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MP High Court: EWS वर्ग को लगा हाईकोर्ट से झटका, नहीं मिलेगा आयु सीमा छूट का लाभ
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर
Published by: जबलपुर ब्यूरो
Updated Tue, 18 Mar 2025 04:00 PM IST
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सार
सतना निवासी आदित्य नारायण पांडेय सहित दायर 16 याचिकाओं में कहा गया था, ईडब्ल्यूएस के उम्मीदवारों को आरक्षित श्रेणी में रखा गया है। आरक्षित श्रेणी में होने के बावजूद भी ईडब्ल्यूएस के उम्मीदवारों को आयु सीमा सहित अन्य छूट प्रदान नहीं की जाती है।

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर
- फोटो : अमर उजाला
विस्तार
जबलपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने ईडब्ल्यूएस वर्ग के उम्मीदवारों को अन्य आरक्षित वर्ग की तरह आयु सीमा सहित अटेम्प्ट संख्या में छूट प्रदान करने से इंकार कर दिया है। युगलपीठ ने दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से वंचित वर्गों की दिक्कतें अलग-अलग हैं। इसलिए ईडब्ल्यूएस श्रेणियों के उम्मीदवारों को आयु सीमा में छूट प्रदान नहीं कर सकते हैं।
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बता दें कि सतना निवासी आदित्य नारायण पांडेय सहित दायर 16 याचिकाओं में कहा गया था कि ईडब्ल्यूएस के उम्मीदवारों को आरक्षित श्रेणी में रखा गया है। आरक्षित श्रेणी में होने के बावजूद भी ईडब्ल्यूएस के उम्मीदवारों को आयु सीमा सहित अन्य छूट प्रदान नहीं की जाती है। यूपीएससी ने साल 2025 की प्रारंभिक परीक्षा में ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए आयु सीमा और अटेम्प्ट की संख्या सामान्य वर्ग के तरफ निर्धारित की गई है। आरक्षित श्रेणी में रखे गए अन्य वर्गों को छूट प्रदान की गई है।
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याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि ओबीसी वर्ग को भी आर्थिक आधार पर आरक्षण प्रदान करते हुए आयु सीमा में छूट प्रदान की जाती है। इसके अलावा राज्य सरकार की ओबीसी वर्ग की सूची में शामिल उम्मीदवारों को यूपीएससी में नौ अटेम्प्ट प्रदान करने जाने का मामला भी याचिका में शामिल था। हाईकोर्ट ने पूर्व में ईडब्ल्यूएस वर्ग को आयु सीमा में छूट प्रदान करते हुए यूपीएससी फार्म भरने की अनुमति प्रदान की थी। याचिका की सुनवाई के दौरान यूपीएससी की तरफ से डीओपीटी की गाइड लाइन में ईडब्ल्यूएस वर्ग को आयु सीमा में छूट देने का प्रावधान नहीं होने के संबंध में जानकारी पेश की गई थी।
हाईकोर्ट में पूर्व में ईडब्ल्यूएस वर्ग को आयु सीमा में छूट प्रदान करते हुए यूपीएससी को फार्म भरने की अनुमति प्रदान करने निर्देश दिए थे। युगलपीठ ने 24 फरवरी को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखने के निर्देश जारी किए थे। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि भारतीय संविधान के 103वें संशोधन संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के तहत नागरिकों का एक अलग वर्ग निर्धारित किया गया है। आर्थिक रूप से कमजोर और सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों अलग-अलग है। नागरिक अनुच्छेद 16 (4) में उल्लिखित ईडब्ल्यूएस और एसईबीसी (एससी, एसटी और ओबीसी) अलग-अलग वर्ग हैं और आपस में मिलते-जुलते नहीं दिखते हैं। रियायतें और छूट देने के लिए विचार अनुच्छेद 16 (1) के संवैधानिक लक्ष्य समानता प्रदान करना है।
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ऐसे उम्मीदवारों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना, जिन्होंने अपने सामाजिक पिछड़ेपन या आर्थिक अभाव के कारण जीवन में अभावों का सामना किया है। संविधान में अलग-अलग वर्ग के लिए अलग-अलग रियायतें और छूट प्रदान की गई है। राज्य और केंद्र सरकार के कार्यकारी निर्देशों में केवल इस आधार पर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है कि ऐसी रियायतें और छूट अन्य वर्गों को दी गई है। ईडब्ल्यूएस वर्ग को इसका लाभ नहीं दिया गया है। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि आर्थिक रूप से कमजोर अन्य वर्ग के द्वारा ईडब्ल्यूएस कोटा के दावे पर कोई राय व्यक्त नहीं की है।
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युगलपीठ ने अपने आदेश में राज्य की सूची में शामिल ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को यूपीएससी में नौ अटेम्प्ट की राहत प्रदान करने की मांग को अस्वीकार कर दिया है। युगलपीठ ने आदेश में कहा है कि अनुच्छेद 342-ए से स्पष्ट होता है कि केंद्रीय सूची का अर्थ केंद्र सरकार द्वारा तैयार की गई ओबीसी की सूची से है। केंद्रीय और राज्य सूचियों में अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण और छूट व रियायत संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के प्रावधानों के तहत है।
कोई विशेष जाति या समुदाय केंद्रीय सूची में अधिसूचित हो जाता है तो उन्हें ही केन्द्र सरकार के अधीन सेवाओं में आरक्षण और रियायतों लाभ मिलेगा। याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, अधिवक्ता ध्रुव वर्मा तथा यूपीएससी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश कौशिक तथा केन्द्र सरकार की तरफ से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल व वरिष्ठ अधिवक्ता पुष्पेंद्र यादव उपस्थित हुए।