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Umaria News: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में अधिकारियों पर लापरवाही के आरोप, आरटीआई एक्टिविस्ट ने की जांच की मांग
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उमरिया
Published by: उमरिया ब्यूरो
Updated Sat, 20 Dec 2025 09:05 AM IST
सार
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में वन्यजीव सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट ने उप संचालक समेत अधिकारियों पर संवेदनशील समय में मुख्यालय छोड़ने, शिकार घटनाओं की अनदेखी और प्रशासनिक लापरवाही के आरोप लगाए हैं। मामले में निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग की गई है।
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सरसी आईलैंड में घूमते अधिकारी।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में वन्यजीव सुरक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारी को लेकर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट सुशील लेवी ने प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल प्रमुख) को पत्र भेजकर उप संचालक प्रकाश वर्मा सहित अन्य अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोपों के मुताबिक संवेदनशील हालात के बावजूद अधिकारियों ने बिना अनुमति मुख्यालय छोड़ा और अपने दायित्वों की अनदेखी की।
पत्र में कहा गया है कि बांधवगढ़ क्षेत्र में बाघ, तेंदुआ, जंगली हाथी और अन्य हिंसक वन्यप्राणियों का लगातार मूवमेंट बना हुआ है। ऐसे हालात में अधिकारियों की मौजूदगी और सतर्कता बेहद जरूरी थी, लेकिन इसके विपरीत जिम्मेदार पदों पर बैठे अफसर निजी गतिविधियों में व्यस्त पाए गए।
शिकार की घटनाओं से बढ़ी चिंता
आरटीआई पत्र के अनुसार टाइगर रिज़र्व में शिकार की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। जुलाई 2025 में मगधी कोर क्षेत्र में बाघ शिकार का मामला उजागर हुआ था। इसके बाद 6 दिसंबर 2025 को धमोखर परिक्षेत्र में भी बाघ के शिकार की पुष्टि हुई। दोनों घटनाएं टाइगर रिजर्व मुख्यालय से केवल 12 से 14 किलोमीटर की दूरी पर हुईं, जिससे सुरक्षा व्यवस्था की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
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रिहायशी इलाके के पास बाघ की मौजूदगी
पनपथा बफर क्षेत्र के बीट पलझा उत्तर में 25 जुलाई 2025 से लगातार बाघ का मूवमेंट दर्ज किया जा रहा है। यह इलाका रिहायशी क्षेत्र से सटा होने के कारण ग्रामीणों में भय और आक्रोश का माहौल है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लक्ष्मण और सूर्या नामक हाथियों को 14 दिसंबर 2025 तक तैनात किया गया था।
संवेदनशील समय में मुख्यालय से बाहर रहने का आरोप
इसी दौरान आरोप है कि 13 दिसंबर 2025 को उप संचालक प्रकाश वर्मा और पनपथा रेंज के रेंजर प्रतीक श्रीवास्तव मुख्यालय छोड़कर सरसी आईलैंड क्षेत्र में मौजूद थे। बताया गया है कि यह स्थान उप संचालक मुख्यालय से लगभग 80 से 85 किलोमीटर दूर है, जबकि बाघ मूवमेंट वाला क्षेत्र काफी नजदीक था।
उसी दिन मिलीं मौतें
13 दिसंबर को ही टाइगर रिज़र्व मुख्यालय से करीब 12 से 14 किलोमीटर दूर एक तेंदुए का शव बरामद हुआ। वहीं सामान्य वन मंडल उमरिया क्षेत्र में करंट लगने से एक बाघ की मौत की पुष्टि हुई, जो बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व का बताया जा रहा है। उस समय क्षेत्र संचालक अवकाश पर थे, ऐसे में उप संचालक की अनुपस्थिति को गंभीर लापरवाही माना जा रहा है।
अन्य आरोप और कार्रवाई की मांग
पत्र में यह भी आरोप लगाए गए हैं कि कुछ परिक्षेत्राधिकारी संवेदनशील क्षेत्रों से बाहर रहकर वरिष्ठ अधिकारियों की खुशामद में लगे रहते हैं। साथ ही उप संचालक के पुत्र और उनके मित्रों की फर्म द्वारा कूनो नेशनल पार्क और बांधवगढ़ में सप्लाई कार्य किए जाने का मुद्दा भी उठाया गया है। आरटीआई एक्टिविस्ट ने आशंका जताई है कि जांच से पहले दस्तावेजों में हेरफेर की जा सकती है। उन्होंने मांग की है कि निष्पक्ष जांच के लिए संबंधित अधिकारियों को निलंबित किया जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। यह मामला अब बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में वन्यजीव संरक्षण और प्रशासनिक जवाबदेही की बड़ी परीक्षा बन गया है।
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पत्र में कहा गया है कि बांधवगढ़ क्षेत्र में बाघ, तेंदुआ, जंगली हाथी और अन्य हिंसक वन्यप्राणियों का लगातार मूवमेंट बना हुआ है। ऐसे हालात में अधिकारियों की मौजूदगी और सतर्कता बेहद जरूरी थी, लेकिन इसके विपरीत जिम्मेदार पदों पर बैठे अफसर निजी गतिविधियों में व्यस्त पाए गए।
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शिकार की घटनाओं से बढ़ी चिंता
आरटीआई पत्र के अनुसार टाइगर रिज़र्व में शिकार की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। जुलाई 2025 में मगधी कोर क्षेत्र में बाघ शिकार का मामला उजागर हुआ था। इसके बाद 6 दिसंबर 2025 को धमोखर परिक्षेत्र में भी बाघ के शिकार की पुष्टि हुई। दोनों घटनाएं टाइगर रिजर्व मुख्यालय से केवल 12 से 14 किलोमीटर की दूरी पर हुईं, जिससे सुरक्षा व्यवस्था की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
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रिहायशी इलाके के पास बाघ की मौजूदगी
पनपथा बफर क्षेत्र के बीट पलझा उत्तर में 25 जुलाई 2025 से लगातार बाघ का मूवमेंट दर्ज किया जा रहा है। यह इलाका रिहायशी क्षेत्र से सटा होने के कारण ग्रामीणों में भय और आक्रोश का माहौल है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लक्ष्मण और सूर्या नामक हाथियों को 14 दिसंबर 2025 तक तैनात किया गया था।
संवेदनशील समय में मुख्यालय से बाहर रहने का आरोप
इसी दौरान आरोप है कि 13 दिसंबर 2025 को उप संचालक प्रकाश वर्मा और पनपथा रेंज के रेंजर प्रतीक श्रीवास्तव मुख्यालय छोड़कर सरसी आईलैंड क्षेत्र में मौजूद थे। बताया गया है कि यह स्थान उप संचालक मुख्यालय से लगभग 80 से 85 किलोमीटर दूर है, जबकि बाघ मूवमेंट वाला क्षेत्र काफी नजदीक था।
उसी दिन मिलीं मौतें
13 दिसंबर को ही टाइगर रिज़र्व मुख्यालय से करीब 12 से 14 किलोमीटर दूर एक तेंदुए का शव बरामद हुआ। वहीं सामान्य वन मंडल उमरिया क्षेत्र में करंट लगने से एक बाघ की मौत की पुष्टि हुई, जो बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व का बताया जा रहा है। उस समय क्षेत्र संचालक अवकाश पर थे, ऐसे में उप संचालक की अनुपस्थिति को गंभीर लापरवाही माना जा रहा है।
अन्य आरोप और कार्रवाई की मांग
पत्र में यह भी आरोप लगाए गए हैं कि कुछ परिक्षेत्राधिकारी संवेदनशील क्षेत्रों से बाहर रहकर वरिष्ठ अधिकारियों की खुशामद में लगे रहते हैं। साथ ही उप संचालक के पुत्र और उनके मित्रों की फर्म द्वारा कूनो नेशनल पार्क और बांधवगढ़ में सप्लाई कार्य किए जाने का मुद्दा भी उठाया गया है। आरटीआई एक्टिविस्ट ने आशंका जताई है कि जांच से पहले दस्तावेजों में हेरफेर की जा सकती है। उन्होंने मांग की है कि निष्पक्ष जांच के लिए संबंधित अधिकारियों को निलंबित किया जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। यह मामला अब बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में वन्यजीव संरक्षण और प्रशासनिक जवाबदेही की बड़ी परीक्षा बन गया है।
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