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शिक्षक दिवस विशेष: मध्य प्रदेश के इस गांव के हर घर में शिक्षक, नई पीढ़ियां मिशन की तरह संभाल रहीं ये 'विरासत'

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नरसिंहपुर Published by: अमर उजाला ब्यूरो Updated Fri, 05 Sep 2025 05:54 PM IST
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सार

मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले का सिंहपुर बड़ा गांव शिक्षा का गढ़ है, जहां 5,000 की आबादी में 800 शिक्षक रहते हैं। शर्मा परिवार समेत कई परिवारों ने पीढ़ियों से शिक्षण परंपरा निभाई है। पांच शिक्षकों को राष्ट्रपति सम्मान मिल चुका है। महिलाएं भी अग्रणी भूमिका निभा रही हैं, जिससे गांव राष्ट्रीय प्रेरणा बना है। 

Teachers' Day Special: Singhpur Bada, where the story of education resonates from every household
एक ऐसा परिवार जहा घर का हर सदस्य शिक्षक है - फोटो : credit
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विस्तार
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शिक्षक दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले का सिंहपुर बड़ा गांव देश के लिए प्रेरणा बनकर उभरता है। करीब 5,000 की आबादी वाले इस गांव में लगभग 800 शिक्षक रहते हैं, जहां हर घर में कम से कम एक शिक्षक जरूर मिलता है। चार-पांच पीढ़ियों से चली आ रही शिक्षण की परंपरा इस गांव को शिक्षा का गढ़ बनाती है, जो समाज को नई दिशा देने की ताकत रखती है।

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शर्मा परिवार: शिक्षण की जीवंत विरासत
गांव के कई परिवार शिक्षण से जुड़े हैं, लेकिन शर्मा परिवार इसकी मिसाल है। इस परिवार के 15 से अधिक सदस्य शिक्षक हैं। स्व. महेंद्र दत्त शर्मा, स्व. ज्वाला प्रसाद शर्मा और स्व. हरदयाल शर्मा ने शिक्षण के क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी। परिवार के जेपी शर्मा हायर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल रह चुके हैं। आज की पीढ़ी में भी उनके पुत्र, पुत्रवधुएं और प्रपौत्रवधुएं इस परंपरा को गर्व के साथ आगे बढ़ा रही हैं।
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पांच शिक्षकों पर राष्ट्रपति सम्मान की मोहर
सिंहपुर बड़ा के पांच शिक्षकों को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति सम्मान से नवाजा जा चुका है। शेख नियाज मुहमद (1961), महेशचंद्र शर्मा और बीएल बुनकर (1991), नरेंद्र शर्मा (1995) और मोतीलाल मेहरा इस सम्मान के हकदार रहे। इन शिक्षकों ने गांव का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया।

महिलाएं भी बनीं परंपरा की ध्वजवाहक
गांव की शिक्षिकाएं भी इस विरासत को बखूबी संभाल रही हैं। शिक्षिका आशीर्वाद शर्मा, जिनके माता-पिता भी यहीं शिक्षक थे, अब गांव में पढ़ा रही हैं। वहीं, प्रज्ञा दुबे, जिन्हें उनके दादा-नाना और परिवार के अन्य सदस्यों ने पढ़ाया, आज अंग्रेजी की अध्यापिका हैं। बृजेश शर्मा बताते हैं कि गांव में बच्चों को बचपन से अनुशासन और शिक्षा का पाठ पढ़ाया जाता है, जिसके चलते यहां का शैक्षिक स्तर हमेशा ऊंचा रहा है।

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1995 का वो ऐतिहासिक पल
1995 में जब नरेंद्र शर्मा को राष्ट्रपति सम्मान मिला, तो गांव में जश्न का माहौल था। उन्होंने उस पल को याद करते हुए कहा कि सम्मान की खबर मिलते ही गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। साथी शिक्षक और बच्चे मुझे माला पहनाने लगे। मैंने साफ कहा कि कोई खर्च न करें, बस फोटो का खर्च उठाएंगे।

शिक्षा का मॉडल बना सिंहपुर बड़ा
सिंहपुर बड़ा गांव सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि शिक्षा का एक जीवंत मॉडल है। यहां की कहानी बताती है कि शिक्षा न सिर्फ व्यक्ति, बल्कि पूरे समाज को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है। शिक्षक दिवस पर यह गांव हर किसी को प्रेरित करता है कि शिक्षण सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि एक मिशन है।

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