Burhanpur: 90 के बाद अब नेपानगर का 86 डिग्री वाला ब्रिज चर्चा में, दो साल पहले शुरू हुए पुल पर हो रहे हादसे
नेपानगर के 86 डिग्री ओवरब्रिज पर दो हादसे हो चुके हैं, जिसमें एक मौत हुई। सुरक्षा जालियां लगाने का निर्णय फरवरी में हुआ था, लेकिन अब तक फाइलों में अटका है। कांग्रेस नेता ने तकनीकी जांच की मांग की है, जबकि नगर पालिका को इंदौर से स्वीकृति का इंतजार है।

विस्तार
बीते दिनों मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के ऐशबाग में बने 90 डिग्री वाले ब्रिज की पूरे देश में चर्चा रही। इसके बाद अब प्रदेश के ही बुरहानपुर जिले के नेपानगर में बने 86 डिग्री वाले ओवरब्रिज की भी सुरक्षा व्यवस्था पर स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं। करीब दो साल पहले जनता के लिए खोले गए इस ब्रिज पर अब तक दो हादसे हो चुके हैं, जिसमें एक मौत भी हुई थी। इसके बाद से इस पर जालियां लगाने का काम फाइलों में अटका पड़ा है। हालांकि फरवरी माह में हुए हादसे के बाद स्थानीय नगर पालिका अध्यक्ष भारती पाटील ने भी इंजीनियरों के साथ इस रेलवे ओवरब्रिज का निरीक्षण किया था। इसके बाद ही ब्रिज पर सुरक्षा जालियां लगाने का निर्णय लिया गया था। हालांकि स्थानीय कांग्रेस नेता जगमीत सिंह जोली का कहना है कि 90 और 86 डिग्री में कोई बड़ा अंतर नहीं है। ऐसे में क्या जिला प्रशासन अब भी यहां कोई बड़ा हादसा होने का इंतजार कर रहा है।

बुरहानपुर जिले के नेपानगर में साल 2015-16 में आंबेडकर चौराहा से लेकर संजय नगर तक ओवरब्रिज बनाने को लेकर तत्कालीन विधायक राजेंद्र दादू ने स्वीकृति कराई थी। उस समय इसकी लागत करीब 34 करोड़ रुपये आंकी गई थी। यह ब्रिज सेतु निगम और रेलवे के सहयोग से बनाया जाना था। हालांकि रेलवे प्रशासन द्वारा काम में देरी से इस ब्रिज का निर्माण कार्य बीच-बीच में कई बार बंद भी रहा। आखिरकार करीब 7 वर्षों बाद साल 2023 में यह बन कर पूरा हुआ। लेकिन तब तक इसकी लागत करीब 4 करोड़ रुपए से अधिक होकर 38 करोड़ हो चुकी थी। इधर करीब दो साल पहले इस 16 मीटर चौड़े ओवरब्रिज के शुरू होते ही यहां के मातापुर बाजार के रेलवे क्रॉसिंग गेट को आवागमन के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया गया।
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90 और 86 डिग्री में कोई बड़ा अंतर नहीं
इस ब्रिज को लेकर जिला कांग्रेस कमेटी के ग्रामीण अध्यक्ष जगमीत सिंह जोली ने बताया कि ब्रिज से आवागमन शुरू होने के बाद से बीते दो साल में अब तक यहां दो बाइक सवारों के साथ हादसे हो चुके हैं। पहले हादसे में बाइक से जा रहा युवक गिरकर गंभीर रूप से घायल हुआ था। इसके बाद अभी फरवरी माह में ही एक युवक की ब्रिज की 40 फीट की उंचाई से गिरने से मौत हुई थी। ये हादसे ब्रिज के 86 डिग्री के मोड़ से बने होने के चलते ही हो रहे हैं। जब भोपाल के 90 डिग्री के ब्रिज में सुधार किया जा सकता है, तो यहां भी 90 और 86 डिग्री में कोई ज्यादा बड़ा अंतर नहीं है। इसकी भी टेक्निकल जांच होनी चाहिए। यहां शायद ऐसा लगता है कि, जिला प्रशासन कोई बड़ा हादसा होने का इंतजार कर रहा है।
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86 डिग्री है यह ब्रिज
इधर सेतु निगम की मानें तो, उनके इंजीनियर अरुण गंगराड़े के अनुसार नेपानगर में बनाया गया रेलवे ओवरब्रिज 86 डिग्री का है। इसकी चौड़ाई और गोलाई भी अधिक है। और बीते दो साल में इस पर अब तक सिर्फ दो हादसों के मामले सामने आए हैं। हालांकि इसके बावजूद उन्होंने नगर पालिका को ब्रिज पर सुरक्षा जालियां लगाने की अनुमति दी हुई है। वहीं नगर पालिका इंजीनियर के अनुसार सुरक्षा जालियों को लेकर इंदौर से टेक्निकल स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है।
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