बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है, क्योंकि किसी भी देश के भविष्य की बागडोर बच्चों के ही हाथों में होती है। ऐसे में शासन हो या प्रशासन, उनकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए इस भविष्य को संवारना, बच्चों को बेहतर शिक्षा देना। लेकिन, मध्यप्रदेश में देश के भविष्यों के साथ शिक्षा के नाम पर मजाक किया जा रहा है। जर्जर भवन, दरारों से भरी दीवारें, दीवारों का साथ छोड़ती सीमेंट, कमरों में टूटा-फूटा फर्नीचर, देखने में भवन भले ही कोई खंडहर लगे, लेकिन यह शिक्षा के मंदिर का नजारा है।
Singrauli News: बदहाल सरकारी स्कूल तस्वीरें, जर्जर इमारत, टूटी छत; दीवारों की दरारों में फंसा बच्चों का भविष्य
मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में कई सरकारी स्कूल खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। यहां टपकती छत, गिरता प्लास्टर और बिजली-पानी की कमी है। छात्र जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन विभागी इसे नजरअंदाज कर रहा है।
बारिश में टपकती छत, जर्जर क्लासरूम
क्लास में बारिश के कारण छत से पानी टपकता है। स्कूल के हेडमास्टर राजेंद्र सिंह ने क्लास दिखाते हुए बताया कि छत से पानी गिरता है, क्लास में पानी भर जाता है। छत की हालत इतनी खराब है कि यह कब गिर जाए, कोई भरोसा नहीं। ऐसे में इस क्लास में बच्चों को बैठाना किसी खतरे से कम नहीं है। लिहाजा एक ही कमरे में कई कक्षाओं के बच्चों को बैठाया जा रहा है। राजेंद्र सिंह ने बताया कि कई बार विभाग को इसकी सूचना दी गई है, लेकिन जर्जर हो चुके स्कूल की मरम्मत के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है। स्कूल में पीने का साफ पानी नहीं है, बच्चे और शिक्षक घर से पानी लेकर आते हैं। यहां बने शौचालय की हालत और भी बदतर है।
ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों की स्थिति भी चिंताजनक
ग्रामीण क्षेत्र के जोगियानी गांव में स्थित सरकारी स्कूल में भी कुछ ऐसा ही हाल मिला। स्कूल परिसर में ग्राम पंचायत और सरकारी राशन की दुकान भी है। स्कूल की चमचमाती इमारत देखकर ऐसा लगता नहीं कि अंदर का हाल बेहाल होगा। जब अमर उजाला की टीम क्लास के अंदर पहुंची तो गुरुजी बच्चों को पढ़ा रहे थे। उसी दौरान बारिश हो रही थी और छत से पानी टपक रहा था। कुछ बच्चे भीगकर गुरुजी से ज्ञान अर्जित कर रहे थे।
बिजली नहीं, स्मार्ट क्लास बंद
स्कूल की सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र मिस्त्री लाल ने बताया कि स्कूल की छत से पानी टपकता है, दीवारों और छत का प्लास्टर गिरता है जिससे किसी न किसी को चोट लग जाती है। स्कूल में बिजली नहीं होने से क्लास में अंधेरा रहता है। स्मार्ट क्लास के लिए टीवी, कंप्यूटर सब कुछ है, लेकिन बिजली न होने के कारण यह कभी चले नहीं। इसकी शिकायत कई बच्चों ने कलेक्टर से भी की है। कलेक्टर ने आश्वासन दिया है कि जल्द समस्या का समाधान किया जाएगा।
सबसे बड़ी समस्या बिजली की
स्कूल के प्रभारी हेडमास्टर रमेश पैकरा ने बताया कि स्कूल में सबसे बड़ी समस्या बिजली की है। स्मार्ट क्लास के लिए टीवी, कंप्यूटर उपलब्ध हैं, लेकिन जब बिजली ही नहीं है तो इनका कोई उपयोग नहीं है। क्लास की स्थिति भी खराब है, छत से पानी टपकता है, दीवारों का प्लास्टर गिरता है, जिससे छात्रों और शिक्षकों को खतरा बना रहता है। हमने कई बार विभाग को इसकी जानकारी दी है, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
500 स्कूलों में आज तक बिजली नहीं
वहीं, शिक्षा विभाग के डीपीसी रामलखन शुक्ला से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिले में करीब 500 स्कूल ऐसे हैं जहां आज तक बिजली नहीं पहुंची है। इसके लिए बिजली विभाग को फंड दिया जा चुका है, लेकिन बावजूद इसके स्कूलों में बिजली के कनेक्शन नहीं हुए हैं।

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