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Guna News: कफ सिरप से मासूमों की मौत पर फूटा आक्रोश, कांग्रेस ने निकाला कैंडल मार्च; मंत्री से मांगा इस्तीफा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गुना
Published by: गुना ब्यूरो
Updated Wed, 08 Oct 2025 10:39 PM IST
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सार
छिंदवाड़ा में जहरीली कफ सिरप से मासूम बच्चों की मौत के बाद प्रदेशभर में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस ने गुना में कैंडल मार्च निकालकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर गंभीर आरोप लगाए और बच्चों की मौत का जिम्मेदार तय करने की मांग की।

कफ सिरप से मासूमों की मौत पर गुना में फूटा आक्रोश, कांग्रेस ने निकाला कैंडल मार्च — जयवर्धन सिं
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विस्तार
छिंदवाड़ा में जहरीली कफ सिरप पीने से मासूम बच्चों की मौत के बाद पूरे प्रदेश में आक्रोश फैलता जा रहा है। इसी कड़ी में गुना में कांग्रेस ने विरोध स्वरूप कैंडल मार्च निकालकर प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग पर गंभीर आरोप लगाए। यह कैंडल मार्च कांग्रेस जिला अध्यक्ष और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह के नेतृत्व में निकाला गया, जिसमें बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता और स्थानीय नागरिक शामिल हुए।
मार्च की शुरुआत पोस्ट ऑफिस हाट रोड से हुई और सदर बाजार होते हुए बापू पार्क में इसका समापन हुआ। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने मासूमों की मौत का जवाब दो, भ्रष्ट सरकार हाय-हाय, स्वास्थ्य मंत्री इस्तीफ़ा दो... जैसे नारे लगाए और सरकार के खिलाफ आक्रोश जताया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हाथों में पोस्टर और बैनर थे, जिन पर लिखा था कि बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन? जहर दी या दवाई?
'घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्था की सच्चाई उजागर कर दी'
कैंडल की रोशनी में कार्यकर्ताओं का गुस्सा और जनता का दर्द साफ झलक रहा था। मार्च के बाद बापू पार्क में सभा आयोजित की गई, जिसमें जयवर्धन सिंह ने कहा कि छिंदवाड़ा की घटना ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की सच्चाई उजागर कर दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी अस्पतालों में बच्चों को जो कफ सिरप दी गई, वह दवाई नहीं, बल्कि जहर थी।
ये भी पढ़ें- Cough Syrup: छिंदवाड़ा दौरे पर आ सकते हैं राहुल गांधी, कफ सिरप से बच्चों की मौत पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा
यह त्रासदी सरकार की लापरवाही और भ्रष्टाचार का परिणाम- पूर्व मंत्री
पूर्व मंत्री ने कहा कि यह त्रासदी सरकार की लापरवाही और भ्रष्टाचार का परिणाम है। उन्होंने उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजेंद्र शुक्ल को जिम्मेदार ठहराते हुए इस्तीफे की मांग की। जयवर्धन सिंह ने कहा कि अब तक कार्रवाई सिर्फ डॉक्टरों और दवा कंपनी तक सीमित है, जबकि दवा खरीद और टेंडर प्रक्रिया में शामिल अधिकारी और मंत्री भी दोषी हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जो लोग भोपाल में बैठकर करोड़ों के टेंडर पास करते हैं, उन्हें क्यों बचाया जा रहा है?
उन्होंने प्रदेश की बिगड़ती स्वास्थ्य सेवाओं पर चिंता जताते हुए कहा, “यह कोई पहली घटना नहीं है। इंदौर के एम. बाय अस्पताल में चूहों के काटने से दो बच्चों की मौत हुई थी। ऐसी घटनाएं बताती हैं कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है और सरकार संवेदनहीन हो गई है।

मार्च की शुरुआत पोस्ट ऑफिस हाट रोड से हुई और सदर बाजार होते हुए बापू पार्क में इसका समापन हुआ। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने मासूमों की मौत का जवाब दो, भ्रष्ट सरकार हाय-हाय, स्वास्थ्य मंत्री इस्तीफ़ा दो... जैसे नारे लगाए और सरकार के खिलाफ आक्रोश जताया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हाथों में पोस्टर और बैनर थे, जिन पर लिखा था कि बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन? जहर दी या दवाई?
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'घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्था की सच्चाई उजागर कर दी'
कैंडल की रोशनी में कार्यकर्ताओं का गुस्सा और जनता का दर्द साफ झलक रहा था। मार्च के बाद बापू पार्क में सभा आयोजित की गई, जिसमें जयवर्धन सिंह ने कहा कि छिंदवाड़ा की घटना ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की सच्चाई उजागर कर दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी अस्पतालों में बच्चों को जो कफ सिरप दी गई, वह दवाई नहीं, बल्कि जहर थी।
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यह त्रासदी सरकार की लापरवाही और भ्रष्टाचार का परिणाम- पूर्व मंत्री
पूर्व मंत्री ने कहा कि यह त्रासदी सरकार की लापरवाही और भ्रष्टाचार का परिणाम है। उन्होंने उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजेंद्र शुक्ल को जिम्मेदार ठहराते हुए इस्तीफे की मांग की। जयवर्धन सिंह ने कहा कि अब तक कार्रवाई सिर्फ डॉक्टरों और दवा कंपनी तक सीमित है, जबकि दवा खरीद और टेंडर प्रक्रिया में शामिल अधिकारी और मंत्री भी दोषी हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जो लोग भोपाल में बैठकर करोड़ों के टेंडर पास करते हैं, उन्हें क्यों बचाया जा रहा है?
उन्होंने प्रदेश की बिगड़ती स्वास्थ्य सेवाओं पर चिंता जताते हुए कहा, “यह कोई पहली घटना नहीं है। इंदौर के एम. बाय अस्पताल में चूहों के काटने से दो बच्चों की मौत हुई थी। ऐसी घटनाएं बताती हैं कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है और सरकार संवेदनहीन हो गई है।