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Harda Factory Blast: कई लोगों की मौत की वजह बनी अवैध पटाखा फैक्ट्री, शुरू होने से लेकर अब तक की ऐसी है कहानी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हरदा
Published by: अरविंद कुमार
Updated Tue, 06 Feb 2024 10:09 PM IST
सार
मध्यप्रदेश के हरदा में एक पटाखा फैक्ट्री में भीषण विस्फोट हुआ। इस हादसे में अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 74 लोग झुलस गए हैं। इनमें 11 को रेफर किया गया है, बाकी 63 जिला अस्पताल में भर्ती हैं। कई लोग लापता भी बताए जा रहे हैं, फैक्ट्री मालिक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
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पटाखा फैक्ट्री में भीषण विस्फोट
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मध्यप्रदेश के हरदा नगर में मंगलवार सुबह हुए एक अवैध फटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट और आगजनी के बाद उस फैक्ट्री से जुड़ी कई बातें सामने आई हैं। मिली जानकारी के अनुसार, यह फैक्ट्री संचालन के लिए फिट नहीं थी। वहीं, करीब महीने भर पहले हुई फैक्टी की जांच में सामने आया था कि यह अवैध रूप से संचालित हो रही थी। पूर्व में हुई कुछ शिकायतों के बाद इस फैक्ट्री को जांच के बाद सील भी किया गया था।
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बताया जा रहा है कि यह फैक्ट्री पट्टे की जमीन पर चल रही थी, जिसे राजेश अग्रवाल उर्फ राजू, सोमेश अग्रवाल उर्फ सोमू और प्रदीप अग्रवाल की पार्टनरशिप में चलाया जा रहा था। जो कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं। वहीं, इन दलों को चुनाव में फैक्ट्री मालिकों के द्वारा फंडिंग करने की बात भी सामने आ रही है। फैक्ट्री के अवैध संचालन को लेकर फिलहाल स्थानीय सिविल लाइन थाना की पुलिस और जिला प्रशासन की भूमिका भी संदेहास्पद दिखाई दे रही है।
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मंगलवार को देश भर के मीडिया की सुर्खियों के आई हरदा नगर के हरदा मगरधा रोड पर व्यवसायी राजेश अग्रवाल की पटाखा फैक्ट्री की शुरुआत करीब 20 साल पहले हरदा के ही बैरागढ़ गांव से हुई थी। उसके बाद से ही फैक्ट्री का कामकाज बढ़ाते हुए मालिक राजेश अग्रवाल के द्वारा तय सीमा से ज्यादा बारूद का भंडारण फैक्ट्री में किया जाने लगा। इसके साथ ही फैक्ट्री से जुड़े आसपास के वर्करों को भी बारूद देकर उनके घरों में भी पटाखों का निर्माण किया जाने लगा। शहर से कुछ दूर गांव में पटाखा फैक्ट्री के लगने के बाद काम की तलाश में मजदूरों ने धीरे-धीरे यहीं बसाहट बनाकर बसना शुरू कर दिया। वहीं, फैक्ट्री में काम करने वाले करीब 40 परिवार भी अस्थाई निर्माण कर यहां रहने लगे थे। कुछ दिन बाद मालिक राजेश ने फैक्ट्री से बाहर मेन रोड पर एक बड़ा सा गोदाम माल रखने के लिए बना लिया, जहां से उसने पटाखों की बिक्री भी शुरू कर दी।
तत्कालीन एसपी ने लिखा था फैक्ट्री बंद करने को पत्र
पटाखे की अवैध फैक्ट्री के मालिक राजेश ने पुरानी सब्जी मंडी के आने घर से भी पटाखों का भंडारण कर वहीं से बेचना भी शुरू कर दिया, जिसके कुछ दिनों बाद शहर के हंडिया रोड पर एक और पटाखा फैक्ट्री शुरू कर दी। इस फैक्ट्री को लेकर आम लोगों की शिकायतें होम पर तत्कालीन एसपी ने इस फैक्ट्री को बंद करने के लिए एक पत्र भी लिखा। लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अगर समय रहते प्रशासन कुछ एक्शन लेता तो शायद इतनी बड़ी यह दुर्घटना नहीं होती। हालांकि, स्थानीय प्रशासनिक अफसरों ने खतरे को भांपते हुए कई बार इस फैक्ट्री को बंद कराने की कोशिश तो की, लेकिन किसी न किसी वजह से उनकी यह कार्रवाई टल जाती।
एक महीने पहले हुई थी जांच
जिला प्रशासन हरदा के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, करीब एक महीने पूर्व ही फैक्टी की जांच हुई थी, जिसमें अधिकारियों को फैक्ट्री का संचालन ठीक मिला था, जिस वजह से उसे संचालित रहने दिया गया था। लेकिन उसके बाद से मालिक राजेश अग्रवाल ने बारुद का ओवर स्टॉक कर लिया होगा और हादसा होने की यही वजह रही होगी।
तीन साल पहले किया था सील
हरदा के मगरधा रोड पर स्थित जिस पटाखा फैक्टरी में मंगलवार को ब्लास्ट हुआ, वहां की कई बार शिकायतें भी हुई थीं तो वहीं तीन साल पहले भी यहां एक हादसा हुआ था। तब हादसे में एक ही परिवार की तीन महिलाओं की मौत हुई थी, जिस पर इस फैक्ट्री के मालिक राजेश अग्रवाल को जेल भी जाना पड़ा था। उसके बाद ही तत्कालीन एसपी ने फैक्ट्री के लाइसेंस को अवैध घोषित कर निरस्त करने का प्रस्ताव जिला प्रशासन को भेजा था। उस समय जिला कलेक्टर ने इसे अनफिट भी घोषित करते हुए सील किया था। लेकिन बाद में नर्मदापुरम के संभागायुक्त ने इसे वापस बहाल कर दिया।
एसडीएम को बनाया गया था प्रस्तुतकर्ता अधिकारी
इधर, हरदा एसडीएम केसी परते ने बताया कि पटाखा फैक्ट्री फिट नहीं थी, तभी तो यह हादसा हुआ है। कुछ समय पहले हरदा प्रशासन ने पटाखा फैक्ट्री काे अनफिट घोषित कर दिया था। बाद में संभागायुक्त नर्मदापुरम ने इसे बहाल कर दिया था। फैक्ट्री करीब डेढ़ एकड़ में फैली है। यहां 300 से ज्यादा लोग काम करते हैं। फैक्ट्री में काम करने वाले करीब 40 परिवार अस्थाई निर्माण कर यहीं पर रह रहे थे। वहीं, तहसीलदार हरदा लवीना घागरे का कहना है कि उनके पहले पदस्थ रहे अफसरों द्वारा फैक्ट्री सील किए जाने के बाद राजेश, सोमेश और प्रदीप हाईकोर्ट गए थे। इसके बाद एसडीएम को इस मामले में प्रस्तुतकर्ता अधिकारी बनाया गया था।

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