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Jolly LLB: जॉली एलएलबी-थ्री के गाने का विरोध, एक्टर अक्षय कुमार-अरशद वारसी सहित अन्य से हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर
Published by: जबलपुर ब्यूरो
Updated Fri, 12 Sep 2025 09:30 PM IST
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सार
मप्र हाईकोर्ट ने फिल्म जॉली एलएलबी-3 के गाने "भाई वकील है" पर आपत्ति जताने वाली जनहित याचिका पर अभिनेता अक्षय कुमार, अरशद वारसी, निर्माता-निर्देशक समेत कई पक्षकारों को नोटिस जारी कर 17 सितंबर तक जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि गाना वकालत और न्यायपालिका की गरिमा को अपमानित करता है।

Jolly LLB 3
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने फिल्म जाली एलएलबी-थ्री के गाने 'भाई वकील है...', को चुनौती के मामले में अभिनेता अक्षय कुमार व अरशद वारसी के अलावा निर्माता आलोक जैन, अजित अंधारे व निर्देशक सुभाष कपूर सहित अन्य नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। इसके लिए 17 सितंबर तक का समय दिया है। फिल्म की रिलीज डेट 19 सितंबर है। मामले में राज्य शासन, प्रमुख सचिव गृह विभाग, सचिव सूचना एवं प्रसारण भारत सरकार नई दिल्ली और चेयरमैन सेंट्रल बोर्ड आफ फिल्म सर्टिफिकेशन को भी पक्षकार बनाया गया है।

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यह जनहित याचिका साउथ सिविल लाइन गोविंद भवन जबलपुर निवासी अधिवक्ता प्रांजल तिवारी की ओर से दायर की गई है। जिनकी ओर से अधिवक्ता प्रमोद सिंह तोमर व आरजू अली पैरवी कर रहे हैं। जिन्होंने बताया कि उक्त फिल्म में आपत्ति का मुख्य बिंदू गाने के बोल हैं, जिनके जरिए वकालत जैसे नोबल प्रोफेशन को बदनाम करने का कुत्सित प्रयास किया गया है। बताया गया कि गाने के बोल- रगों में तगड़मबाजी है, हर ताले की चाबी है, लगा के सेटिंग ऐसी रखी, बॉॅस भी हमसे राजी है, गाड़ी ठोंक के गोली मार, पकड़ी ड्रग चली तलवार, हर केस की पैकेज डील है, फिक्र ना कर तेरा भाई वकील है, कबीरा इस संसार में, सबसे सुखी वकील, जीत गए तो मोटी फीस, हार गए तो अपील, यह शब्दावली सर्वथा अनुचित है। याचिकाकर्ता ने भाई वकील है, गाने में अभिनेता अक्षय कुमार व अरशद वारसी द्वारा वकालत का नेकबैंड पहनकर नाचने को भी मानहानिकारक निरूपित किया है। उनका तर्क है कि हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में प्रकरण की पैरवी के दौरान वकील बैंड लगाते हैं और गाउन पहनते हैं। इससे स्पष्ट है कि वकालत के गणवेश की अपनी महत्ता है, जिसे इस तरह मनोरंजन के नाम पर अपमानित नहीं किया जाना चाहिए। फिल्म में न्यायपालिका व वकालत के पेशे को अपनमानजनक तरीके से चित्रित किया गया है। इससे समूचे विधिजगत व न्यायतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंची है।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट से निरस्त हो चुकी है समान याचिका
मामले की गत सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से उपस्थित वकील ने अदालत को सूचित किया गया था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट से भाई वकील है, गाने के विरुद्ध कार्रवाई की मांग वाली एक समान रिट याचिका निरस्त की जा चुकी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इस आधार पर फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की प्रार्थना को नामंजूर कर दिया था। उस याचिका में गाने के जरिए कथित तौर पर न्यायपालिका और कानूनी पेशे को बदनाम किए जाने का आरोप लगाया गया था।
निर्माता-निर्देशक को पक्षकार बनाने के दिए थे निर्देश
उक्त जानकारी को रिकॉर्ड पर लेकर हाईकोर्ट ने सवाल किया कि प्रस्तुत जनहित याचिका में निर्माता-निर्देश के उल्लेख के अभाव में कोई आदेश कैसे पारित किया जा सकता है। लिहाजा, जनहित याचिका में निर्माता-निर्देशक को आवश्यक पक्षकार बनाया जाना चाहिए। जनहित याचिका में कहा गया है कि गाने में फिल्म में वकीलों की भूमिका निभा रहे अभिनेताओं को इस तरह से नाचते हुए दिखाया गया है जो कानूनी पेशे में गरिमा, जिम्मेदारी और गंभीर कर्तव्य के प्रतीक नेकबैंड पहने हुए कानूनी बिरादरी का अपमान और उपहास करता है।
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अपमानजनक हैं गाने के बोल
याचिका के अनुसार, चित्रण न केवल अपमानजनक है, बल्कि सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 की धारा-पांच (बी) के तहत निर्धारित सिद्धांतों का भी उल्लंघन करता है। जनहित याचिका में आगे दावा किया गया है कि गाने में आपत्तिजनक, अश्लील और अपमानजनक बोल हैं, जो न केवल आम जनता-वकीलों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं, बल्कि अश्लीलता का युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।