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Khargone News: भंडारे को लेकर भड़के राजपूत-गवली समाज के बीच लाठी-डंडे चले, पुलिस-प्रशासन की समझाइश से थमा विवा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, खरगोन
Published by: प्रिया वर्मा
Updated Sat, 04 Oct 2025 10:45 PM IST
सार
बरझर के सामुदायिक भवन में भंडारे को लेकर आमने-सामने हुए राजपूत समाज और गवली समाज के बीच का विवाद पुलिस की समझाइश के बाद शांत हो गया। करणी सेना ने बालवाड़ा थाने के प्रभारी को निलंबित करने की मांग की है।
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समाजजनों के साथ समझाइश करते पुलिस अधिकारी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
जिले के बड़वाह ब्लॉक के ग्राम बरझर में राजपूत एवं गवली समाज के बीच पिछले दो दिनों से चला आ रहा विवाद आखिरकार शनिवार को पुलिस और प्रशासन की समझाइश के बाद शांत हो गया। सामुदायिक भवन में आयोजित भंडारे को लेकर शुरू हुआ यह विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों समाजों के बीच लाठी-डंडे चल पड़े। इस झगड़े में 9 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से कुछ को गंभीर हालत में इंदौर रैफर करना पड़ा।
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कैसे भड़का विवाद
जानकारी के अनुसार मुदायिक भवन में भंडारे के आयोजन को लेकर दोनों समाजों के बीच कहासुनी हो गई। देखते ही देखते यह विवाद मारपीट में बदल गया। इसी दौरान राजपूत समाज के एक बुजुर्ग के साथ बलवाड़ा थाना प्रभारी द्वारा अभद्रता एवं मारपीट का मामला सामने आया। इस घटना से आक्रोशित राजपूत समाज के लोगों ने बलवाड़ा थाने का घेराव कर दिया।
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करणी सेना का समर्थन
बुजुर्ग के साथ हुई मारपीट की खबर फैलते ही जिले के अलग-अलग हिस्सों से करणी सेना के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में बलवाड़ा थाने पहुंच गए और थाना प्रभारी पर कार्रवाई की मांग करते हुए थाने का घेराव कर दिया। करणी सेना का कहना था कि थाना प्रभारी को तत्काल निलंबित किया जाए।
पुलिस-प्रशासन की बड़ी चुनौती
विवाद को बढ़ता देख खरगोन से एडिशनल एसपी शकुंतला रुहल, एसडीओपी अर्चना रावत, बड़वाह व बलवाड़ा थाना पुलिस मौके पर पहुंचीं। पुलिस अधिकारियों ने पहले दोनों समाजों के बीच शांति बहाली के लिए बैठक बुलाई। बैठक में दोनों समाजों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और आपसी सहमति से यह तय किया कि भविष्य में इस तरह का कोई विवाद नहीं होगा।
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प्रशासन की सख्त चेतावनी
बैठक के दौरान एडिशनल एसपी शकुंतला रुहल ने साफ कहा कि "अगर भविष्य में दोनों समाजों के बीच किसी भी प्रकार का विवाद हुआ तो पुलिस अपराध पंजीबद्ध कर सख्त कानूनी कार्रवाई करेगी।"
दोनों समाजों के प्रतिनिधियों ने भी स्वीकार किया कि अब आगे विवाद की स्थिति में जिम्मेदार व्यक्ति पर ही कठोर कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस अधिकारियों का योगदान
इस पूरे विवाद को सुलझाने में एसडीओपी अर्चना रावत और थाना प्रभारी बलराम सिंह राठौड़ की समझाइश और शांतिपूर्ण रणनीति अहम साबित हुई। पुलिस ने मौके पर सक्रिय भूमिका निभाकर न केवल माहौल शांत कराया, बल्कि संभावित बड़े तनाव को भी टाल दिया।
अब भी बनी है चुनौती
हालांकि समाचार लिखे जाने तक पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती करणी सेना द्वारा बलवाड़ा थाने का जारी घेराव बनी हुई थी। सेना के कार्यकर्ता थाना प्रभारी पर कार्रवाई की मांग पर अड़े हुए हैं। पुलिस लगातार समझाइश कर घेराव खत्म कराने की कोशिश कर रही है।
बरझर की यह घटना इस बात का बड़ा सबक है कि आपसी विवाद कितना जल्दी हिंसा का रूप ले सकता है। अब देखना होगा कि दोनों समाज अपने संकल्प पर कितनी देर तक टिके रहते हैं और आपसी सौहार्द को कायम रखते हैं।

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