सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Madhya Pradesh ›   Gwalior News ›   BSF drone commandos to be trained in Gwalior; country's first drone warfare school opened at BSF Academy

MP News: ग्वालियर में तैयार होंगे BSF के ड्रोन कमांडोज, बीएसएफ अकादमी में देश का पहला ड्रोन वॉरफेयर स्कूल खुला

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, ग्वालियर Published by: ग्वालियर ब्यूरो Updated Thu, 25 Sep 2025 08:48 PM IST
सार

ग्वालियर के टेकनपुर में बीएसएफ अकादमी में देश का पहला ड्रोन युद्ध स्कूल शुरू किया गया है। यहां जवानों को ड्रोन युद्ध और एंटी ड्रोन सिस्टम की विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी। इससे सीमा सुरक्षा बल की युद्ध क्षमता और रणनीति मजबूत होगी।

विज्ञापन
BSF drone commandos to be trained in Gwalior; country's first drone warfare school opened at BSF Academy
ग्वालियर बीएसएफ टेकनपुर में देश का पहला ड्रोन स्कूल
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की सीमाओं पर बदलते खतरों के जवाब में, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने आक्रामक और रक्षात्मक मानवरहित हवाई क्षमताओं का निर्माण करने के लिए मध्य प्रदेश के टेकनपुर स्थित अपने प्रशिक्षण अकादमी में देश का पहला समर्पित ड्रोन युद्ध स्कूल स्थापित किया है। जहां बीएसएफ के जवानों को ड्रोन युद्ध और एंटी ड्रोन सिस्टम की ट्रेनिंग दी जा रही है, जो ड्रोन के जरिए युद्ध के कौशल में निपुण होंगे।

Trending Videos


पिछले महीने स्थापित, 40 अधिकारियों वाले इस पहले बैच ने एक सप्ताह के "ड्रोन ओरिएंटेशन" पाठ्यक्रम में भाग लिया, जिसमें सभी बीएसएफ सीमाओं और सहायक प्रशिक्षण केंद्रों (एसटीसी) से कमांडेंट और सेकेंड-इन-कमांड स्तर के अधिकारी शामिल थे। वर्तमान में, 47 कर्मियों का एक दूसरा समूह गहन छह-सप्ताह के "ड्रोन कमांडो पाठ्यक्रम" में नामांकित है, जिसमें अधीनस्थ अधिकारी, सहायक उप-निरीक्षक और कांस्टेबल रैंक के प्रशिक्षु शामिल हैं। ड्रोन पायलटिंग, रणनीति, अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) और बढ़ती ड्रोन-सक्षम तस्करी और धमकी की रणनीति को स्कूल में इन कर्मियों को सिखाया जाएगा, इसका आइडिया एडीजी और बीएसएफ अकादमी, टेकनपुर के निदेशक का है।
विज्ञापन
विज्ञापन


अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) और बीएसएफ अकादमी, टेकनपुर के निदेशक शमशेर सिंह ने एएनआई को बताया कि बल पिछले चार-पांच वर्षों से सीमा पर ड्रोन के ज़रिए नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी का सामना कर रहा है और ऑपरेशन सिंदूर के बाद इन चुनौतियों ने नया रूप ले लिया है। एडीजी ने कहा कि इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने, अपने जवानों को प्रशिक्षित करने और अपने बल को इन चुनौतियों से निपटने के लिए सुसज्जित करने के लिए, हमने पिछले महीने ड्रोन युद्ध स्कूल की स्थापना की है।

ये भी पढ़ें- हिरासत में मौत मामला: 'आपके सारे प्रयास दिखावटी, लाचारी प्रकट मत करिए', मप्र सरकार और सीबीआई को सुप्रीम फटकार

अधिकारी ने बताया कि स्कूल का एक बैच पहले ही स्नातक हो चुका है और वर्तमान में दूसरे बैच का प्रशिक्षण जारीहै। रणनीति विंग प्राथमिक फोकस है, यह आक्रामक और रक्षात्मक संचालनों को एकीकृत करता है और संयुक्त भूमिकाओं में काम करने के लिए अधिकारियों और सैनिकों को एक साथ प्रशिक्षित करता है। एडीजी ने कहा कि ड्रोन युद्ध स्कूल में दो प्रमुख पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं - ड्रोन कमांडो और ड्रोन योद्धा पाठ्यक्रम। ड्रोन कमांडो पाठ्यक्रम उन कर्मियों के लिए है जो सीमा पर ड्रोन संचालित करेंगे, जिसमें उड़ान, मरम्मत, हथियारीकरण और त्वरित संयोजन शामिल हैं। कमांडो 50 सेकंड के भीतर एक राइफल को अलग कर सकता है। हम अपने कमांडो को इस तरह प्रशिक्षित करना चाहते हैं कि वह 50 सेकंड में एक ड्रोन को असेंबल कर सके।

एडीजी ने आगे बताया कि यह प्रशिक्षण स्कूल, ड्रोन कमांडो और ड्रोन वॉरियर जैसे प्रमुख पाठ्यक्रम चलाता है ताकि बलों को आक्रामक और रक्षात्मक ड्रोन अभियानों के लिए तैयार किया जा सके, जिसमें त्वरित ड्रोन संयोजन और ड्रोन-रोधी उपाय शामिल हैं। बीएसएफ महानिरीक्षक उमेद सिंह ने एएनआई को बताया कि ड्रोन युद्ध एक उभरता हुआ क्षेत्र है जिसका रूस-यूक्रेन संघर्ष में व्यापक रूप से प्रदर्शन किया गया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद, हमें पश्चिमी सीमा पार से इसी तरह के भारी ड्रोन उपयोग का सामना करना पड़ा। रक्षा की पहली पंक्ति के रूप में, यह आवश्यक है कि हमारे बल ड्रोन संचालन और ड्रोन-रोधी रणनीति में प्रशिक्षित और सुसज्जित हों। ड्रोन-रोधी क्षमता जटिल है और इसमें स्पूफर्स, जैमर, डिटेक्टर और सॉफ्ट-किल तथा हार्ड-किल दोनों समाधान शामिल हैं। हम क्षेत्रीय संरचनाओं के अनुरूप एक एकीकृत ड्रोन-रोधी प्रणाली स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं और अपनी इकाइयों को इन प्रणालियों के प्रावधान को प्राथमिकता दे रहे हैं।

ये भी पढ़ें- भोपाल मेट्रो का कमर्शियल रन: सीएमआरएस टीम ने डिपो और ट्रेनों का निरीक्षण किया, अगले माह शुरू करने की तैयारी

बता दें दुनिया में अलग-अलग जगह पर चल रहे युद्ध में ड्रोन का जमकर इस्तेमाल हो रहा है और इसका ताजा उदाहरण भारत और पाकिस्तान के बीच हुए तनाव का है। यहां भी ड्रोन का जमकर इस्तेमाल हुआ। ऐसे में भारतीय सेना भी अपनी रणनीति और मजबूत कर रही है। सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ ने ग्वालियर में ड्रोन वारफेयर स्कूल की शुरुआत की है। इसमें बीएसएफ ड्रोन कमांडोज तैयार करेगी, जो ड्रोन के जरिए युद्ध के कौशल में निपुण होगी। स्कूल का उद्घाटन बीएसएफ महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी ने बुधवार को किया। इसे बीएसएफ की टेकनपुर अकादमी में शुरू किया गया है।

इस अवसर पर बीएसएफ के डीजी ने अकादमी परिसर में जंगल ट्रेल, योग परिषद और लेक व्यू उद्यान का भी उद्घाटन किया। जंगल ट्रोल को प्राकृतिक माहौल में प्रशिक्षण का माध्यम बताया जा रहा है। यह बीएसएफ कर्मियों को वास्तविक परिस्थितियों का अनुभव प्रदान करेगा। कार्यक्रम में रुस्तमजी इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी कॉलेज का लोगो और पुलिस टेक्नोलॉजी इन्नोवेशन सेंटर का कैंपेडियम का लुक ही जारी किया गया। 

 

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed