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Jabalpur: भोपाल में पेड़ काटने के मामले में HC का कड़ा रुख, सात अधिकारियों को किया तलब
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर
Published by: जबलपुर ब्यूरो
Updated Fri, 21 Nov 2025 07:24 AM IST
सार
शिफ्टिंग के नाम पर पेड़ काटने की खबर को गंभीरता से लेते हुए युगलपीठ ने पश्चिमी-मध्य रेलवे जोन के महाप्रबंधक, नगर निगम आयुक्त और सात अन्य अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से तलब किया।
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भोपाल HC
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
भोपाल में पेड़ काटने के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की युगलपीठ ने गंभीर आदेश जारी करते हुए कहा है कि हाईकोर्ट की अनुमति के बिना किसी भी पेड़ को नहीं काटा जाना चाहिए। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने शिफ्टिंग के नाम पर पेड़ों की कटाई से संबंधित अखबार में प्रकाशित खबर को गंभीरता से लेते हुए यह आदेश दिया।
याचिका पर सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पश्चिमी-मध्य रेलवे जोन के महाप्रबंधक और भोपाल नगर निगम आयुक्त को अनावेदक बनाने का आदेश देते हुए सात अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से तलब किया। इसमें अजय श्रीवास्तव, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी, अंडर सेक्रेटरी, विधानसभा सेक्रेटेरिएट, एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर-कम-अंडर सेक्रेटरी, विधानसभा सेक्रेटेरिएट, कमिश्नर, म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन, भोपाल, प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट, प्रिंसिपल सेक्रेटरी, विधानसभा सेक्रेटेरिएट और जनरल मैनेजर, वेस्ट सेंट्रल रेलवे शामिल हैं। याचिका की अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी।
यह मामला भोपाल के समीप भोजपुर-बैरसिया रोड के निर्माण के लिए 488 पेड़ काटे जाने से जुड़ा है। अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार, सड़क चौड़ीकरण के लिए लोनिवि रायसेन ने बिना अनुमति के पेड़ों की कटाई की। नियमानुसार, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत राज्य सरकार को पेड़ काटने के मामलों के लिए एक समिति गठित करनी होती है और किसी भी परियोजना के लिए पेड़ काटने की अनुमति इस समिति से लेना अनिवार्य है। हालांकि, राज्य सरकार द्वारा गठित 9 सदस्यीय समिति या वृक्ष अधिकारी से कोई अनुमति नहीं ली गई।
सरकार की तरफ से पेश जवाब में कहा गया कि कलेक्टर द्वारा 448 पेड़ों को स्थानांतरित करने की अनुमति दी गई थी। जिन पेड़ों को स्थानांतरित नहीं किया जा सका, उनके स्थान पर दस गुना अधिक पेड़ लगाए जाएंगे। इसके अलावा 253 पेड़ों का प्रत्यारोपण किया गया है।
युगलपीठ ने पिछली सुनवाई में कहा था कि उपलब्ध तस्वीरों से स्पष्ट है कि किसी भी पेड़ का प्रत्यारोपण नहीं किया गया है। पेड़ों को पूरी तरह काटा गया और उनके तने जमीन में गाड़ दिए गए हैं, जिनमें से कुछ में अंकुर निकलने लगे हैं। याचिका में हस्तक्षेपकर्ता नितिन सक्सेना को मान्यता देते हुए प्रत्यारोपित पेड़ों की जीपीएस के साथ सेटेलाइट फोटो पेश करने का आदेश दिया गया।
गुरुवार को हुई सुनवाई में हस्तक्षेपकर्ता ने अखबार की खबर का हवाला देते हुए बताया कि भोपाल में कुछ रेजिडेंशियल कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए 244 पेड़ काटने की मांग की गई है। शिफ्टिंग के नाम पर पेड़ों को काटने का नया तरीका अपनाया जा रहा है। अधिकारियों के हवाले से खबर में कहा गया कि पेड़ों की कटाई के लिए परमिशन लेना मुश्किल है और इसलिए पेड़ ट्रांसप्लांट करने के प्रस्ताव में किसी परमिशन की आवश्यकता नहीं है।
युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार की तरफ से पेश हलफनामे में कहा गया कि प्रदेश में कोई ट्री प्लांटेशन पॉलिसी लागू नहीं है। फोटोग्राफ से पता चलता है कि ट्रांसप्लांटेशन का तरीका पेड़ की सभी टहनियों और पत्तियों को पूरी तरह हटाकर पेड़ के तने को दूसरी जगह लगाना था।
विधानसभा बिल्डिंग कंट्रोलर के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर द्वारा 30 अक्टूबर 2025 को विधानसभा सेक्रेटेरिएट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को पत्र लिखा गया था। इसमें बताया गया कि रेजिडेंशियल कॉम्प्लेक्स के निर्माण के कारण कई पेड़ हटाने पड़ रहे हैं, बड़ी संख्या में टहनियों को काटा जा रहा है और भारी मात्रा में लकड़ी इकट्ठा की जा रही है। पत्र में इन टहनियों और लकड़ी का उपयोग करने का अनुरोध किया गया। इससे स्पष्ट है कि किसी पेड़ को बचाने या ट्रांसप्लांट करने का प्रयास नहीं किया जा रहा है।
इस प्रक्रिया में कुल 244 पेड़ काटे जाने की कोशिश की जा रही है। रेलवे के किसी प्रोजेक्ट के लिए पहले ही 8000 पेड़ काटे जा चुके हैं। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद संबंधित अधिकारियों को तलब करते हुए ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों की फोटो पेश करने का आदेश दिया है।
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याचिका पर सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पश्चिमी-मध्य रेलवे जोन के महाप्रबंधक और भोपाल नगर निगम आयुक्त को अनावेदक बनाने का आदेश देते हुए सात अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से तलब किया। इसमें अजय श्रीवास्तव, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी, अंडर सेक्रेटरी, विधानसभा सेक्रेटेरिएट, एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर-कम-अंडर सेक्रेटरी, विधानसभा सेक्रेटेरिएट, कमिश्नर, म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन, भोपाल, प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट, प्रिंसिपल सेक्रेटरी, विधानसभा सेक्रेटेरिएट और जनरल मैनेजर, वेस्ट सेंट्रल रेलवे शामिल हैं। याचिका की अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी।
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यह मामला भोपाल के समीप भोजपुर-बैरसिया रोड के निर्माण के लिए 488 पेड़ काटे जाने से जुड़ा है। अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार, सड़क चौड़ीकरण के लिए लोनिवि रायसेन ने बिना अनुमति के पेड़ों की कटाई की। नियमानुसार, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत राज्य सरकार को पेड़ काटने के मामलों के लिए एक समिति गठित करनी होती है और किसी भी परियोजना के लिए पेड़ काटने की अनुमति इस समिति से लेना अनिवार्य है। हालांकि, राज्य सरकार द्वारा गठित 9 सदस्यीय समिति या वृक्ष अधिकारी से कोई अनुमति नहीं ली गई।
सरकार की तरफ से पेश जवाब में कहा गया कि कलेक्टर द्वारा 448 पेड़ों को स्थानांतरित करने की अनुमति दी गई थी। जिन पेड़ों को स्थानांतरित नहीं किया जा सका, उनके स्थान पर दस गुना अधिक पेड़ लगाए जाएंगे। इसके अलावा 253 पेड़ों का प्रत्यारोपण किया गया है।
युगलपीठ ने पिछली सुनवाई में कहा था कि उपलब्ध तस्वीरों से स्पष्ट है कि किसी भी पेड़ का प्रत्यारोपण नहीं किया गया है। पेड़ों को पूरी तरह काटा गया और उनके तने जमीन में गाड़ दिए गए हैं, जिनमें से कुछ में अंकुर निकलने लगे हैं। याचिका में हस्तक्षेपकर्ता नितिन सक्सेना को मान्यता देते हुए प्रत्यारोपित पेड़ों की जीपीएस के साथ सेटेलाइट फोटो पेश करने का आदेश दिया गया।
गुरुवार को हुई सुनवाई में हस्तक्षेपकर्ता ने अखबार की खबर का हवाला देते हुए बताया कि भोपाल में कुछ रेजिडेंशियल कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए 244 पेड़ काटने की मांग की गई है। शिफ्टिंग के नाम पर पेड़ों को काटने का नया तरीका अपनाया जा रहा है। अधिकारियों के हवाले से खबर में कहा गया कि पेड़ों की कटाई के लिए परमिशन लेना मुश्किल है और इसलिए पेड़ ट्रांसप्लांट करने के प्रस्ताव में किसी परमिशन की आवश्यकता नहीं है।
युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार की तरफ से पेश हलफनामे में कहा गया कि प्रदेश में कोई ट्री प्लांटेशन पॉलिसी लागू नहीं है। फोटोग्राफ से पता चलता है कि ट्रांसप्लांटेशन का तरीका पेड़ की सभी टहनियों और पत्तियों को पूरी तरह हटाकर पेड़ के तने को दूसरी जगह लगाना था।
विधानसभा बिल्डिंग कंट्रोलर के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर द्वारा 30 अक्टूबर 2025 को विधानसभा सेक्रेटेरिएट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को पत्र लिखा गया था। इसमें बताया गया कि रेजिडेंशियल कॉम्प्लेक्स के निर्माण के कारण कई पेड़ हटाने पड़ रहे हैं, बड़ी संख्या में टहनियों को काटा जा रहा है और भारी मात्रा में लकड़ी इकट्ठा की जा रही है। पत्र में इन टहनियों और लकड़ी का उपयोग करने का अनुरोध किया गया। इससे स्पष्ट है कि किसी पेड़ को बचाने या ट्रांसप्लांट करने का प्रयास नहीं किया जा रहा है।
इस प्रक्रिया में कुल 244 पेड़ काटे जाने की कोशिश की जा रही है। रेलवे के किसी प्रोजेक्ट के लिए पहले ही 8000 पेड़ काटे जा चुके हैं। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद संबंधित अधिकारियों को तलब करते हुए ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों की फोटो पेश करने का आदेश दिया है।