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Sehore News: 22 साल पुरानी वोटरों की तलाश ने उड़ाई बीएलओ की नींद, घर-घर सर्च में सामने आ रहीं असल चुनौतियां
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सीहोर
Published by: सीहोर ब्यूरो
Updated Sun, 16 Nov 2025 01:32 PM IST
सार
एसआईआर प्रक्रिया के तहत मतदाताओं की पहचान करने निकले बीएलओ के सामने कई तरह की मुश्किलें सामने आ रही हैं। 22 साल पुराने वोटरों की खोज में निकले बीएलओ रोजाना नई-नई समस्याओं से दो-चार हो रहे हैं।
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घर-घर जाकर मतदाताओं का सर्वे कर रहे अधिकारी
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विस्तार
जिले में चल रही एसआईआर प्रक्रिया ने मतदान व्यवस्था की वो असल तस्वीर सामने ला दी है, जिसे अब तक केवल कागजों में देखा गया था। 2003 की मतदाता सूची से प्रत्येक मतदाता का मिलान आज बीएलओ के लिए सबसे कठिन चुनौती बन गया है। शहरों में रहने वाले लगभग 40 प्रतिशत लोग कई बार अपना घर बदल चुके हैं।
बीएलओ का कहना है कि नाम वही है, लेकिन पता बदल चुका है; मकान नंबर वही है, पर लोग जा चुके हैं। बीएलओ की डायरियों में घरों के नंबर बढ़ते जा रहे हैं और मिलान की प्रक्रिया में समय घटता ही नहीं। निर्देश है कि मृत मतदाताओं, स्थायी रूप से विस्थापित और लंबे समय से अनुपस्थित नामों को भी एप में दर्ज करना होगा लेकिन हर दरवाजे पर दस्तक के साथ सामने आता सवाल कि कौन बताएगा कि अमुक व्यक्ति कहां है, जिनकी तस्वीर 22 साल पहले वोटर लिस्ट में थी? कई घरों में चुप्पी और कई जगह आंसुओं के साथ जानकारी दी जाती है कि पिताजी अब इस दुनिया में नहीं रहे। ऐसे नामों की डिजिटल विदाई भी बीएलओ के हाथों ही हो रही है।
शादीशुदा महिलाओं की मैपिंग सबसे कठिन
बीएलओ का कहना है कि सबसे संवेदनशील समस्या शादीशुदा महिला मतदाताओं की है। ज्यादातर महिलाओं का 2003 में विवाह नहीं हुआ था, इसलिए सूची में पति के नाम से सर्च संभव नहीं। सिस्टम केवल माता-पिता और दादा के नाम से लिंक देता है। ससुराल में पहचान है लेकिन 2003 की सूची में नहीं। कई महिलाएं फोन लगाकर मायके वालों से विधानसभा नंबर और वोटर पेज पूछती हैं, तब कहीं फॉर्म भर पाता है। उस असहज मौन के बीच बीएलओ इंतजार करता है और समय बीतता रहता है। पढ़े-लिखे युवा और नौकरीपेशा परिवार लिंक पर क्लिक कर कुछ ही मिनटों में 2003 की सूची का मिलान करवा देते हैं लेकिन असली कठिनाई मजदूर समुदाय, दिहाड़ी कमाने वालों और दूसरे राज्यों से आए प्रवासियों के साथ है। उनके पास न पुराना पता है, न वोटिंग का विवरण। दिनभर मेहनत कर लौटे लोगों के पास बीएलओ बैठकर तसल्ली से जानकारी लेता है और गणना पत्रक अपने पास सुरक्षित रख लेता है कि कहीं गलत जानकारी न लिख जाए और आगे दिक्कत न आए।
ये भी पढ़ें: Harda News: नदी से अवैध बजरी परिवहन करते चार ट्रैक्टर-ट्रॉली जब्त, चार आरोपियों पर नामजद मामला दर्ज
ऑनलाइन सिस्टम की धीमी रफ्तार बढ़ा रही परेशानी
वेबसाइट और एप की धीमी स्पीड बीएलओ के जख्मों पर नमक की तरह है। हर डाटा मिलान के लिए कभी-कभी 30-35 मिनट लग जाते हैं। स्मार्ट फोन से लैस बीएलओ भी नेटवर्क की कमजोरी के आगे मजबूर हैं। गांवों और कॉलोनियों में हाथ में टैब लिए घूमते अधिकारी केवल सूचनाएं नहीं, बल्कि हजारों उम्मीदें लेकर चल रहे हैं कि ताकि कोई भी पात्र मतदाता सूची से छूट न जाए और कोई अपात्र नाम दर्ज न रह जाए।
कलेक्टर बालागुरू के. के निर्देशन में एसडीएम, तहसीलदार और अन्य अधिकारी फील्ड पर जाकर एसआईआर सर्वे का निरीक्षण कर रहे हैं और बीएलओ को मार्गदर्शन दे रहे हैं। यह प्रक्रिया तीन चरणों में चल रही है। 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक घर-घर सर्वे, 9 दिसंबर को प्रारूप सूची, 8 जनवरी तक दावे-आपत्तियां और 7 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन। इस अभियान की आत्मा सिर्फ एक है कि मतदाता सूची को शुद्ध, अद्यतन और निष्पक्ष बनाना, ताकि लोकतंत्र का कोई अधिकार किसी दरवाजे पर छूट न जाए।
मतदाता ऐसे सर्च करें 2003 की सूची
निर्वाचन आयोग ने 2003 की मतदाता सूची ऑनलाइन देखने की सुविधा उपलब्ध कराई है। मतदाता मोबाइल, कम्प्यूटर या लेपटॉप से वेबसाइट https://ceoelection. mp.gov.in और https://voters.eci.gov.in पर सर्च करना होगा। इसमें मतदाताओं को पुराने पते के आधार पर जिला, विधानसभा और शहर या गांव को चुनना होगा। संभावित पोलिंग बूथ को क्लिक करते ही 2003 की वोटर लिस्ट ओपन हो जाएगी। इसमें अपना, पिता या दादा के नाम की एंट्री देखकर मतदाताओं को उक्त फॉर्म में उस समय की विधानसभा का नाम व क्रमांक और पेज पर लिखी भाग संख्या व इपिक नंबर दर्ज करना होगा। सूची में इपिक नंबर न हो तो भी काम चल जाएगा।
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बीएलओ का कहना है कि सबसे संवेदनशील समस्या शादीशुदा महिला मतदाताओं की है। ज्यादातर महिलाओं का 2003 में विवाह नहीं हुआ था, इसलिए सूची में पति के नाम से सर्च संभव नहीं। सिस्टम केवल माता-पिता और दादा के नाम से लिंक देता है। ससुराल में पहचान है लेकिन 2003 की सूची में नहीं। कई महिलाएं फोन लगाकर मायके वालों से विधानसभा नंबर और वोटर पेज पूछती हैं, तब कहीं फॉर्म भर पाता है। उस असहज मौन के बीच बीएलओ इंतजार करता है और समय बीतता रहता है। पढ़े-लिखे युवा और नौकरीपेशा परिवार लिंक पर क्लिक कर कुछ ही मिनटों में 2003 की सूची का मिलान करवा देते हैं लेकिन असली कठिनाई मजदूर समुदाय, दिहाड़ी कमाने वालों और दूसरे राज्यों से आए प्रवासियों के साथ है। उनके पास न पुराना पता है, न वोटिंग का विवरण। दिनभर मेहनत कर लौटे लोगों के पास बीएलओ बैठकर तसल्ली से जानकारी लेता है और गणना पत्रक अपने पास सुरक्षित रख लेता है कि कहीं गलत जानकारी न लिख जाए और आगे दिक्कत न आए।
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कलेक्टर बालागुरू के. के निर्देशन में एसडीएम, तहसीलदार और अन्य अधिकारी फील्ड पर जाकर एसआईआर सर्वे का निरीक्षण कर रहे हैं और बीएलओ को मार्गदर्शन दे रहे हैं। यह प्रक्रिया तीन चरणों में चल रही है। 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक घर-घर सर्वे, 9 दिसंबर को प्रारूप सूची, 8 जनवरी तक दावे-आपत्तियां और 7 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन। इस अभियान की आत्मा सिर्फ एक है कि मतदाता सूची को शुद्ध, अद्यतन और निष्पक्ष बनाना, ताकि लोकतंत्र का कोई अधिकार किसी दरवाजे पर छूट न जाए।
मतदाता ऐसे सर्च करें 2003 की सूची
निर्वाचन आयोग ने 2003 की मतदाता सूची ऑनलाइन देखने की सुविधा उपलब्ध कराई है। मतदाता मोबाइल, कम्प्यूटर या लेपटॉप से वेबसाइट https://ceoelection. mp.gov.in और https://voters.eci.gov.in पर सर्च करना होगा। इसमें मतदाताओं को पुराने पते के आधार पर जिला, विधानसभा और शहर या गांव को चुनना होगा। संभावित पोलिंग बूथ को क्लिक करते ही 2003 की वोटर लिस्ट ओपन हो जाएगी। इसमें अपना, पिता या दादा के नाम की एंट्री देखकर मतदाताओं को उक्त फॉर्म में उस समय की विधानसभा का नाम व क्रमांक और पेज पर लिखी भाग संख्या व इपिक नंबर दर्ज करना होगा। सूची में इपिक नंबर न हो तो भी काम चल जाएगा।

घर-घर जाकर मतदाताओं का सर्वे कर रहे अधिकारी

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