेरू सिंह चौहान को निर्गुण भजन और मालवा संस्कृति में अहम भूमिका निभाने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। बुधेंद्र कुमार जैन और हरचंदन सिंह भट्टी भी इस लिस्ट में शामिल हैं।

पिता से मिली लोक गायन शैली की विरासत
भैरू सिंह चौहान बचपन से ही पारंपरिक मालवी लोक शैली में भजन गायन से जुड़े रहे। वे भक्ति संगीत की मंडलियों में भजन गाया करते थे। संत कबीर, गोरक्षनाथ, संत दादु, संत मीराबाई, पलटुदास और अन्य संतों की वाणियों को गाया करते थे। उन्हें ये कला विरासत में मिली है। इनके पिता माधु सिंह चौहान भी लोक गायन किया करते थे।

60 से ज्यादा किताबे लिख चुके जगदीश जोशीला
निमाड़ के उपन्यासकार जगदीश जोशीला गोगांवा पांच दशक से हिंदी साहित्य व लोकभाषा निमाड़ी में सृजन कर रहे हैं। उन्होंने साहित्य की हर विधा में कलम चलाई है। उनकी 60 से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके उपन्यास देवीश्री अहिल्याबाई, जननायक टंट्या मामा, संत सिंगाजी, राणा बख्तावर सिंह, आद्यगुरु शंकराचार्य समेत कई ऐतिहासिक उपन्यास चर्चित रहे हैं।

 

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बुधेंद्र कुमार जैन - फोटो : अमर उजाला

डायरेक्टर एवं ट्रस्टी सदगुरु सेवा संघ ट्रस्ट चित्रकूट डॉ. बीके जैन को पद्मश्री अवार्ड मिलने पर कलेक्टर ने बधाई दी। भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, चित्रकूट के सदगुरु सेवा संघ ट्रस्ट जानकी कुंड के डायरेक्टर एवं ट्रस्टी डॉ. बुधेंद्र कुमार जैन को चिकित्सा के क्षेत्र में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है। कलेक्टर सतना अनुराग वर्मा ने डॉ. बीके जैन को पद्मश्री अवार्ड मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। सदगुरु सेवा संघ ट्रस्ट के प्रसिद्ध चित्रकूट नेत्र चिकित्सालय में दीर्घ काल से नेत्र रोगियों को सेवा प्रदान कर रहे जैन का जन्म सतना में ही हुआ और उन्होंने शासकीय वेंकट क्रमांक एक विद्यालय से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की।

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सैली होलकर - फोटो : अमर उजाला
कौन हैं सैली होलकर
82 वर्षीय सैली होलकर ने महेश्वरी हैंडलूम को पुनर्जीवित करने में अपनी जिंदगी समर्पित कर दी। अमेरिका में जन्मीं सैली, मध्यप्रदेश के महेश्वर में आकर यहां की पारंपरिक बुनकरी को संवारने में जुट गईं। वह रानी अहिल्याबाई होलकर की विरासत से इतनी प्रेरित हुईं कि उन्होंने महेश्वरी कपड़ों को न केवल भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

कभी ओझल होने के कगार पर पहुंच चुकी महेश्वरी साड़ी और हैंडलूम कला को सैली ने फिर से जीवित किया। उन्होंने पारंपरिक डिजाइन में आधुनिकता का संगम कर इसे एक वैश्विक पहचान दी। उनकी मेहनत से यह उद्योग एक बार फिर फलने-फूलने लगा और हजारों बुनकरों को रोजगार मिला।

महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
सैली होलकर महिला सशक्तिकरण की बड़ी समर्थक रही हैं। उन्होंने महेश्वर में हैंडलूम स्कूल की स्थापना की, जहां पारंपरिक बुनाई तकनीकों की ट्रेनिंग दी जाती है। उनके प्रयासों से 250 से ज्यादा महिलाओं को काम मिला, 110 से अधिक करघे लगाए गए और 45 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को भी रोजगार के अवसर दिए गए।

सैली ने न सिर्फ एक कला को बचाया, बल्कि इसे एक सफल व्यापार का रूप भी दिया। उन्होंने इस कारीगरी को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाया और इसे आर्थिक रूप से टिकाऊ बनाया। उनके इस योगदान की वजह से महेश्वरी हैंडलूम आज सिर्फ मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इसे पूरी दुनिया में पसंद किया जाता है।

मध्यप्रदेश के 75 वर्षीय निमादी और हिंदी लेखक जगदीश जोशीला को भी पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा, वह पहले निमादी लेखक हैं। मध्यप्रदेश के निर्गुण भक्ति के भेरू सिंह चौहान को निर्गुण भजन और मालवा संस्कृति में अहम भूमिका निभाने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा।
 
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