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सिवनी हवाला कांड: खिलौना व्यापारी से शुरू हुआ था खेल, डीएसपी तक पहुंची लूट की डोर, परतें खोलने में जुटी एसआईटी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सिवनी
Published by: सिवनी ब्यूरो
Updated Wed, 19 Nov 2025 11:37 AM IST
सार
चर्चा में चल रहे हवाला कांड को लेकर साफ हो गया है कि यह पूरा खेल खिलौना व्यापारी पंजू गिरी गोस्वामी की गोपनीय सूचना से शुरू हुआ था। एसआईटी अब पूरे मामले की परतें उधेड़ने में लगी हुई
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कोतवाली सिवनी
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विस्तार
सिवनी के बहुचर्चित 2.96 करोड़ रुपए हवाला कांड में एसआईटी की जांच हर दिन नए खुलासे कर रही है। जांच में अब साफ हो गया है कि इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत हवाला से जुड़े खिलौना व्यापारी पंजू गिरी गोस्वामी ने की। वही पहला व्यक्ति था, जिसने हवाला रकम के मूवमेंट की गोपनीय जानकारी क्राइम ब्रांच के प्रधान आरक्षक प्रमोद सोनी को दी। सोनी ने यह जानकारी आगे बढ़ाई और सूचना की यह चेन बढ़ते-बढ़ते हॉकफोर्स प्रभारी डीएसपी पंकज मिश्रा से होते हुए तत्कालीन एसडीओपी पूजा पांडे तक पहुंच गई।
सूचना की इस सुनियोजित कड़ी ने बाद में पूरे लूट कांड का रास्ता तैयार किया। एसआईटी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक हवाला रकम की यह सूचना योजना बनाकर आगे पास की गई और इसी आधार पर आगे की कार्रवाई की प्लानिंग बनी।
जमानत याचिका लगाई
इस बीच गिरफ्तार डीएसपी पूजा पांडे ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की है। माना जा रहा है कि जस्टिस देवनारायण मिश्रा की बेंच इस सप्ताह उनकी अर्जी पर सुनवाई कर सकती है। मामला हाई-प्रोफाइल होने के कारण अदालत के अगले कदम पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
ये भी पढ़ें: सिवनी हवाला कांड: डीएसपी समेत तीन गिरफ्तार, 2.96 करोड़ की बंदरबांट का बड़ा खुलासा
साली के चक्कर में जीजा भी गिरफ्तार
जांच के दौरान एसआईटी ने एक और चौंकाने वाली कार्रवाई करते हुए मंगलवार को पूजा पांडे के जीजा, जबलपुर निवासी मेडिकल स्टोर संचालक वीरेंद्र दीक्षित को गिरफ्तार कर लिया। जांच में सामने आया कि पूजा पांडे अपनी गतिविधियों की जानकारी जीजा को देती थीं और लूट की रकम को ठिकाने लगाने की प्लानिंग में वह भी शामिल था।
ये था मामला
जांच में 8–9 अक्टूबर की रात का पूरा घटनाक्रम भी स्पष्ट हुआ है। महाराष्ट्र के व्यापारी सोहनलाल परमार के दो ड्राइवर सतना से 2.96 करोड़ रुपए लेकर जालना जा रहे थे। बंडोल थाना पुलिस ने रात में उनकी कार रोककर ड्राइवरों को जंगल में ले जाकर पूछताछ की और पूरी रकम कब्जे में ले ली। बाद में 1.25 करोड़ रुपए उन्हें लौटाकर छोड़ दिया गया। ड्राइवरों ने महाराष्ट्र पहुंचकर अपने मालिक को घटनाक्रम की जानकारी दी, जिसके बाद व्यापारी सिवनी आया लेकिन उसे बिना एफआईआर के थाने में बैठाकर धमकाकर वापस भेज दिया गया। बाद में कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज की गई।
जैसे-जैसे मामला तूल पकड़ता गया, खुलासे होते चले गए। शुरू में एसडीओपी पूजा पांडे ने लूट के आरोपों से साफ इंकार किया लेकिन डीआईजी की जांच में गंभीर गड़बड़ियां सामने आते ही बड़ी कार्रवाई की गई। आईजी ने 9 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया और डीजीपी ने पूजा पांडे को निलंबित करते हुए विस्तृत जांच के आदेश दिए।
एसआईटी अब इस बात की जांच कर रही है कि हवाला रकम की असल बंदरबांट कैसे हुई, किसने कितना हिस्सा लिया और पुलिस नेटवर्क में इसकी जड़ें कहां तक फैली हुई हैं। मामले में और भी गिरफ्तारी होने की संभावना जताई जा रही है।
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सूचना की इस सुनियोजित कड़ी ने बाद में पूरे लूट कांड का रास्ता तैयार किया। एसआईटी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक हवाला रकम की यह सूचना योजना बनाकर आगे पास की गई और इसी आधार पर आगे की कार्रवाई की प्लानिंग बनी।
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जमानत याचिका लगाई
इस बीच गिरफ्तार डीएसपी पूजा पांडे ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की है। माना जा रहा है कि जस्टिस देवनारायण मिश्रा की बेंच इस सप्ताह उनकी अर्जी पर सुनवाई कर सकती है। मामला हाई-प्रोफाइल होने के कारण अदालत के अगले कदम पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
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साली के चक्कर में जीजा भी गिरफ्तार
जांच के दौरान एसआईटी ने एक और चौंकाने वाली कार्रवाई करते हुए मंगलवार को पूजा पांडे के जीजा, जबलपुर निवासी मेडिकल स्टोर संचालक वीरेंद्र दीक्षित को गिरफ्तार कर लिया। जांच में सामने आया कि पूजा पांडे अपनी गतिविधियों की जानकारी जीजा को देती थीं और लूट की रकम को ठिकाने लगाने की प्लानिंग में वह भी शामिल था।
ये था मामला
जांच में 8–9 अक्टूबर की रात का पूरा घटनाक्रम भी स्पष्ट हुआ है। महाराष्ट्र के व्यापारी सोहनलाल परमार के दो ड्राइवर सतना से 2.96 करोड़ रुपए लेकर जालना जा रहे थे। बंडोल थाना पुलिस ने रात में उनकी कार रोककर ड्राइवरों को जंगल में ले जाकर पूछताछ की और पूरी रकम कब्जे में ले ली। बाद में 1.25 करोड़ रुपए उन्हें लौटाकर छोड़ दिया गया। ड्राइवरों ने महाराष्ट्र पहुंचकर अपने मालिक को घटनाक्रम की जानकारी दी, जिसके बाद व्यापारी सिवनी आया लेकिन उसे बिना एफआईआर के थाने में बैठाकर धमकाकर वापस भेज दिया गया। बाद में कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज की गई।
जैसे-जैसे मामला तूल पकड़ता गया, खुलासे होते चले गए। शुरू में एसडीओपी पूजा पांडे ने लूट के आरोपों से साफ इंकार किया लेकिन डीआईजी की जांच में गंभीर गड़बड़ियां सामने आते ही बड़ी कार्रवाई की गई। आईजी ने 9 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया और डीजीपी ने पूजा पांडे को निलंबित करते हुए विस्तृत जांच के आदेश दिए।
एसआईटी अब इस बात की जांच कर रही है कि हवाला रकम की असल बंदरबांट कैसे हुई, किसने कितना हिस्सा लिया और पुलिस नेटवर्क में इसकी जड़ें कहां तक फैली हुई हैं। मामले में और भी गिरफ्तारी होने की संभावना जताई जा रही है।