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Gwalior News: डायबिटिक छात्र को प्रवेश न देने पर हाईकोर्ट सख्त, कहा- बीमारी पर शिक्षा से वंचित करना गलत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, ग्वालियर Published by: ग्वालियर ब्यूरो Updated Sat, 22 Nov 2025 05:39 PM IST
सार

कोर्ट ने यह भी कहा कि डायबिटिक छात्र सामान्य भारतीय भोजन और मिनी-फ्रिज में इंसुलिन रखकर कोर्स की सभी आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है। संस्थान को ‘उचित सुविधाएं’ देकर छात्र को प्रवेश देना होगा।

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Gwalior News: High Court strict on not giving admission to diabetic student in the institute
ग्वालियर का लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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देश की सबसे प्रतिष्ठित लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन ने एक छात्र को टाइप-1 डायबिटीज के कारण बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। इसी केस में सुनवाई हुई और हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। किसी भी छात्र को बीमारी या दिव्यांगता के आधार पर शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
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बता दें कि एलएनआईपीई ने बीपीएड कोर्स में प्रवेश के लिए लिखित परीक्षा, शारीरिक परीक्षण और स्किल टेस्ट आयोजित किए थे। प्रज्ञांश ने सभी टेस्ट पास कर लिए। 8 अगस्त 2025 को उसे आवंटन पत्र भी मिला था। इसके बावजूद मेडिकल टेस्ट में टाइप-1 डायबिटीज का हवाला देते हुए प्रज्ञांश को प्रवेश नहीं दिया गया। छात्र ने हाईकोर्ट में दलील दी कि वह जिला और राज्य स्तर की बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुका है और कोर्स की सभी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है। कोर्ट ने उसकी दलील मानते हुए कहा कि केवल डायबिटीज के आधार पर उसे अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।
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हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि साधारण भारतीय भोजन जैसे दाल, चावल, रोटी, सब्जी और दही डायबिटिक मरीजों के लिए पर्याप्त और उपयुक्त है। छात्र अपने मिनी-फ्रिज में इंसुलिन रख सकता है, जिससे संस्थान पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। यह मामला नौकरी का नहीं, बल्कि शिक्षा तक पहुंच के अधिकार का है। संस्थान को उचित सुविधाएं (रीजनेबल एकमोडेशन) प्रदान करनी होंगी, ताकि कोई भी छात्र बीमारी या विकलांगता के कारण शिक्षा से वंचित न हो।

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बता दें टाइप-1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से अपने ही पैंक्रियाज की इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देता है।यह बीमारी आमतौर पर बचपन या किशोरावस्था में सामने आती है और मरीज को जीवनभर इंसुलिन पर निर्भर रहना पड़ता है। डायबिटीज में मरीजों का ब्लड शुगर लेवल जब ज्यादा हो जाता है, तो मरीज जल्दी थक जाते हैं। इसका कारण उनके शरीर में एनर्जी की कमी होना है। डायबिटीज के मरीजों को बार-बार पेशाब आती है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब आपका ब्लड शुगर लेवल ज्यादा होता है, तब किडनी ब्लड से ज्यादा शुगर फिल्टर करने की कोशिश करती है। ज्यादा पेशाब के कारण शरीर को ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है। इसलिए मरीजों की प्यास बढ़ जाती है। कई मामलों में इससे लोगों में पानी की कमी होने लगती है।
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