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Indore News: निगम की जबरदस्ती पर 'ब्रेक', शिवाजी मार्केट के दुकानदारों को राहत, कोर्ट ने दिया फैसला
अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
Published by: अर्जुन रिछारिया
Updated Thu, 27 Nov 2025 07:56 PM IST
सार
Indore News: इंदौर हाईकोर्ट ने शिवाजी मार्केट के दुकानदारों को बड़ी राहत देते हुए फैसला सुनाया है कि नगर निगम उन्हें जबरदस्ती या दबाव बनाकर हटा नहीं सकता है, विस्थापन के लिए उचित प्रक्रिया या आपसी अनुबंध का होना अनिवार्य है।
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इंदौर का शिवाजी मार्केट
- फोटो : अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
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विस्तार
इंदौर हाईकोर्ट ने शिवाजी मार्केट की दुकानों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि नगर निगम दुकानदारों को जबरदस्ती और दबावपूर्वक उनकी दुकानों से नहीं हटा सकता।
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मामला क्या है
बीते फरवरी माह में इंदौर नगर निगम ने रिवर फ्रंट योजना के तहत शिवाजी मार्केट के दुकानदारों को दुकानें खाली करने का निर्देश दिया था। निगम ने दुकानदारों को सब्जी मंडी के पास स्थित एक नए कॉम्प्लेक्स में विस्थापित होने और लॉटरी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए कहा था। इस आदेश से नाराज होकर दुकानदारों ने एडवोकेट मनीष यादव और विवेक व्यास के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उस समय कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए लॉटरी प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
वकीलों की दलील
कोर्ट में अंतिम सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रखते हुए एडवोकेट मनीष यादव ने तर्क दिया कि यहां करीब 120 दुकानदार पिछले 40 साल से अपना व्यापार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन रिवर फ्रंट योजना के नाम पर दुकानदारों को एक ऐसी बिल्डिंग में शिफ्ट करना चाहता है जो अवैध है और उसका नक्शा भी पास नहीं है। वहां व्यापार की कोई संभावना नहीं है। वकीलों ने यह भी दलील दी कि निगम की यह कार्रवाई लोक परिसर बेदखली अधिनियम के नियमों के खिलाफ है।
कोर्ट का फैसला
इन तर्कों से सहमत होकर जस्टिस प्रणय वर्मा की सिंगल बेंच ने दुकानदारों के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने नगर निगम को आदेशित किया कि वह उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना दबाव बनाकर दुकानदारों से दुकानें खाली नहीं करवा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि विस्थापन करना आवश्यक है, तो यह दोनों पक्षों की सहमति और एक आपसी अनुबंध के तहत ही किया जाना चाहिए।
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मामला क्या है
बीते फरवरी माह में इंदौर नगर निगम ने रिवर फ्रंट योजना के तहत शिवाजी मार्केट के दुकानदारों को दुकानें खाली करने का निर्देश दिया था। निगम ने दुकानदारों को सब्जी मंडी के पास स्थित एक नए कॉम्प्लेक्स में विस्थापित होने और लॉटरी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए कहा था। इस आदेश से नाराज होकर दुकानदारों ने एडवोकेट मनीष यादव और विवेक व्यास के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उस समय कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए लॉटरी प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
वकीलों की दलील
कोर्ट में अंतिम सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रखते हुए एडवोकेट मनीष यादव ने तर्क दिया कि यहां करीब 120 दुकानदार पिछले 40 साल से अपना व्यापार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन रिवर फ्रंट योजना के नाम पर दुकानदारों को एक ऐसी बिल्डिंग में शिफ्ट करना चाहता है जो अवैध है और उसका नक्शा भी पास नहीं है। वहां व्यापार की कोई संभावना नहीं है। वकीलों ने यह भी दलील दी कि निगम की यह कार्रवाई लोक परिसर बेदखली अधिनियम के नियमों के खिलाफ है।
कोर्ट का फैसला
इन तर्कों से सहमत होकर जस्टिस प्रणय वर्मा की सिंगल बेंच ने दुकानदारों के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने नगर निगम को आदेशित किया कि वह उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना दबाव बनाकर दुकानदारों से दुकानें खाली नहीं करवा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि विस्थापन करना आवश्यक है, तो यह दोनों पक्षों की सहमति और एक आपसी अनुबंध के तहत ही किया जाना चाहिए।