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Damoh News: दमोह से 12 दिन बाद अपने घर लौटी नौरादेही की बाघिन एन-6, ग्रामीणों को मिली राहत
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह
Published by: दमोह ब्यूरो
Updated Sun, 23 Mar 2025 08:03 PM IST
सार
बाघिन के कारण ग्रामीणों का आवागमन बाधित हो गया था, जिससे टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने सुरक्षा बढ़ा दी थी। 22 मार्च को बाघिन पुनः अभ्यारण्य की सीमा में पहुंच गई, जिससे स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली।
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वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
दमोह वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के नौरादेही अभ्यारण्य की बाघिन एन-6 दमोह जिले के जंगल को छोड़कर वापस अपने घर पहुंच गई है। दमोह के तेंदूखेड़ा ब्लाक के जंगल में 12 दिन रुकने के बाद बाघिन ने वापसी की है। जिससे जंगली मार्ग से ग्रामीणों का आवागमन पुनः शुरू हो गया है, क्योंकि बाघिन ने उस जगह डेरा डाला था, जिस मार्ग से ग्रामीणों का आवागमन होता था। इसलिए यहां टाइगर रिजर्व के द्वारा सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी थी। अब बाघिन के लौटने के बाद ग्रामीणों ने भी राहत की सांस ली है।
शनिवार की शाम को उसकी लोकेशन झापन रेंज अंतर्गत वन आमले को मिली। दस मार्च को बाघिन ने दमोह जिले की सीमा में प्रवेश किया था और 22 मार्च को बाघिन पुनः अभ्यारण की सीमा में पहुंच गई है। शनिवार को बाघिन कूदपूरा के जंगलों में थी। टीम बाघिन की निगरानी में लगी है और अब अंदाजा ये लगाया जा रहा है कि बाघिन यहां से होकर पुनः उसी स्थान पर पहुंचेगी, जहां उसे नौरादेही अभ्यारण्य के जंगल में छोड़ा गया था।
ये भी पढ़ें- टाइगर के हमले से चनसुरा निवासी की मौत, ग्रामीणों में दहशत, वन विभाग ने दी सतर्क रहने की सलाह
बता दें सिवनी जिले के पेंच टाइगर रिजर्व से इस बाघिन को यहां लाकर छोड़ा गया था। एक महीने तक बाघिन उसी जगह पर रही, जहां उसको छोड़ा था। उसके बाद वह दमोह जिले के जंगलों में आ गई थी और वापस उसी मार्ग से लौट गई जिस मार्ग से वह आई थी। वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है और बाघिन एन-6 अभी तक अपना एरिया नहीं बना पाई है। वह एरिया खोजने में लगी है, जबकि दूसरे बाघ बाघिन अपना-अपना एरिया पूर्व से बना चुके हैं।
ये भी पढ़ें- आदेश के बाद भी नहीं हुआ श्रम निरीक्षक का स्थानांतरण, प्रशासनिक प्रक्रिया पर उठे सवाल
आवागमन हुआ शुरू
तेजगढ़ रेंज के अधीन कई गांव का आवागमन जंगली मार्ग से होता है। बाघिन के आने के बाद भी कलमली के जंगलों से गुजरने वाले लोग कच्चे मार्ग से आवागमन करते थे। इसलिए बाघिन के जंगल में आने के बाद इस मार्ग की सुरक्षा बड़ा दी गई थी और आवागमन पर अंकुश लगा दिया गया था जो अब पुनः शुरू हो जाएगा। ग्रामीणों ने भी पुष्टि करते हुए बताया कि जो वाहन बाघिन की निगरानी के लिए जंगलों के लिए गुजरता था वह भी रविवार के दिन नहीं आया। लगता है बाघिन यहां से चली गई है। तेंदुखेड़ा उपवन मंडल अधिकारी प्रतीक दुबे ने बताया शनिवार से बाघिन दमोह जिले की सीमा से वापस चली गई है। उसकी लोकेशन दमोह जिले में नहीं मिल रही है। अनुमान है वह वापस नौरादेही लौट गई है।
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शनिवार की शाम को उसकी लोकेशन झापन रेंज अंतर्गत वन आमले को मिली। दस मार्च को बाघिन ने दमोह जिले की सीमा में प्रवेश किया था और 22 मार्च को बाघिन पुनः अभ्यारण की सीमा में पहुंच गई है। शनिवार को बाघिन कूदपूरा के जंगलों में थी। टीम बाघिन की निगरानी में लगी है और अब अंदाजा ये लगाया जा रहा है कि बाघिन यहां से होकर पुनः उसी स्थान पर पहुंचेगी, जहां उसे नौरादेही अभ्यारण्य के जंगल में छोड़ा गया था।
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बता दें सिवनी जिले के पेंच टाइगर रिजर्व से इस बाघिन को यहां लाकर छोड़ा गया था। एक महीने तक बाघिन उसी जगह पर रही, जहां उसको छोड़ा था। उसके बाद वह दमोह जिले के जंगलों में आ गई थी और वापस उसी मार्ग से लौट गई जिस मार्ग से वह आई थी। वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है और बाघिन एन-6 अभी तक अपना एरिया नहीं बना पाई है। वह एरिया खोजने में लगी है, जबकि दूसरे बाघ बाघिन अपना-अपना एरिया पूर्व से बना चुके हैं।
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आवागमन हुआ शुरू
तेजगढ़ रेंज के अधीन कई गांव का आवागमन जंगली मार्ग से होता है। बाघिन के आने के बाद भी कलमली के जंगलों से गुजरने वाले लोग कच्चे मार्ग से आवागमन करते थे। इसलिए बाघिन के जंगल में आने के बाद इस मार्ग की सुरक्षा बड़ा दी गई थी और आवागमन पर अंकुश लगा दिया गया था जो अब पुनः शुरू हो जाएगा। ग्रामीणों ने भी पुष्टि करते हुए बताया कि जो वाहन बाघिन की निगरानी के लिए जंगलों के लिए गुजरता था वह भी रविवार के दिन नहीं आया। लगता है बाघिन यहां से चली गई है। तेंदुखेड़ा उपवन मंडल अधिकारी प्रतीक दुबे ने बताया शनिवार से बाघिन दमोह जिले की सीमा से वापस चली गई है। उसकी लोकेशन दमोह जिले में नहीं मिल रही है। अनुमान है वह वापस नौरादेही लौट गई है।

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