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Harda: पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट पीड़ितों की न्याय यात्रा का पुलिस से टकराव, धक्का-मुक्की और खाना न देने का आरोप
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हरदा
Published by: अर्पित याज्ञनिक
Updated Sat, 16 Nov 2024 10:48 PM IST
सार
नेमावर में यात्रा के दूसरे दिन पुलिस ने हाईवे पर रोकने का प्रयास किया, जिससे पीड़ितों और पुलिस के बीच टकराव हुआ। पीड़ितों ने पुलिस पर धक्का-मुक्की और अभद्र भाषा के आरोप लगाए।
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पटाखा फैक्टरी न्याय यात्रा।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मध्यप्रदेश के हरदा जिले के बैरागढ़ स्थित पटाखा फैक्ट्री में बीती 6 फरवरी को हुए भीषण ब्लास्ट के बाद से अब तक करीब 9 माह गुजर जाने के बाद भी पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया है। इसको लेकर अब इन पीड़ितों ने गुरुवार से नगर के आईटीआई से लेकर भोपाल तक के लिए न्याय यात्रा शुरू की हुई है। हालांकि इस यात्रा के दूसरे दिन जब करीब 100 से अधिक ब्लास्ट पीड़ितों ने जिले के नेमावर से अपनी यात्रा शुरू की तो पुलिस ने उनका टकराव हो गया। उनका रास्ता रोक दिया गया। इससे आक्रोशित पीड़ित इंदौर-बैतूल नेशनल हाईवे किनारे ही धरने पर बैठ गए।
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हालांकि कुछ देर बाद पीड़ितों को मनाने हरदा से संयुक्त कलेक्टर सतीश राय, एसडीएम कुमार शानू देवड़िया नेमावर पहुंचे थे, जिन्हें पीड़ितों के गुस्से का शिकार होना पड़ा। वहां धरने पर बैठे ब्लास्ट पीड़ितों ने उनसे कहा कि पिछला पूरा दिन उन्होंने जब आईटीआई से हंडिया के बीच का करीब 21 किलोमीटर तक का रास्ता तय किया, इस दौरान तो उन्हें पूछने तक कोई नहीं आया और अब जब वे लोग नेमावर तक पहुंच गए हैं तो प्रशासन के अधिकारी उन्हें मनाने आ गए हैं। अब वे लोग रुकने वाले नहीं हैं और अब तो भोपाल जाकर मुख्यमंत्री से मिलकर ही उनसे घर और मुआवजे की मांग करेंगे।
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पुलिस ने की धक्का मुक्की और अपशब्दों का प्रयोग
वहीं इस दौरान न्याय यात्रा में शामिल ब्लास्ट पीड़ित अर्चन पिंकी राजपूत ने आरोप लगाया कि नेमावर में एंट्री लेने के बाद यहां की पुलिस पूरे फोर्स के साथ आई थी, और उन्होंने हाईवे पर हमारा रास्ता रोक दिया, लेकिन जब हम सभी पीड़ितों ने इसका विरोध किया, तो नेमावर पुलिस ने हमारे साथ धक्का मुक्की भी की। यही नहीं, इसके साथ ही पुलिसकर्मियों ने बच्चों के साथ गलत शब्दों का प्रयोग भी किया है। वहीं एक अन्य ब्लास्ट पीड़ित जिब्राइल खान ने मीडिया को बताया कि, ब्लास्ट के बाद से लेकर अब तक प्रशासन के द्वारा सभी पीडितों को सुबह का नाश्ता और दोपहर व रात का खाना दिया जा रहा था, लेकिन जिस दिन हम वहां से निकले तो हमे या जो हमारे परिजन घर पर छुटे हैं उन्हें ऐसी कोई सुविधा नहीं दी गई। हालांकि धक्का मुक्की के आरोपों पर एसडीएम कुमार शानू ने कहा कि पुलिस ने किसी तरह की धक्का मुक्की नहीं की थी। हमने केवल पीड़ितों को समझाईश दी है, और उनके लिए खाना भी लेकर आये थे। ब्लास्ट से जुड़ा मामला हाईकोर्ट में पेंडिंग होने के चलते मुआवजा वितरण फिलहाल रुका हुआ है।
पीड़ित बोले, खुली जेल में रहने को हैं मजबूर
हालांकि बताया जा रहा है कि दूसरे दिन प्रशासन की टीम ने पीड़ितों के लिए संदलपुर फाटे के पास दोपहर करीब 2 बजे खाने के पैकेट का इंतजाम किया था। वहीं, पीड़ितों के अनुसार आईटीआई में रह रहे उनके बुजुर्गों व बच्चों को खाना नहीं दिया गया था, इसलिए उन्होंने भी यहां खाना लेने से इनकार कर दिया। इस दौरान ब्लास्ट पीड़ित मथुरा बाई ने मीडिया को। बताया कि एक ओर पटाखा ब्लास्ट के मुख्य आरोपी जमानत मिलने के बाद अपने घरों में आराम से सो रहे हैं। उन्हें पूरी सुविधाएं मिल रही हैं, जबकि हम आईटीआई के एक कमरे में 4 से 5 परिवार के लोग खुली जेल की तरह रहने को मजबूर हैं।

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