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Satna News: सरकारी जमीन को लेकर पूर्व सरपंच को मारने वाले बाप-बेटे समेत चार को उम्रकैद, सतना अदालत का फैसला
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सतना
Published by: सतना ब्यूरो
Updated Wed, 29 Oct 2025 03:58 PM IST
सार
कैमा ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच पुरुषोत्तम चौधरी की हत्या मामले में अदालत ने पांच साल बाद फैसला सुनाते हुए चार आरोपियों—रामकिशोर, अक्षय, रामगरीब और ओमप्रकाश चौधरी—को आजीवन कारावास और 5-5 हजार रुपये जुर्माने की सजा दी। सरकारी जमीन के विवाद से उपजे झगड़े में पूर्व सरपंच की हत्या हुई थी।
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पांच साल बाद मिली हत्यारों को सजा
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विस्तार
कैमा ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच पुरुषोत्तम चौधरी की हत्या के बहुचर्चित मामले में अदालत ने मंगलवार को फैसला सुना दिया। न्यायालय ने हत्या के इस संगीन मामले में बाप-बेटे समेत चार आरोपियों को दोषी करार देकर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह निर्णय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश मानवेन्द्र प्रताप सिंह की अदालत ने सुनाया। अदालत ने चारों दोषियों पर 5-5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
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न्यायालय ने जिन चार आरोपियों को अदालत ने हत्या का दोषी माना है, उनमें से रामकिशोर उर्फ कल्लू चौधरी, अक्षय चौधरी (पुत्र रामकिशोर चौधरी), रामगरीब चौधरी (पिता चुनकाई चौधरी), ओमप्रकाश चौधरी (पिता रामकिशोर चौधरी) अदालत ने सभी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत अपराध प्रमाणित पाए जाने पर यह सजा सुनाई है।
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क्यों हुआ था सरकारी जमीन पर विवाद
अभियोजन के अनुसार यह घटना 26 अक्टूबर 2020 की है। मृतक पुरुषोत्तम चौधरी जो उस समय कैमा ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच थे, सरकारी जमीन के एक विवाद को लेकर आरोपियों के निशाने पर आ गए थे। इसके बाद मृतक की मां रैमनिया चौधरी ने पुलिस को दिए बयान में बताया था कि सरपंच रहते हुए उनके बेटे ने कैमा की सरकारी भूमि पर हरिजन बस्ती बसाई थी। इसी मामले की जांच के लिए कुछ नेता और अधिकारी गांव आए थे, जिनके साथ पुरुषोत्तम भी गए थे। यहां से विवाद बढ़ा था और घटना यहां तक पहुंच गई।
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घर लौटते समय हुआ हमला
घटना शाम करीब 7 बजे जब पुरुषोत्तम घर लौटे तो उनके पड़ोसी गिब्बा चौधरी और कल्लू चौधरी उनके पास आए और विवाद करने लगे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरपंच रहते हुए पुरुषोत्तम ने उन्हें सरकारी जमीन का लाभ नहीं दिया और न ही उनका कार्ड बनवाया।
मौखिक बहस के बाद आरोपियों ने लाठी-डंडों से पुरुषोत्तम पर हमला कर दिया। बीच-बचाव करने आईं उनकी मां रैमनिया चौधरी और एक अन्य महिला रजमनिया चौधरी को भी गंभीर चोटें आई थी।
इलाज के दौरान मौत, हत्या की धारा जोड़ी गई
घटना में घायल पुरुषोत्तम को तत्काल जिला अस्पताल ले जाया गया। उनकी हालत गंभीर बनी रही और 1 नवंबर 2020 को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। शुरुआत में पुलिस ने मामला धारा 307 में दर्ज किया था, लेकिन पुरुषोत्तम की मौत के बाद इसे धारा 302 में बदल दिया गया। इसमें पांच साल बाद न्यायालय ने फैसला सुनाया।
अदालत ने पाया अपराध प्रमाणित
हत्या की घटना की जांच पूरी होने के बाद पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर कोलगवां थाना से न्यायालय में चालान पेश किया। अभियोजन पक्ष ने घटना से संबंधित प्रत्यक्षदर्शी गवाहों और मेडिकल रिपोर्ट सहित सभी साक्ष्य अदालत में प्रस्तुत किए। सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य और गवाही से यह सिद्ध होता है कि आरोपियों ने मिलकर पूर्व सरपंच की हत्या की थी। अदालत ने सभी चारों को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा से दंडित किया।
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पांच साल बाद मिला फैसला
मामला पिछले पांच वर्षों से अदालत में विचाराधीन था। परिजनों ने फैसले के बाद न्याय मिलने पर राहत की सांस ली। इस हत्याकांड ने उस समय पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी थी और गांव में लंबे समय तक तनाव का माहौल बना रहा था।
पुलिस और अभियोजन की भूमिका
मामले की जांच कोलगवां थाना पुलिस ने की थी, वहीं अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील ने प्रभावी पैरवी कर आरोपियों को दोषी साबित किया। अदालत ने कहा कि प्रस्तुत साक्ष्य और गवाहों के आधार पर यह स्पष्ट है कि हत्या सोची-समझी साजिश के तहत की गई थी।

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