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कमलनाथ का सियासी प्रहार: छिंदवाड़ा में आदिवासियों की जमीन पर भू-माफिया का कब्जा, प्रशासन पर मिलीभगत के आरोप
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, छिंदवाड़ा
Published by: छिंदवाड़ा ब्यूरो
Updated Wed, 21 May 2025 05:32 PM IST
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सार
कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में आदिवासियों की जमीनें हड़पने का मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। उन्होंने भू-माफिया और प्रशासन की मिलीभगत के आरोप लगाए। कॉलोनियों में बदली जा रही जमीनों और दिखावटी सौदों का जिक्र करते हुए बुदनी मॉडल जैसी कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
पूर्व सीएम कमलनाथ
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विस्तार
पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने अपने गृह जिले छिंदवाड़ा में आदिवासियों की जमीनें भू-माफिया द्वारा हड़पने का आरोप लगाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को खुला पत्र लिखकर न केवल भू-माफियाओं पर निशाना साधा, बल्कि जिला प्रशासन पर भी सीधे-सीधे मिलीभगत के आरोप जड़ दिए।
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कमलनाथ ने पत्र में लिखा है कि छिंदवाड़ा आदिवासी बहुल जिला है, जहां जामई, तामिया, हर्रई, अमरवाड़ा, बिछुआ और पांढुर्ना जैसे क्षेत्र आदिवासी संस्कृति की पहचान हैं, लेकिन अब इन क्षेत्रों में संगठित भू-माफिया नेटवर्क सक्रिय हो चुका है, जो आदिवासियों की जमीनें औने-पौने दाम में खरीदने, फर्जी अनुबंध कराने और बाद में नामांतरण कराकर उन्हें गैर-आदिवासियों के नाम दर्ज कराने में जुटा है।
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प्रशासन बना मूकदर्शक या फिर भागीदार?
कमलनाथ ने सीधे तौर पर आरोप लगाया है कि इस पूरे मामले में जिला प्रशासन की भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में प्रशासन की चुप्पी यह संकेत देती है कि या तो प्रशासन मूकदर्शक है या फिर इस साजिश में सहभागी।
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कॉलोनियों में बदली जा रही आदिवासियों की जमीन
पूर्व सीएम का कहना है कि जिन जमीनों पर कभी आदिवासी किसान फसलें उगाते थे, आज वहां रिहायशी कॉलोनियों की दीवारें खड़ी की जा रही हैं। आदिवासी समुदाय को उनके ही अधिकारों से वंचित कर विकास के नाम पर उन्हें बेदखल किया जा रहा है।
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दिखावटी सौदों से लूट की पटकथा
कमलनाथ ने खुलासा किया कि भू-माफिया अब इस लूट को वैधानिक रूप देने के लिए आदिवासी से आदिवासी के नाम पर दिखावटी सौदे कर रहे हैं, जिससे कानून की आंखों में धूल झोंकी जा सके। लेकिन असलियत में इन सौदों का पूरा नियंत्रण माफिया के हाथों में है।
बुदनी की तर्ज पर कार्रवाई की मांग
पत्र में कमलनाथ ने बुदनी क्षेत्र का उदाहरण देते हुए लिखा कि वहां अवैध रूप से हस्तांतरित आदिवासी जमीनों को पुनः उनके मूल मालिकों को लौटाया गया। उन्होंने छिंदवाड़ा में भी ऐसी ही कड़ी और निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की है।

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