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Gwalior News: 25 करोड़ के फ्रॉड को EOW नहीं कर पाया साबित, 6 साल की जांच में सात आरोपियों को क्लीन चिट
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, ग्वालियर
Published by: ग्वालियर ब्यूरो
Updated Thu, 04 Dec 2025 09:39 AM IST
सार
EOW छह वर्षों की जांच में आरोपों को साबित नहीं कर पाई और 2018 में क्लीन चिट वाली रिपोर्ट पेश की थी। मामला 2010 में शुरू हुआ था, जिसमें आरोप था कि GDA ने जमीन एक निजी कंपनी को कम दरों पर आवंटित की थी।
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जिला एवं सत्र न्यायालय।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
ग्वालियर-ग्वालियर विशेष न्यायालय ने जमीन आवंटन में फर्जीवाड़ा कर शासन को हुए करोड़ो के आर्थिक नुकसान मामले में EOW की खात्मा रिपोर्ट को 07 साल बाद स्वीकार कर लिया, जिसके चलते सभी आरोपियों को बरी किया गया। इस खात्मा रिपोर्ट में शिकायतकर्ता के लगाए आरोप झूठे और नोटिस के बावजूद अदालत की कार्रवाई में शामिल न होना अहम वजह रहा। वीओ- दरअसल जिला कोर्ट के विशेष न्यायलय ने EOW की उस खात्मा रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है, जिसमें ग्वालियर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को जडेरुआ कला में जमीन आवंटन में हुए घोटाले में क्लीन चिट दी थी।
यह घोटाला 25 करोड रुपये का था। यह मामला शुरू से ही आधे अधूरे तथ्यों पर आधारित था, शिकायतकर्ता न तो जांच के दौरान सामने आया न ही उसकी शिकायत में कोई ठोस सर्वे नंबर वास्तविक बाजार मूल्य या कथित हानि होने का प्रमाण था,इस मामले में ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज कर 6 साल तक जांच पड़ताल की थी, लेकिन EOW आरोपों को साबित नहीं कर पाई और 2018 में खात्मा रिपोर्ट पेश कर दी।
ये भी पढ़ें- मुरैना में आरोपी को पकड़ने गई ग्वालियर पुलिस पर हमला, आरोपियों ने पुलिस को मारी गोली, आरक्षक घायल
यह मामला 2010 से शुरू हुआ था जिसमें दावा किया गया था कि प्राधिकरण ने जमीन को एक निजी कंपनी को कम दर पर आवंटित कर दिया जिससे प्राधिकरण को 25 करोड़ का नुकसान हुआ, लेकिन शिकायतकर्ता इस मामले में कभी सामने नहीं आया था, इस मामले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया था उसमें जीडीए के तत्कालीन सीईओ एलएन अग्रवाल संपदा अधिकारी वर्तमान में एसडीएम सबलगढ़, रूपेश उपाध्याय अधीक्षण यंत्री, यूएस मिश्रा कार्यालय अधीक्षक, बृजभूषण मिश्रा तत्कालीन संयुक्त टाउन एंड कंट्री प्लानिंग संचालक, बीके शर्मा,मनोज श्रीवास्तव और कुशल पांडे शामिल है। इस खात्मा रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए सभी आरोपी बरी किये गए हैं।
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यह घोटाला 25 करोड रुपये का था। यह मामला शुरू से ही आधे अधूरे तथ्यों पर आधारित था, शिकायतकर्ता न तो जांच के दौरान सामने आया न ही उसकी शिकायत में कोई ठोस सर्वे नंबर वास्तविक बाजार मूल्य या कथित हानि होने का प्रमाण था,इस मामले में ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज कर 6 साल तक जांच पड़ताल की थी, लेकिन EOW आरोपों को साबित नहीं कर पाई और 2018 में खात्मा रिपोर्ट पेश कर दी।
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यह मामला 2010 से शुरू हुआ था जिसमें दावा किया गया था कि प्राधिकरण ने जमीन को एक निजी कंपनी को कम दर पर आवंटित कर दिया जिससे प्राधिकरण को 25 करोड़ का नुकसान हुआ, लेकिन शिकायतकर्ता इस मामले में कभी सामने नहीं आया था, इस मामले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया था उसमें जीडीए के तत्कालीन सीईओ एलएन अग्रवाल संपदा अधिकारी वर्तमान में एसडीएम सबलगढ़, रूपेश उपाध्याय अधीक्षण यंत्री, यूएस मिश्रा कार्यालय अधीक्षक, बृजभूषण मिश्रा तत्कालीन संयुक्त टाउन एंड कंट्री प्लानिंग संचालक, बीके शर्मा,मनोज श्रीवास्तव और कुशल पांडे शामिल है। इस खात्मा रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए सभी आरोपी बरी किये गए हैं।
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