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Jabalpur News: हाईकोर्ट से कलेक्टर छतरपुर को अवमानना नोटिस, पट्टे की जमीन अभिलेख में दर्ज न करने पर कार्रवाई
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर
Published by: जबलपुर ब्यूरो
Updated Fri, 14 Nov 2025 08:12 AM IST
सार
तहसीलदार और अन्य अधिकारियों के आदेशों के बावजूद नाम दर्ज नहीं किया गया, जिस पर हाईकोर्ट ने पहले ही कलेक्टर को 30 दिन में निराकरण का निर्देश दिया था। समय सीमा बीतने के बाद आदेश पालन न होने पर अवमानना याचिका दायर की गई। कोर्ट ने कलेक्टर से जवाब मांगा है।
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जबलपुर हाईकोर्ट।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश के बावजूद पट्टे में मिली जमीन शासकीय अभिलेख में महिला के नाम पर दर्ज नहीं की गई। उसके खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गयी थी। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस डीडी बसंल की एकलपीठ ने छतरपुर कलेक्टर को अवमानना नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।
लवकुश नगर छतरपुर निवासी देशराज ठाकुर की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उसकी मां जमुना बाई को 1.600 हेक्टेयर कृषि भूमि का पट्टा भूमि स्वामी अधिकार के तहत दिया गया था। तभी से याचिकाकर्ता तथा उसकी मं उक्त भूमि में काबिज थे और शासकीय अभिलेख में उसकी मां का नाम दर्ज था। इसके बाद साल 2010 में कम्प्यूटर अभिलेख में खसरा का संधारण करते समय जमीन उसकी मां के स्थान पर शासकीय भूमि में दर्ज कर दी गयी।
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खबर में नाम दर्ज किये जाने के संबंध में उसने तहसीलदार के समक्ष आवेदन किया था। तहसीलदार ने सितम्बर 2018 में शासकीय मद में उसकी मां का नाम दर्ज करने के आदेश जारी किये थे। इसके बाद भी उसकी मां का नाम खसरे में नहीं जोड़ा गया। उसके बाद उसने संभागायुक्त सागर, जिला कलेक्टर को अभ्यावेदन दिया। इसके बाद भी शासकीय दस्तावेजों में उसकी मां का नाम नहीं दर्ज किया गया। जिस कारण हाईकोर्ट की शरण ली गयी थी। हाईकोर्ट ने जिला कलेक्टर को निर्देशित किया था कि 30 दिनों को याचिकाकर्ता के अभयावेदन का निराकरण करें। निर्धारित समय सीमा गुजर जाने के बावजूद आदेश का पालन नहीं किया गया। जिसके कारण उक्त याचिका दायर की गयी है। याचिका की सुनवाई के बाद एकलपीठ ने कलेक्टर छतरपुर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता शंभु दयाल शर्मा तथा कपिल शर्मा ने पैरवी की।
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लवकुश नगर छतरपुर निवासी देशराज ठाकुर की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उसकी मां जमुना बाई को 1.600 हेक्टेयर कृषि भूमि का पट्टा भूमि स्वामी अधिकार के तहत दिया गया था। तभी से याचिकाकर्ता तथा उसकी मं उक्त भूमि में काबिज थे और शासकीय अभिलेख में उसकी मां का नाम दर्ज था। इसके बाद साल 2010 में कम्प्यूटर अभिलेख में खसरा का संधारण करते समय जमीन उसकी मां के स्थान पर शासकीय भूमि में दर्ज कर दी गयी।
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खबर में नाम दर्ज किये जाने के संबंध में उसने तहसीलदार के समक्ष आवेदन किया था। तहसीलदार ने सितम्बर 2018 में शासकीय मद में उसकी मां का नाम दर्ज करने के आदेश जारी किये थे। इसके बाद भी उसकी मां का नाम खसरे में नहीं जोड़ा गया। उसके बाद उसने संभागायुक्त सागर, जिला कलेक्टर को अभ्यावेदन दिया। इसके बाद भी शासकीय दस्तावेजों में उसकी मां का नाम नहीं दर्ज किया गया। जिस कारण हाईकोर्ट की शरण ली गयी थी। हाईकोर्ट ने जिला कलेक्टर को निर्देशित किया था कि 30 दिनों को याचिकाकर्ता के अभयावेदन का निराकरण करें। निर्धारित समय सीमा गुजर जाने के बावजूद आदेश का पालन नहीं किया गया। जिसके कारण उक्त याचिका दायर की गयी है। याचिका की सुनवाई के बाद एकलपीठ ने कलेक्टर छतरपुर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता शंभु दयाल शर्मा तथा कपिल शर्मा ने पैरवी की।