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MP News: 'पूजा-पाठ और शास्त्रसम्मत व्यवस्थाओं में शासन का दखल उचित नहीं', शंकराचार्य ने क्यों कही ये बात

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नरसिंहपुर Published by: अर्पित याज्ञनिक Updated Thu, 04 Dec 2025 03:05 PM IST
सार

शंकराचार्य ने चेताया कि अत्यधिक उदारता राष्ट्र के लिए नुकसानदेह है और धर्माचार्यों के अधिकारों व मंदिरों की स्वतंत्रता में सरकारी दखल उचित नहीं। कार्यक्रम में अग्नि अखाड़ा के पीठाधीश्वर स्वामी रामकृष्णानंद महाराज ने भी सरकारों पर सवाल उठाकर कहा कि हिंदू हितैषी सरकार होने के बावजूद गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा नहीं मिल पाया।

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MP News: Shankaracharya Sadanand Saraswati raised questions on religion, security and politics in Kareli
शंकराचार्य सदानंद सरस्वती। - फोटो : अमर उजाला
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करेली में आयोजित भव्य धार्मिक कार्यक्रम में शारदापीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने देश की सुरक्षा, भारतीयता और धर्म के मुद्दों पर तीखे वक्तव्य दिए। दिल्ली बम कांड के आरोपियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि “जो हमारी भूमि पर रहते हैं, हमारा भोजन करते हैं, हमारी शिक्षा और स्कॉलरशिप का लाभ लेकर डॉक्टर बनते हैं…उन्हें देश में बम फोड़ने का कोई अधिकार नहीं दिया जा सकता।”
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शंकराचार्य ने चेतावनी दी कि अत्यधिक उदारता राष्ट्र के लिए घातक हो सकती है। उन्होंने कहा कि भारतीयता के गौरव को अपनाए बिना देश की रक्षा संभव नहीं। साथ ही हिंदू धर्म के पाखंडियों पर भी प्रहार करते हुए कहा कि कई लोग हिंदू कहलाकर ही सनातन धर्म को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट मत रखा कि देश के मंदिर सरकार के अधीन नहीं, बल्कि संत-महात्माओं के अधीन होने चाहिए। उन्होंने कहा कि पूजा-पाठ, परंपराओं और शास्त्रसम्मत व्यवस्थाओं में शासन का दखल उचित नहीं है।
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शंकराचार्य ने कहा कि सनातन धर्म को कमजोर करने की कोशिशें लगातार हो रही हैं। उन्होंने चेताया कि जब तक हिंदू समाज धर्मपालन और परंपराओं के संरक्षण के प्रति गंभीर नहीं होगा, तब तक मंदिर और धार्मिक संस्थान सुरक्षित नहीं रह सकते। उन्होंने समाज से आह्वान किया कि धर्म और आस्था के मामलों में जागरूकता और एकता आवश्यक है।

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इसी कार्यक्रम में अग्नि अखाड़ा के पीठाधीश्वर स्वामी रामकृष्णानंद महाराज ने भी सरकारों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि हिंदुओं की हितैषी सरकार होने के बावजूद गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा नहीं मिल पा रहा है। जब संत इस मुद्दे को उठाते हैं, तो उसे राजनीतिक रंग दे दिया जाता है। उन्होंने कहा कि धर्माचार्यों की आवाज़ को राजनीति से जोड़ना अनुचित है। दोनों संतों ने आरोप लगाया कि राजनीतिक दल संत समाज में अनावश्यक हस्तक्षेप कर विभाजन पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज को ऐसे प्रयासों से सतर्क रहने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम के दौरान करेली में मां भगवती राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी माता की भव्य शोभायात्रा भी निकाली गई, जिसका नगर में जगह-जगह स्वागत किया गया। शंकराचार्य सदानंद सरस्वती का यह करेली में प्रथम नगर प्रवचन था, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और धर्म लाभ लिया।

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