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Harda Blast Case: स्टे हटाने वाले मालसिंह सवालों से घिरे, कलेक्टर ने दिवाली से पहले सील की थी फैक्टरी

Abhishek Chendke अभिषेक चेंडके
Updated Wed, 07 Feb 2024 12:19 PM IST
सार

Harda Blast News: पटाखा फैक्टरी को नियमों के उल्लंघन के चलते कलेक्टर ऋषि गर्ग ने सील किया था। बाद में उस समय के नर्मदापुरम कमिश्नर मालसिंह ने स्टे हटाया था। हादसे के बाद वह सवालों से घिर गए हैं।  

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Indore: The factory was sealed during Diwali, the then Divisional Commissioner Mal Singh had given stay.
हरदा पटाखा फैक्ट्री। - फोटो : amar ujala digital
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विस्तार
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हरदा की हत्यारी पटाखा फैक्टरी में विस्फोट के बाद नर्मदापुरम के पूर्व और इंदौर के मौजूदा कमिश्नर (संभागायुक्त) मालसिंह भयडिया सवालों के घेरे में हैं। उन पर आरोप है कि हरदा के कलेक्टर ऋषि गर्ग ने जब इस फैक्टरी को सील किया था तो उन्होंने ही इस कार्यवाही पर स्टे देकर दिवाली के पूर्व उसे फिर से खुलवाया था। फैक्टरी में लाइसेंस क्षमता से ज्यादा विस्फोटक सामग्री के भंडारण, रहवासी क्षेत्र में फैक्टरी का संचालन जैसे मुद्दे अफसरों को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। भयावह हादसे के बाद अब अफसर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।

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दीपावली के समय तत्कालीन एसडीएम ने जांच की थी। इसमें गड़बड़ियां पाए जाने के बाद कलेक्टर ऋषि गर्ग ने फैक्टरी को सील कर दिया था, लेकिन कुछ दिनों बाद फैक्टरी फिर खुल गई। नर्मदापुरम के तत्कालीन संभागायुक्त मालसिंह भयडिया ने फैक्टरी मालिक राजेश अग्रवाल को स्टे दे दिया था। इसके बाद फिर फैक्टरी का संचालन शुरू हो गया था। मालसिंह फिलहाल इंदौर के संभागायुक्त हैं।
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फैक्टरी मालिक नियमों को रखता था ताक पर
फैक्टरी में 18 साल से कम उम्र के बाल श्रमिकों से भी काम कराया जाता था। फैक्टरी के मुख्य गेट पर काम के दौरान ताला लगाया जाता था। अग्नि हादसे को रोकने के लिए फैक्ट्री में सुरक्षा के इंतजाम भी पर्याप्त नहीं थे। आम तौर पर पटाखा फैक्ट्री बसाहट वाले क्षेत्रों से दूर होना चाहिए, लेकिन यह फैक्टरी रहवासी क्षेत्र में 10 सालों से संचालित हो रही थी। एसडीएम केसी परते का कहना है कि हादसे में गलती किसकी है, यह जांच के बाद ही पता चलेगा। मैं थोड़े समय पहले ही पदस्थ हुआ हूं, फैक्टरी पहले सील की जा चुकी है।

मैंने अगली पेशी तक स्टे दिया था : मालसिंह
इंदौर के मौजूदा संभागायुक्त मालसिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि दो-ढाई साल पुराना केस है। मेरे पास यह रुटीन अपील में आया था। तब ऐसी स्थिति नहीं थी। मैंने हरदा कलेक्टर को इनका पक्ष सुनकर नियमानुसार मामले का निराकरण करने के निर्देश दिए थे। दिवाली की वजह से अगली पेशी तक फैक्टरी पर रोक हटा ली गई थी। फैक्टरी को पूरी तरह व हमेशा के लिए खोलने के लिए नहीं कहा था।
 

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