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MP में SIR गणना पूरी: प्रदेश में 42,74,160 मतदाता नहीं मिले, प्रारूप सूची जारी; दावा-आपत्ति का ये है समय

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: तरुणेंद्र चतुर्वेदी Updated Tue, 23 Dec 2025 05:10 PM IST
सार

मध्य प्रदेश में SIR के बाद 42,74,160 मतदाता नहीं मिले हैं। इसके अलावा दो लाख 77 हजार डुप्लीकेट मतदाता मिले हैं। वहीं, 8 लाख से ज्यादा मृत मतदाताओं का पता चला है। SIR पर दावे और आपत्तियां 22 जनवरी 2026 तक स्वीकार्य की जाएंगी। पढ़िए पूरी खबर.. 

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SIR News Voter list update Wide participation in Madhya Pradesh draft list released
एमपी में SIR ड्राफ्ट का प्रकाशन। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मध्य प्रदेश में संचालित विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के अंतर्गत गणना चरण के प्रमुख निष्कर्ष सामने आ गए हैं। यह चरण 4 नवंबर 2025 से 18 दिसंबर 2025 तक चला, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को अधिक सटीक, पारदर्शी और समावेशी बनाना है। प्रदेश में 42 लाख 74 हजार 160 मतदाता नहीं मिले हैं।

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आंकड़ों के अनुसार, राज्य में कुल 5 करोड़ 74 लाख 6 हजार 143 निर्वाचकों में से 5 करोड़ 31 लाख 31 हजार 983 निर्वाचकों ने अपने गणना प्रपत्र जमा किए हैं। यह व्यापक सहभागिता राज्य के सभी 55 जिलों, 230 निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (ERO), 532 सहायक ERO (AERO) और 65,014 मतदान केंद्रों पर तैनात बूथ-स्तरीय अधिकारियों (BLOs) के समन्वित प्रयासों का परिणाम है। इस प्रक्रिया में स्वयंसेवकों और सभी छह राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की भी सक्रिय भागीदारी रही, जिन्होंने 1.35 लाख से अधिक बूथ-स्तरीय एजेंट (BLA) नियुक्त किए।
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निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि कुछ निर्वाचक ऐसे रहे, जिनसे गणना प्रपत्र प्राप्त नहीं हो सके। इसके पीछे कारण रहे। निर्वाचक का अन्य राज्य में पंजीकरण, व्यक्ति का अस्तित्व में न होना, समय सीमा तक प्रपत्र जमा न करना अथवा स्वयं मतदाता का पंजीकरण में रुचि न लेना। इसके अलावा एक से अधिक स्थानों पर नामांकित पाए गए निर्वाचकों का नाम केवल एक स्थान पर ही रखा जाएगा।

कोई भी पात्र मतदाता वंचित न रहे
आयोग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि कोई भी पात्र मतदाता वंचित न रहे। इसके लिए घर-घर संपर्क, विशेष शिविर, सोशल मीडिया, रेडियो प्रसारण और शहरी-ग्रामीण स्तर पर जन-जागरूकता अभियान चलाए गए। शहरी क्षेत्रों में विशेष शिविरों के माध्यम से प्रपत्र भरने और डिजिटलीकरण में सहायता दी गई। कमजोर नेटवर्क वाले इलाकों के लिए अलग से व्यवस्थाएं की गईं।

8 लाख से ज्यादा की मौपिंग बाकी 
एसआईआर में 8 लाख 65 हजार प्रपत्र ऐसे मिले हैं, जिनकी मैपिंग नहीं हुई है। यानि की इन मतदाताओं के ब्लड रिलेशन की पहचान होना बाकी है। जबलपुर में नो मैपिंग वाले मतदाताओं की संख्या 51357 है, जो प्रदेश में सबसे ज्यादा है। वहीं, दूसरे नंबर पर  इंदौर है। यहां पर ऐसे मतदाताओं की संख्या 43 हजार 743 है। तीसरे नंबर पर सागर है, जहां पर 36 हजार467 नो मैपिंग वाले मतदाता हैं। ऐसे मतदाताओं को चुनाव आयोग नोटिस जारी करेगा। नोटिस जारी होने के बाद इन लोगों को दस्तावेज उपलब्ध कराना होंगे।

31 लाख 51 हजार अनुपस्थित
31 लाख 51 हजार यानि करीब 5.49% ऐसे मतदाताओं का पता चला है, जो वर्तमान पतों पर नहीं हैं। ये मतदाता कहीं और चले गए हैं। अनुपस्थित मतदाता सबसे ज्यादा इंदौर के हैं। ये करीब एक लाख 75 हजार हैं। वहीं दूसरे नंबर पर भोपाल है, यहां पर एक लाख 1 हजार 503 व तीसरे नंबर पर जबलपुर है। यहां पर  66 हजार मतदाता अनुपस्थित मिले हैं।


वहीं, मृत मतदाताओं की संख्या 8 लाख 46 हजार है। ये कुल मतदाताओं का 1.47 फीसदी होता है। वहीं, ऐसे मतदाता जिनके नाम दो या उससे ज्यादा जगहों पर दर्ज मिले हैं वे  2 लाख 77 हजार हैं। डुप्लीकेट मतदाताओं की संख्या में सबसे ज्यादा 23,594 बुरहानपुर में मिली है। वहीं दूसरे नंबर पर इंदौर है जहां 22,808 मतदाता और  तीसरे नंबर पर धार है जहां पर 14,195 डुप्लीकेट मतदाता मिले हैं। 

इसके अलावा एसआईआर में युवा मतदाताओं के समावेशन पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। वे नागरिक जो 1 जनवरी 2026 तक 18 वर्ष की आयु पूर्ण करेंगे, उन्हें प्रपत्र-6 के माध्यम से आवेदन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

22 जनवरी 2026 तक दावा-आपत्ति की अवधि निर्धारित
निर्वाचन आयोग ने बताया कि 23 दिसंबर 2025 को प्रारूप मतदाता सूची प्रकाशित कर दी गई है, जो मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की वेबसाइट पर उपलब्ध है। प्रारूप सूची में शामिल न किए गए नामों की बूथ-वार सूचियां पंचायत भवनों और नगरीय निकाय कार्यालयों में प्रदर्शित की जा रही हैं। 23 दिसंबर 2025 से 22 जनवरी 2026 तक दावा-आपत्ति की अवधि निर्धारित की गई है। इस दौरान कोई भी मतदाता या राजनीतिक दल पात्र नाम जोड़ने अथवा अपात्र नाम हटाने के लिए आवेदन कर सकता है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि बिना विधिक प्रक्रिया और कारणयुक्त आदेश के किसी भी नाम का विलोपन नहीं किया जाएगा।
 

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