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Harda Blast: तीन साल पहले भी लगी थी आग, शिकायतों के बाद भी मूकदर्शक बना रहा प्रशासन

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हरदा Published by: अर्पित याज्ञनिक Updated Tue, 06 Feb 2024 04:52 PM IST
सार

Harda Blast: हरदा में जिस पटाखा फैक्टरी में आग लगी है, वहां तीन साल पहले तीन महिलाओं की मौत हुई थी। इससे पहले दस साल में दस लोगों की मौत इस फैक्टरी की वजह से हो चुकी है।  

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Harda Blast: A year ago also there was a fire in the same firecracker factory.
घटनास्थल पर पहुंचे प्रशासन समेत तमाम अधिकारी और नेता। - फोटो : Amar Ujala Digital
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विस्तार
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हरदा की पटाखा फैक्टरी में मंगलवार को आग लगी है, वहां तीन साल पहले भी हादसा हुआ था। तब एक परिवार की तीन महिलाओं की मौत हुई थी। फैक्टरी के मालिक राजेश अग्रवाल को जेल भी भेजा गया था। हालांकि, बाद में वह बाहर आया और उसका काम जारी रहा। एसपी ने फैक्टरी के लाइसेंस को अवैध घोषित कर निरस्त करने का प्रस्ताव भेजा था। कलेक्टर ने इसे अनफिट घोषित कर सील कर दिया था। यह बात अलग है कि बाद में नर्मदापुरम के संभागायुक्त ने इसे बहाल कर दिया था। 

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मगरधा रोड पर स्थित इस फैक्टरी को लेकर कई बार शिकायतें हुई थी। तत्कालीन एसपी ने इस फैक्टरी को बंद करने के लिए पत्र भी लिखा था। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। अगर प्रशासन एक्शन लेता तो यह दुर्घटना नहीं होती। प्रशासनिक अफसरों ने भी अपने स्तर पर कई बार फैक्टरी को बंद कराने की कोशिश की, लेकिन हर बार किसी न किसी वजह से कार्रवाई टल जाती थी। 
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एक महीना पहले हुई थी जांच
हरदा के अधिकारियों की माने तो एक महीना पहले भी जांच हुई थी। उसमें फैक्टरी में गतिविधियां उचित पाई गई थी। इसी वजह से उसे संचालित रहने दिया गया था। उसके बाद राजेश अग्रवाल ने ओवरस्टॉक या अवैध निर्माण किया होगा। इस वजह से यह हादसा हुआ। फिलहाल इतना स्पष्ट है कि हादसे के वक्त फैक्टरी में अवैध गतिविधियां हो रही थी। इसका खुलासा जांच में ही हो सकेगा। 

डेढ़ एकड़ में फैली है फैक्टरी, 300 से ज्यादा लोग काम करते हैं 
हरदा की जिस पटाखा फैक्टरी में आग लगी है, वह डेढ़ एकड़ में फैली है। उसमें 300 से ज्यादा लोग काम करते थे। इन परिवारों ने आसपास ही अवैध निर्माण कर रहना शुरू कर दिया था। आग से प्रभावित अधिकांश घर भी इनमें से ही हैं। फैक्टरी पट्टे की जमीन पर संचालित हो रही थी। इसे राजेश अग्रवाल उर्फ राजू, सोमेश अग्रवाल उर्फ सोमू और प्रदीप अग्रवाल मिलकर चलाते हैं। फैक्टरी को सील करने के बाद मामला हाईकोर्ट भी गया था। उसके बाद इसे संचालन की अनुमति दी गी थी।  

हादसे के वक्त भी महिला-बच्चे काम कर रहे थे

पटाखा फैक्टरी में जब हादसा हुआ, तब वहां करीब 150 महिलाएं और बच्चे काम कर रहे थे। हादसे में घायल एक महिला ने बताया कि फैक्टरी में उस समय करीब 150 महिलाएं और बच्चे काम कर रहे थे। कई तो अब भी नहीं मिल रहे हैं। हरदा-मगरधा रोड स्थित इस फैक्टरी में ब्लास्ट होते ही अफरा-तफरी का माहौल था। कई लोग भागते समय दूर जा गिरे। इमारत के टुकड़ों की बारिश लोगों पर हुई। इससे भी कुछ लोग घायल हुए हैं। गांव में मवेशी भी आग की चपेट में आए। 

ओवरस्टॉक का हो सकता है मामला
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार यह फैक्टरी करीब 20 साल से संचालित हो रही थी। आसपास के घरों में भी पटाखे बनाए जाते थे। उसने आग में घी का काम किया। राजेश अग्रवाल ने फैक्टरी के बाहर एक गोदाम बनाया था। यहां से पटाखों की बिक्री होती थी। यहां ओवरस्टॉक की आशंका जताई जा रही है। जांच में ही इसकी स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। 



 

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