सब्सक्राइब करें

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
Hindi News ›   Madhya Pradesh ›   Harda News ›   Mp harda factory blast many people killed And injured rescue operation continues

हरदा आंखों देखी: धमाकों की आवाजों से दहलता रहा शहर, चीख-पुकार और एम्बुलेंस की आवाजों में डूबता रहा दिन

Sarang Upadhyay सारंग उपाध्याय
Updated Tue, 06 Feb 2024 06:38 PM IST
सार

एक शहर जो रोजाना की तरह सुबह अपनी आदत में गुलजार था। उसकी फिजा में बसंत था। दिल में गुजरती सर्दी के जाने की गर्माहट थी। उसके आसमां पर मौसम अपनी करवट के साथ बादलों में घूम रहा था।

विज्ञापन
Mp harda factory blast many people killed And injured rescue operation continues
अपने घर से तकरीबन दो किलोमीटर दूर स्थित मगरधा रोड पर बैरागढ़ में बनी हुई इन फटाखा फैक्ट्रियों में आग - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

हरदा आंखों देखी: 6 फरवरी की सुबह मध्य प्रदेश का हरदा जिला अपने इतिहास की सबसे काली तारीख में दर्ज हो गया। शहर से लगी पटाखा फैक्ट्री जिसके पास से गुजरना कई बार हुआ, अंदाजा नहीं था कि एक के बाद एक धमाकों से दहल उठेगी। धमाके, विस्फोट भी इतने भीषण और भयावह लगा जैसे इजराइल और फिलिस्तीन या फिर रूस यूक्रेन में हो रहे हमलों की आवाजे हों।

Trending Videos


विज्ञापन
विज्ञापन


एक शहर जो रोजाना की तरह सुबह अपनी आदत में गुलजार था। उसकी फिजा में बसंत था। दिल में गुजरती सर्दी के जाने की गर्माहट थी। उसके आसमां पर मौसम अपनी करवट के साथ बादलों में घूम रहा था। खुली सी धूप खिली हुई थी। बच्चे स्कूलों से लौटने की खुशी में मगन अपनी कक्षा में दर्ज थे। हौले-हौले बाजार शादियों की रौनक में गुम होने को बेकरार था और जहां एक सुहाना सा दिन अपनी खामोशी में फैल रहा था कि अचानक शहर की फिजा चिड़ियों की चहचहाहट कृंदन और शोर में डूब गई। आसमान में अंधड़ छा गया और जमीन को हिला देने वाली आवाज भूकंप की शक्ल में उस शहर को दहला गई।


सुबह के सवा ग्यारह बजे विस्फोट और धमाकों के क्षणभर के सिलसिले ने मानों मप्र के हरदा जिले को दहशत से भर दिया। कुछ ऐसा हुआ कि चंद मिनट के भीतर छतों पर कपड़े सुखाती औरतें चीखती, चिल्लाती बदहवास सी भागती नीचे की और दौड़ पड़ीं। छत की ओर भागते हुए इस चश्मदीद ने सड़कों से गुजरते लोगों को डर और दहशत से भागते देखा तो नजरें नीचे की ओर नहीं, बल्कि आसमां की ओर उठ गईं। जहां आसमान में सूरज को ढंक लेने वाला गुबार फैला हुआ था जो धीमे-धीमे उजाले को निगलता चला गया। डर और आशंका दिलों में दहलाती उससे पहले सड़कों पर दौड़ती फायर ब्रिगेड की गाड़ियां, एम्बुलेंस का सलौब बेसब्र सा दौड़ता उस धुएं, आग और आग के दहकते शोलों की ओर भागता जा रहा था। 


वीडियो और फोटो के बीच आंखों में कैद मंजर

अपने घर से तकरीबन दो किलोमीटर दूर स्थित मगरधा रोड पर बैरागढ़ में बनी हुई इन फटाखा फैक्ट्रियों में आग से मानों शहर में सन्नाटा छा गया। घटनास्थल तक पहुंचते जितने लोग मिले सब भागते, बदहवास और छिपते-छिपाते ऐसे नजर आए जैसे कोई उड़ता लोहे का कोई टुकड़ा आकर अब लगा कि तब लगा।

फायर ब्रिगेड, एम्बुलेंस के लिए जगह बनाती पुलिस, स्थानीय प्रशासन, लोग और घटनास्थल से घायलों को उठाकर अस्पताल की ओर दौड़ते लोग बदहवास थे। रोती-बिलतखी औरतें, कोई पति को ढूंढ रही थी तो कोई बच्चों को, किसी की मां बस घर से निकलकर फैक्ट्री पहुंची ही थी तो किसी के पिता और भाई एम्बुलेंस में अपनी आखिरी सांसे गिनते अस्पताल की ओर ले जाए जा रहे थे।
 

Mp harda factory blast many people killed And injured rescue operation continues
स्थानीय रिपोर्टर और पत्रकारों के साथ जैसे-जैसे आगे बढ़ना हुआ कहीं किसी का कटा हाथ पड़ा था तो कहीं किसी के पैर का पंजा। - फोटो : अमर उजाला

विस्फोटों से भरी आग बेकाबू होती रही 

विकराल होती आग लगातार विस्फोटों को बढ़ा रही थी। पटाखों से भरे गोदाम धूं-धूं करते दावानल में बदल रहे थे, जबकि बारूद फटता चला जा रहा था। धमाके इतने भीषण और भयानक थे कि आसपास के मकानों के टीन, दुकानों की शटर उखड़ गईं। पास खड़ी बाइक और कारें उछल-उछलकर तकरीबन सौ फीट दूर तक गिरीं। लोहे के सरिए, मोटे-मोटे लोहे के टुकड़े हवा में उडते राह चलते, वाहनों से गुजरते लोगों पर गिरे और उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया। जिस पटाखा फैक्ट्री में आग लगी वह पूरी तरह ढह गई, जबकि उससे सटी सभी दुकानें तहस-नहस हो गईं। धमाके इतने भयंकर थे कि दो किलोमीटर तक छत और सरिए उड़ गए जबकि पिलर के पिलर जगहों से उखड़कर उछल गए। 


कहीं था पैर का पंजा तो कहीं पड़े थे हाथ, लाशों का ढका चादरों से  
 

स्थानीय रिपोर्टर और पत्रकारों के साथ जैसे-जैसे आगे बढ़ना हुआ कहीं किसी का कटा हाथ पड़ा था तो कहीं किसी के पैर का पंजा। लोग दूर उछलकर गिरे लोगों की लाशों को चादर से ढकते नजर आए। संभावना है कि आसपास के इलाकों में घायल और मृतक आग फैलते-फैलते आसपास के तकरीबन सौ घरों को चपेट में ले चुकी थी, जले हुए और गंभीर रूप से घायलों को पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस कम पड़ रही थी।


अस्पताल का मंजर भयावह था। अफरा-तफरी में पहुंचते घायलों की हालत इतनी गंभीर थी कि किसी का सिर, किसी का पैर, किसी का हाथ तो कोई आधा जली अवस्था में इंदौर और भोपाल रेफर किया गया। दर्द से कराहते, रोते-बिलखते और चीखते लोग अस्पताल में बदहवास से थे। 


जहां जिंदगी ही हादसा नजर आई वहां मौत की वजह वैध कैसी होगी..!

हरदा जैसे शांत शहर में इतने भीषण हादसे का होना दरअसल बीते छिटपुट घटनाओं को नजरअंदाज किए जाने की बड़ी वजह है। अवैध फैक्ट्री, सघन बस्ती क्षेत्र में बारूद का काम और स्थानीय प्रशासन द्वारा नियमों की अनदेखी ने ऐसी घटनाओं को जन्म दिया है। स्थानीय लोग पूर्व में भी ऐसे हादसों के होने का जिक्र करते हैं। ज्यादा दूर ना जाएं तो 2018 में भी पटाखा फैक्ट्री में आग लगी थी जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई थी। ऐसे में प्रशासन ने कार्रवाई क्यों नहीं की? जब शहर फैल रहा है, लगातार आबादी बढ़ रही है तो फिर एक शहर के नजदीक पटाखा फैक्ट्री चलाने की परमिशन क्यों दी जा रही है? ऐसे कई सवाल हैं जो इस हादसे के बाद सरकार के सामने होंगे।

सवाल यह है कि क्या कार्रवाई होगी?

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed