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Hindi News ›   Madhya Pradesh ›   Blackbuck meat was supplied to major cities; STF is investigating the network of poachers.

काला हिरण शिकार कांड: भोपाल के रास्ते मुंबई में होती थी मांस की सप्लाई, अब STF खंगालेगी शिकारियों का नेटवर्क

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सागर Published by: सागर ब्यूरो Updated Mon, 08 Dec 2025 06:18 PM IST
सार

सागर के काले हिरण के शिकार मामले में अब एसटीएफ की भी एंट्री हो गई है। मुख्य आरोपी वसीम खान ही शिकार के पूरे नेटवर्क को संभालता था। यही तय करता था कि हिरण का शिकार किस जगह होना है। शिकार के बाद काले हिरण का मांस भोपाल से मुंबई जाता है। इसका खुलासा हुआ है। 

 

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Blackbuck meat was supplied to major cities; STF is investigating the network of poachers.
वन अमले की गिरफ्त में शिकारी। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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सागर में काले हिरण के शिकार मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। शिकारियों का  मुख्य सरगना वसीम खान है जो भोपाल में बीएचएमएस डॉक्टर भी है। पूछताछ में पता चला कि ये आरोपी मांस को भोपाल-इंदौर के रास्ते देश के मुंबई और कई बड़े शहरों में भेजते थे। चलिए जानते हैं इस मामले जुड़ी और भी बातें।
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सागर के राहतगढ़ में भोपाल के डॉक्टर वसीम खान सहित तीन शिकारियों की गिरफ्तारी के बाद अब वन्यजीव मांस की अंतरराज्यीय तस्करी के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। वन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सागर-भोपाल रूट पर शिकार किए गए काले हिरण और अन्य वन्यजीवों का मांस भोपाल इंदौर के रास्ते मुंबई और देश के अन्य बड़े शहरों तक भेजा जाता है।
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शिकारियों का मुख्य ठिकाना राहतगढ़
सूत्रों ने बताया कि भोपाल से सटे विदिशा, रायसेन और औबेदुल्लागंज के साथ-साथ सागर का राहतगढ़ इलाका शिकारियों के लिए एक प्रमुख शिकारगाह है।इसकी मुख्य वजह यह है कि राहतगढ़ क्षेत्र में काले हिरण और चीतल की आबादी अधिक है। यहां का जंगल घना है। इस वजह से शिकारियों का रात में शिकार करना आसान रहता था। 

टॉर्च और दूरबीन लगी राइफल का उपयोग 
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों ने शिकार के लिए आधुनिक साधनों का इस्तेमाल किया। उन्होंने रात में शिकार करने के लिए खास तैयारी की थी। रात में निशाना लगाने के लिए राइफल में टॉर्च और दूरबीन लगी थी। यह राइफल 22 बोर की थी, जिससे काले हिरण को तीन गोलियां मारी गईंं। 

स्थानीय लोगों की संलिप्तता का संदेह
यह भी सामने आया है कि इस रैकेट में कुछ स्थानीय लोगों की संलिप्तता हो सकती है। ये लोग शिकारियों को काले हिरण, चीतल और नीलगाय की सटीक लोकेशन बताते थे। फिर उसी जगह पर जाकर शिकार किया जाता था। सूत्रों का कहना है कि गो-वध पर प्रभावी अंकुश लगने के बाद कुछ स्थानीय लोग इन शिकारियों से मिल गए हैं। 

 वन विभाग की टीम अब अगले चरण में भोपाल स्थित वसीम खान के क्लीनिक पर छापामार कार्रवाई करेगी। इसके साथ ही आरोपियों के बैंक खाते, फोन रिकॉर्ड और सोशल नेटवर्किंग की जांच भी की जाएगी। यह पता लगाया जा रहा है कि गिरोह में कितने लोग हैं। ये कब से  सक्रिय था। गिरोह का नेटवर्क दिल्ली और मुंबई में किनसे जुड़ा हुआ है। वन विभाग इस पूरे मामले को इंटरनेशनल वाइल्डलाइफ स्मगलिंग सिंडिकेट से जोड़ कर देख रहा है। इस पूरे केस में अब STF भी शामिल हो गई है, जो अपने स्तर पर पूरे केस की जांच करेगी। 

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पहले भी पकड़ी गई थी बड़ी खेप
राहतगढ़ वन परिक्षेत्र में जंगली जीवों के मांस की तस्करी का यह पहला मामला नहीं है। वर्ष 2015 में भी तत्कालीन वन अमले ने भोपाल के एक कुख्यात शिकारी बहूद को दबोचकर 4 क्विंटल जंगली मांस की एक बड़ी खेप जब्त की थी। इससे इस रूट पर होने वाली तस्करी की गंभीरता को समझा जा सकता है। फिलहाल, मुख्य आरोपी डॉ. वसीम खान सहित तीनों गिरफ्तार आरोपियों को जिला न्यायालय द्वारा ज्युडिशियल रिमांड पर जेल भेज दिया गया है। वन विभाग इस अंतरराज्यीय तस्करी के पूरे नेटवर्क और इसके आर्थिक पहलुओं की गहराई से जांच कर रहा है। वन विभाग अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही इस शिकार रैकेट के सभी सदस्यों और खरीददारों की पहचान कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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