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फिल्म ‘दृश्यम’ जैसी वारदात: शराबी पति की हत्या कर खाट के नीचे शव दफनाने वाली महिला को उम्रकैद, जुर्माना ठोका
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, छिंदवाड़ा
Published by: छिंदवाड़ा ब्यूरो
Updated Fri, 30 May 2025 11:14 PM IST
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सार
पांढुर्णा की मीराबाई पराड़कर को शराबी पति की हत्या कर शव घर में दफनाने के मामले में अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। हत्या और साक्ष्य मिटाने के आरोप में दोषी ठहराई गई मीराबाई को कुल मिलाकर उम्रकैद और ₹3000 जुर्माना भी लगाया गया।
हत्या का मामला
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विस्तार
पांढुर्णा क्षेत्र में अक्टूबर 2022 में सामने आई एक दिल दहला देने वाली वारदात का फैसला अदालत ने सुनाया है। शराबी पति से तंग आकर उसकी हत्या कर शव को घर में खाट के नीचे दफनाने वाली महिला को अपर सत्र न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
घटना ग्राम लांघा की है जहां मीराबाई पराड़कर ने अपने पति घनश्याम पराड़कर की हत्या कर दी थी। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि घनश्याम शराब पीने का आदी था और अक्सर घर का सामान बेचकर पत्नी व परिवार पर अत्याचार करता था। प्रताड़ना से परेशान होकर मीराबाई ने एक दिन गमछे से घनश्याम का मुंह दबाकर उसकी हत्या कर दी और शव को घर के अंदर खाट के नीचे जमीन में दफना दिया।
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यह वारदात तब सामने आई जब 9 अक्टूबर 2022 को पुलिस को सूचना मिली कि एक व्यक्ति कई दिनों से लापता है। थाना पांढुर्णा के तत्कालीन प्रभारी राकेश सिंह बघेल के नेतृत्व में पुलिस ने घर की तलाशी ली, जहां खाट के नीचे मिट्टी में दबा हुआ शव बरामद हुआ।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और साक्ष्यों के आधार पर मीराबाई के खिलाफ धारा 302 (हत्या) और धारा 201 (साक्ष्य मिटाने) के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस अधीक्षक सुंदर सिंह कनेश, एएसपी नीरज सोनी, एसडीओपी ब्रजेश भार्गव, और अन्य अधिकारियों की निगरानी में जांच पूरी की गई। लोक अभियोजक प्रकाश बावने ने अदालत में सशक्त पैरवी की।
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29 मई 2025 को अपर सत्र न्यायालय पांढुर्णा ने मीराबाई पराड़कर को हत्या के अपराध में आजीवन कारावास और ₹2000 जुर्माने की सजा तथा साक्ष्य मिटाने के आरोप में 5 वर्ष के सश्रम कारावास और 1000 जुर्माने की सजा सुनाई।
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घटना ग्राम लांघा की है जहां मीराबाई पराड़कर ने अपने पति घनश्याम पराड़कर की हत्या कर दी थी। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि घनश्याम शराब पीने का आदी था और अक्सर घर का सामान बेचकर पत्नी व परिवार पर अत्याचार करता था। प्रताड़ना से परेशान होकर मीराबाई ने एक दिन गमछे से घनश्याम का मुंह दबाकर उसकी हत्या कर दी और शव को घर के अंदर खाट के नीचे जमीन में दफना दिया।
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पोस्टमार्टम रिपोर्ट और साक्ष्यों के आधार पर मीराबाई के खिलाफ धारा 302 (हत्या) और धारा 201 (साक्ष्य मिटाने) के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस अधीक्षक सुंदर सिंह कनेश, एएसपी नीरज सोनी, एसडीओपी ब्रजेश भार्गव, और अन्य अधिकारियों की निगरानी में जांच पूरी की गई। लोक अभियोजक प्रकाश बावने ने अदालत में सशक्त पैरवी की।
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29 मई 2025 को अपर सत्र न्यायालय पांढुर्णा ने मीराबाई पराड़कर को हत्या के अपराध में आजीवन कारावास और ₹2000 जुर्माने की सजा तथा साक्ष्य मिटाने के आरोप में 5 वर्ष के सश्रम कारावास और 1000 जुर्माने की सजा सुनाई।

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